13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

इसरो का मिशन चंद्रयान-4 : बीआईटी सिंदरी के छात्रों ने बनाया ‘प्रज्ञान’ से भी आधुनिक रोवर ‘रुद्र’

इसरो के मिशन चंद्रयान-4 के लिए एक आधुनिक रोवर की जरूरत है. बीआईटी सिंदरी के स्टूडेंट्स ने ‘रुद्र’ का निर्माण किया है, जो मिशन चंद्रयान-3 में इस्तेमाल हुए प्रज्ञान से भी तेज है.

Table of Contents

इसरो के वैज्ञानिकों ने 22 जुलाई 2019 को मिशन चंद्रयान-3 के तहत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर प्रज्ञान रोवर को भेजकर एक क्रांति ला दी थी. इस रोवर का काम चंद्रमा की सतह पर घूम-घूमकर वहां से आंकड़े जुटाना था.

बीआईटी सिंदरी में आदिशक्ति टीम ने किया ‘रुद्र’ का निर्माण

बीआईटी सिंदरी में आदिशक्ति टीम ने ‘रुद्र’ नामक एक रोवर तैयार किया है, जो प्रज्ञान से भी बेहतर है. इसे आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए बनाया गया है. सेकेंड ईयर के स्टूडेंट्स ने ‘रुद्र’ को बनाया है. अगस्त 2024 में इसरो में आयोजित होने वाली प्रतियोगिता में इसे शामिल किया जाएगा.

इसरो के मिशन चंद्रयान-4 के काम आ सकता है रोवर ‘रुद्र’

‘रुद्र’ का निर्माण करने वाली टीम आदिशक्ति के कप्तान एवं संस्थान के प्रोडक्शन एंड इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग के द्वितीय वर्ष के छात्र हर्ष भार्गव ने बताया कि इसरो के मिशन चंद्रयान-4 के लिए अत्याधुनिक रोवर तैयार किया गया है. यह बिना मानव के सहयोग के चंद्रमा से सैंपल को पृथ्वी तक लाने में मदद करेगा.

अंधेरे में भी काम करता है ‘रुद्र’ का कैमरा

हर्ष भार्गव ने बताया कि बीआईटी सिंदरी की आदिशक्ति टीम भी इसरो की इस प्रतियोगिता में अपना रोवर पेश करेगी. हर्ष ने कहा कि रोवर स्वयं कार्य करने में सक्षम है. अंधेरे में इसके कैमरे काम कर सकते हैं, जिसकी वजह से इसे विशेष महत्व दिया जा रहा है. हर्ष ने बताया कि यह प्रतियोगिता नवंबर 2023 से जारी है.

Bit Sindri Made Rover Rudra Mission Chandrayan 4 Isro
बीआईटी सिंदरी की आदिशक्ति टीम के सदस्य. फोटो : प्रभात खबर

पृथ्वी के वायुमंडल के अनुरूप काम करता है यह रोवर

हर्ष ने बताया कि प्रथम चरण में रोवर के निर्माण के लिए 30 पेज का प्रपोजल इसरो को दिया गया था. दूसरे चरण में बुधवार (15 मई) को इसके निर्माण और कार्यविधि का वीडियो भेजा गया. आधुनिक तकनीक से बना यह रोवर फिलहाल पृथ्वी के वायुमंडल के अनुसार काम करेगा. अगले चरण में इसे चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल के अनुरूप तैयार कर लिया जाएगा. यह प्रज्ञान रोवर की तरह स्वयं कार्य करता है. रुद्र का वजन 40 किलोग्राम से कम है.

मिशन चंद्रयान-4 के लिए जरूरी सभी 9 शर्तों को पूरा करता है ‘रुद्र’

हर्ष ने कहा कि रोबोटिक आर्म के द्वारा वजन उठाना, 150 ग्राम के क्यूब को पार करना, 300 ग्राम के क्यूब से बचकर निकलने, गड्ढों को पार करने समेत सभी 9 शर्तों को इसमें शामिल किया गया है, जो मिशन चंद्रयान-4 के लिए तैयार रोवर में होनी चाहिए.

