भारत का प्रभाव अब पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है : डॉ सुव्रोकमल

आइआइटी आइएसएम में विकसित भारत@2047 के तहत व्याख्यान का आयोजन

By Prabhat Khabar News Desk | August 11, 2024 1:47 AM

राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त राजनीतिक, आर्थिक और विदेश नीति के विशेषज्ञ डॉ सुव्रोकमल दत्ता ने कहा कि अपने देश का प्रभाव वर्तमान भौगोलिक और राजनीतिक सीमाओं से कहीं अधिक बढ़ गया है. अपनी सांस्कृतिक प्रभाव अब देश के बाहर यूरोप, दक्षिण पूर्व एशिया और अन्य हिस्सों में देखा जा सकता है. श्री दत्ता शनिवार को आइआइटी (आइएसएम) में छात्रों को व्याख्यान दे रहे थे. उन्होंने विकास के लिए प्रौद्योगिकी और कौशल की भूमिका पर अपना व्याख्यान दिया. यह आयोजन मिशन विकसित भारत@2047 के तहत संस्थान कॉरपोरेट कम्युनिकेशन विभाग द्वारा पेनमैन हॉल में किया गया. दक्षिण पूर्व एशिया में भारतीय सांस्कृतिक प्रभाव के कुछ उदाहरण देते हुए श्री दत्ता ने कहा : सबसे बड़ी नवरात्रि बैंकॉक में दुनिया का सबसे बड़ा त्योहार मनाया जाता है, जहां हर कोई पूरे नौ दिन व्रत रखता है. वहां भी इस अवसर पर सार्वजनिक अवकाश होता है. यहां दशमी के दौरान बड़ी संख्या में झांकियां निकाली जाती हैं. उन्होंने बताया कि जब बैंकॉक के डाउनटाउन इलाके में यह जुलूस निकलता है तो दैवीय आशीर्वाद चाहने वालों की भीड़ एकत्रित होती है. उन्होंने म्यांमार के इतिहास और हमारे देश के साथ इसके सांस्कृतिक जुड़ाव के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि इसका मूल नाम बर्मा ब्रम्हा से उत्पन्न हुआ था और प्राचीन काल में इसे इसी नाम से जाना जाता था. ब्रम्हदेश लेकिन बर्मी भाषा या बर्मन भाषा में यह बाद में ब्रम्ह बन गया. उन्होंने आर्मेनिया में हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति के प्रभाव के बारे में विस्तार से चर्चा की, जो एक ईसाई देश है. उन्होंने व्याख्यान शुरू करने से पहले नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा का प्रतीक एक वीडियो दिखाया. इसके माध्यम से उन्होंने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस को चिह्नित करने के लिए दर्शकों के सामने विभाजन की पीड़ा दिखाया. इस मौके पर आइआइटी आइएसएम के निदेशक प्रो सुकुमार मिश्रा, उपनिदेशक प्रो धीरज कुमार समेत अन्य अधिकारी व शिक्षक मौजूद थे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version