धनबाद : पूरे जिला में कोयला चोरी चरम पर है. निरसा कोयलांचल भी इसमें पीछे नहीं है. डुमरीजोड़ हादसा इसका सबूत है. खनन माफिया क्षेत्र में प्रतिदिन हजारों टन कोयला की चोरी कर रहे हैं. यह कोयला खनन स्थलों से डिपो अथवा उद्योग तक पहुंचाने में बाइक, स्कूटर, ट्रैक्टर व साइकिल का सहारा लिया जाता है.
बताया जाता है कि कोयला माफिया इस कार्य के लिए कोयला चोरों को तरह-तरह का ऑफर देते हैं. एक अनुमान के मुताबिक, निरसा क्षेत्र में चोरी का कोयला ढोने में करीब 10000 मोटरसाइकिलें लगी हैं. धंधे से जुड़े सूत्र बताते हैं कि एक बाइक को प्रतिदिन 1000-1500 रुपये भुगतान किया जाता है. यही वजह है कि कोयला चोर ढुलाई में नयी बाइक के इस्तेमाल से गुरेज नहीं करते हैं. पिछले दिनों चिरकुंडा के डुमरीजोड़ में हुए हादसे के बाद तस्करी पर थोड़ा-बहुत ब्रेक लगा है.
बाइक लेने के बाद उसके मॉडल में बदलाव किया जाता है. यदि टंकी फ्लैट नहीं है, तो सबसे पहले टंकी को ठोक कर फ्लैट कर दिया जाता है. इसके बाद सीट हटा कर वहां लोहा का चदरा लगाया जाता है. एक की जगह दोनों ओर तीन-तीन शॉकर लगाये जाते हैं. यदि बाइक चोरी की है, तो हैंडल के पास पंच चेचिस नंबर को वेल्डिंग कर मिटा दिया जाता है. इसके बाद एक बाइक से लगभग तीन क्विंटल कोयला ढोया जाता है.
पूर्व में कोयला ढोने वाले रेट तय करते थे, लेकिन वर्तमान में सिस्टम में बदलाव किया गया है. अवैध खदान संचालक कोयला का रेट तय करते हैं. बाइक वाले को प्रतिट्रिप ढुलाई मिलती है. रेट बोरा व दूरी के हिसाब से तय होता है. प्रति बोरा 30 से 50 रुपया भुगतान किया जाता है. वहीं, दूसरी ओर स्कूटर से लगभग पांच क्विंटल कोयला ढोया जाता है. पूरे निरसा क्षेत्र में लगभग 10 हजार बाइक व स्कूटर कोयला ढोने में लगे हुए हैं. सिर्फ मुगमा व गलफरबाड़ी क्षेत्र में चार हजार बाइक सवार यह काम कर रहे हैं.
गलफरबाड़ी क्षेत्र में बाइक व स्कूटर की जगह ट्रैक्टर से कोयला की ढुलाई अधिक होती है. यहां डुमरीजोड़ हादसा होने पर दो दिन काम बंद था. रविवार से फिर काम शुरू हुआ है. गलफरबाड़ी से दुधियापानी स्थित उद्योगों में कोयला ढोने में लगभग 70 ट्रैक्टर लगे हुए हैं. ट्रैक्टर का भाड़ा प्रति ट्रिप 1200-1500 रुपये तय है. वहीं, मुगमा में 30-40 ट्रैक्टरों से कोयला ढुलाई हो रही है. एक ट्रैक्टर दिन भर में 10-12 ट्रिप कोयला ढोता है. ट्रैक्टर ट्रेलर की क्षमता तीन से साढ़े तीन टन होती है.
वैसे तो साइकिल का प्रयोग काफी कम हो गया है, क्योंकि इसमें समय काफी लगता है. अब नदी किनारे तक बाइक व स्कूटर पहुंच जाते हैं. इसके बाद भी जहां भी साइकिल से कोयला ढोया जा रहा है, निरसा से कालूबथान क्षेत्र में कोयला ले जाने के लिए कुड़कुड़ी रेलवे ओवरब्रिज के बाद काफी ऊंचाई है. कालूबथान या पाथरकुआं क्षेत्र में साइकिल ढकेलने के एवज में उन्हें 80-100 रुपये प्रति ट्रिप मिलता है. सांगामहल से कालूबथान क्षेत्र में कोयला ढोने वालों की कमाई भी अच्छी-खासी हो जाती है.
Posted By: Sameer Oraon