बीआईटी सिंदरी के लैब में बने हैं इस रोवर के सभी पार्ट्स

प्रोजेक्ट का निर्देशन कर रहे बीआईटी सिंदरी के सीएनसी मशीन एंड रोबोटिक लैब के प्रोफेसर-इन-चार्ज प्रकाश कुमार ने बताया कि रोवर के सभी पार्ट्स बीआईटी सिंदरी के लैब में बनाए गए हैं. रोवर लगभग 2 किलो तक के वजन को उठाने में सक्षम है. इसकी स्पीड 3 सेंटीमीटर प्रति सेकेंड से अधिक है. बीआईटी सिंदरी के प्रोडक्शन एंड इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग के लैब में ही रोवर के चक्के भी तैयार किए गए हैं. एक चक्के का 3 डी प्रिंट बनाने में लगभग 40 घंटे का समय लगा है.

इसरो की प्रतियोगिता में बीआईटी सिंदरी को मिला 146वां स्थान

बीआईटी सिंदरी के निदेशक डॉ पंकज राय ने इस उपलब्धि के लिए आदिशक्ति टीम को बधाई दी. कहा कि इसरो की प्रतियोगिता में देश के 60 हजार प्रतिभागी टीम में बीआईटी सिंदरी की टीम ने 146 वां स्थान हासिल किया है. उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट में बिटसा इंटरनेशनल और संस्थान ने मदद की है. छात्रों को उत्साहित करते हुए कहा कि उनकी सफलता रंग लाएगी और उनके करियर में यह प्रोजेक्ट मील का पत्थर साबित होगा.

‘रुद्र’ बनाने वाली टीम के ये भी हैं सदस्य

‘रुद्र’ के निर्माण में हर्ष भार्गव के अलावा साहिल सिंह, सिविल इंजीनियरिंग के द्वितीय वर्ष के छात्र सह उपकप्तान निशिकांत मंडल और मनीष कुमार महतो, कम्प्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के द्वितीय वर्ष के छात्र अरमान सिंह और प्रथम वर्ष के छात्र रौशन राज, मैकेनिकल इंजीनियरिंग के द्वितीय वर्ष के छात्र आनंद कुमार पासवान, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के द्वितीय वर्ष के छात्र आनंद श्रेष्ठ शामिल थे.

क्या ‘रुद्र’ रोवर चंद्रयान-4 में इस्तेमाल किया जाएगा?

हां, ‘रुद्र’ रोवर का निर्माण इसरो के चंद्रयान-4 मिशन के लिए किया गया है और यह चंद्रमा से सैंपल लाने में मदद करेगा।

‘रुद्र’ रोवर के मुख्य फीचर्स क्या हैं?

‘रुद्र’ रोवर अंधेरे में काम कर सकने वाले कैमरे के साथ है, और यह 40 किलोग्राम से कम वजन में है। इसमें रोबोटिक आर्म, गड्ढों को पार करने की क्षमता, और अन्य महत्वपूर्ण विशेषताएं शामिल हैं।

इसरो की प्रतियोगिता में बीआईटी सिंदरी को कौन सा स्थान मिला?

बीआईटी सिंदरी की टीम ने इसरो की प्रतियोगिता में 146वां स्थान हासिल किया है, जिसमें देश भर से 60 हजार प्रतिभागियों ने भाग लिया था।

‘रुद्र’ रोवर का निर्माण किसने किया?

‘रुद्र’ का निर्माण बीआईटी सिंदरी की आदिशक्ति टीम ने किया है, जिसमें सेकेंड ईयर के छात्रों ने आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए इसे तैयार किया है।

रोवर के पार्ट्स कहां बनाए गए हैं?

‘रुद्र’ के सभी पार्ट्स बीआईटी सिंदरी के लैब में बनाए गए हैं, जिसमें सीएनसी मशीन और रोबोटिक लैब का इस्तेमाल किया गया है।

इसे भी पढ़ें

बीआईटी सिंदरी के छात्रों ने दिव्यांगों के लिए बनाई अनोखी ट्राइसाइकिल, चोरी से बचाने के लिए पासवर्ड स्टार्ट डिवाइस

धनबाद : बीआइटी सिंदरी के 900 छात्रों को मिली जॉब, इन 50 कंपनियों ने किया ऑफर

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें