Indian Railway: ट्रेन में आग लगी तो बजेगा सायरन, धनबाद रेल मंडल ने शुरू की नयी तकनीक
रेल मंडल के अधिकारियों के अनुसार, रेलवे फायर एंड स्मोक डिटेक्शन एवं सप्रेशन सिस्टम (एफएसडीएस) आग या फिर धुंआ को डिटेक्ट करता है. धुंआ आते ही सिस्टम एक्टिवेट हो जाता है.
धनबाद: धनबाद रेल मंडल ने रेलगाड़ी को बर्निंग ट्रेन बनने से बचाने के लिए नयी तकनीक का इस्तेमाल शुरू कर दिया है. अब ट्रेन की बोगी में आग लगने से पहले ही सायरन बज उठेगा. यानी कोच से धुआं उठते ही सायरन बजने लगेगा. रेल मंडल के एलएचबी व पुराने एसी कोच में फायर एंड स्मोक डिटेक्शन व सप्रेशन सिस्टम लगा दिया गया है. यह सिस्टम सायरन बजाकर यात्रियों व रेलकर्मियों को सचेत कर देगा.
इसकी मदद से आग लगने की स्थिति में किसी भी बड़ी दुर्घटना को टाला जा सकेगा. रेल मंडल के अधिकारियों के अनुसार, रेलवे फायर एंड स्मोक डिटेक्शन एवं सप्रेशन सिस्टम (एफएसडीएस) आग या फिर धुंआ को डिटेक्ट करता है. धुंआ आते ही सिस्टम एक्टिवेट हो जाता है. बीप की आवाज के साथ लाल बत्ती जल जाती है. इसके बाद भी धुंआ मिलता रहता है, तो कोच में अलार्म बजना शुरू हो जायेगा. कुछ देर के बाद ट्रेन रोक दी जायेगी.
मंडल के नौ स्टेशनों पर लगाया गया अलार्म सिस्टम :
बुधवार को सीनियर डीएमइ चंद्रशेखर कुमार ने बताया कि अलार्म बजने पर यात्रियों को डरने की जरूरत नहीं होगी. कई बार सिगरेट या अन्य धुंआ से भी अलार्म सिस्टम एक्टिव हो जाता है. वहीं, डीआरएम कमल किशोर सिन्हा ने कहा कि अलार्म बजने पर पहले आग लगी है या नहीं, इसकी जानकारी लें. कोच में अग्निशमन उपकरण मौजूद रहता है. उसकी मदद से आग पर आसानी से काबू पाया जा सकता है. धनबाद रेल मंडल के नौ स्टेशनों पर जून माह में ऑटोमैटिक फायर डिटेक्शन एंड अलार्म सिस्टम लगाये गये हैं. इनमें प्रधानखंटा, धनबाद, पारसनाथ, कोडरमा, पहाड़पुर, चंद्रपुरा, पतरातु, टोरी, गढ़वा रोड और डीआरएम कार्यालय शामिल हैं.
यूएफएसबीआइ मीडिया अलार्म बॉक्स लगा :
रेलवे ट्रैक में आने वाली खराबी का पता लगाने के लिए कई जगहों पर यूएफएसबीआइ मीडिया अलार्म बॉक्स भी लगाये गये हैं. इसकी मदद से ट्रैक में आने वाली खराबी का पता लगाकर इसे ठीक किया जा सकता है. कुसुंडा, बांसजोड़ा नॉर्थ एंड साउथ लाइन, सिजुआ नॉर्थ एंड साउथ लाइन, कतरासगढ़ नॉर्थ एंड साउथ लाइन, रांची रोड, कुजू, अरिगढ़ा, चरही, बरकाकाना, भूरकुंडा, पतरातु, करमाहाट, दनिया स्टेशन के ब्लॉक पैनल में इसे लगाया गया है. खराबी का पता चलने पर उसे कंट्रोल से ठीक किया जा सकेगा.