धनबाद: वृद्धावस्था पेंशन में हुए फर्जीवाड़ा का ढाई माह बाद भी जांच नहीं हो पायी पूरी, जानें पूरा मामला

धनबाद के गोविंदपुर में वृद्धावस्था पेंशन में फर्जीवाड़ा का मामला उजागर होने के बाद भी अब तक जांच नहीं पूरी हो सकी है, जबकि इस घटना के ढाई माह बीत चुके हैं. प्रभात खबर ने 18 फरवरी को इसका खुलासा किया था.

By Prabhat Khabar News Desk | April 26, 2022 2:07 PM

धनबाद : गोविंदपुर प्रखंड में वृद्धावस्था पेंशन में फर्जीवाड़ा का मामला उजागर होने के ढाई माह बीत जाने के बाद भी अभी तक जांच पूरी नहीं हो सकी हैं. कितने अयोग्य लोगों को पेंशन की सूची से हटाया गया या कितने योग्य पाये गये. इसकी जांच अब भी जारी है. प्रखंड विकास पदाधिकारी संतोष कुमार के अनुसार जांच में अभी वक्त लगेगा. बता दें कि प्रभात खबर ने 18 फरवरी के अंक में ‘बिचौलियों ने किया खेल गोविंदपुर प्रखंड में 28-49 वर्ष के लोगों की भी वृद्धा पेंशन मंजूर’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी.

खबर प्रकाशित होने के बाद उपायुक्त संदीप सिंह ने मामले को गंभीरता पूर्वक लेते हुए शीघ्र ही जांच रिपोर्ट समर्पित करने का निर्देश गोविंदपुर के प्रखंड विकास पदाधिकारी को दिया था. उन्होंने अन्य प्रखंडों से भी जांच रिपोर्ट मांगी थी ताकि कहीं गड़बड़ी हुई हो तो उसका खुलासा हो सके.

हेमंत सोरेन सरकार ने अधिक से अधिक लोगों तक सरकारी योजना का लाभ मिले. इसके तहत आपके अधिकार, आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम चलाया था. पंचायत स्तर पर कैंप लगाकर लोगों की जन समस्याएं सुनी गयी थी. योजनाओं की जानकारी दी गयी थी व ऑन स्पॉट दर्जनों समस्याओं का समाधान भी किया गया था. कैंप के दौरान ही बिचौलियों ने 28-49 वर्ष के लोगों के आधार कार्ड में एडिट कर वृद्धावस्था पेंशन मंजूर करा लिये थे.

गोविंदपुर प्रखंड के तिलैया पंचायत से मामला उजागर हुआ था. ‘प्रभात खबर’ ने आधा दर्जन से अधिक ऐसे लोगों का नाम उल्लेख करते हुए खबर प्रकाशित की थी, जिनकी पेंशन मंजूर कर ली गयी थी. बिचौलियों को तीन – तीन हजार रिश्वत देकर पेंशन मंजूर कराने का भी मामला उजागर हुआ था. खबर प्रकाशित होने के बाद प्रखंड विकास पदाधिकारी ने प्रभारी प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी के नेतृत्व में एक जांच कमेटी बनायी थी.

गांव-गांव जा कर नहीं हुई जांच :

पंचायत सचिव एवं मुखिया के सहयोग से जांच टीम को हर पंचायत के गांव-गांव में जाकर जांच करनी थी. सूत्रों के अनुसार टीम जब गांव, पंचायत गयी ही नहीं. तब बीडीओ ने आवेदनों का बंडल बनवाकर पंचायत सचिवों को जांच के लिए दे दिया.

इस मामले को लेकर बीडीओ ने तिलैया पंचायत के पंचायत सचिव, मुखिया व कंप्यूटर ऑपरेटर को सो-कॉज भी किया था. तीनों ने सो-कॉज का जवाब व पंचायत सचिवों ने जांच के बाद आवेदनों को पुनः प्रखंड कार्यालय में जमा करा दिया. इसके बाद पुनः प्रखंड कार्यालय की ओर से इसकी जांच की जा रही है . आवेदनों में संलग्न कागजातों को मूल कागजातों के साथ मिलाया जा रहा है. फिलवक्त जांच में कितने मामले सामने आये के जवाब में बीडीओ ने कहा कि 10 हजार आवेदनों की जांच की जा रही है. अभी काफी वक्त लगेगा.

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