17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

धनबाद में जीएसटी चोरी, फर्जी कंपनियों के नाम से इ-वे बिल जारी करने का चल रहा खेल, ऐसे लगाते हैं सरकार को चूना

धनबाद में जीएसटी चोरी का मामला सामने आया है. मामला ये है कि कोयलांचल में फर्जी कंपनियों के नाम से इ-वे बिल जारी कर चोरी का कोयला तथा लोहा खपाने का धंधा धड़ल्ले से चल रहा है. इस मामले में 156 फर्जी कंपनियों को चिह्नित कर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) महानिदेशालय जांच कर रहा है.

gst evasion in dhanbad धनबाद : धनबाद कोयलांचल में फर्जी कंपनियों के नाम से इ-वे बिल जारी कर चोरी का कोयला तथा लोहा खपाने का धंधा धड़ल्ले से चल रहा है. यूं कहें कि फर्जी इ-वे बिल से बड़े पैमाने पर जीएसटी की चोरी की जा रही है. ऐसी 156 फर्जी कंपनियों को चिह्नित कर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) महानिदेशालय जांच कर रहा है.

अब तक 29 कंपनियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की जा चुकी है. विभिन्न थानों में दर्ज मामलों में इन कंपनियों पर 144 करोड़ की जीएसटी चोरी का आरोप है. आरोप है कि धनबाद का पांडेय, ओझा तथा अंसारी ग्रुप फर्जी कंपनियों के नाम से इ-वे बिल जेनेरेट करता है. यह ग्रुप 200 से लेकर 300 रुपये प्रति टन तक पैसा वसूलता है. यह राशि कोयला की दर पर निर्भर करती है.

गिरोह इस इ-वे बिल से दो नंबर का कोयला या लोहा दूसरे जिलाें तथा राज्यों में भेजता है. बीते नौ सितंबर को धनबाद शहर के गाेल बिल्डिंग के पास सपना इंटरप्राइजेज का मामला पकड़ में आया था. वहां से एक ट्रक कोयला पकड़ाया था. इसमें पांडेय गिरोह का नाम सामने आया. इससे पहले भी पांडेय गिरोह से जुड़ी कई फर्जी कंपनियों पर एफआइआर दर्ज की जा चुकी है. सपना इंटरप्राइजेज पर 16.16 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी की प्राथमिकी सरायढेला थाना में दर्ज की गयी थी.

इ-वे बिल पर 5000 करोड़ का कारोबार :

फर्जी कंपनियों ने इ-वे बिल पर लगभग 5000 करोड़ का दो नंबर का कोयला और लोहा का कारोबार किया है. पहली बार जुलाई 2019 में मामला सामने आया. इसके बाद ही 156 फर्जी कंपनियों के खिलाफ जांच चल रही है. नियम के मुताबिक, सेल किये गये माल का 3बी रिटर्न दाखिल करना होता है. जब कंपनी द्वारा रिटर्न दाखिल नहीं किया गया तो जांच शुरू हुई. जांच में पूरा मामला सामने आया

इन पर टैक्स चोरी की प्राथमिकी

कंपनी टैक्स की चोरी 9

सपना इंटरप्राइजेज 1.92 करोड़

भारत कोल ट्रेडिंग 16.28 करोड़

श्रीराम कोल ट्रेडिंग 1.51 करोड़

पीएस इंटरप्राइजेज 17.00 करोड़

शुभ-लक्ष्मी इंटरप्राइजेज 2.74 करोड़

जानकी कोल ट्रेडिंग कंपनी 23.01 करोड़

मां भवानी इंटरप्राइजेज 5.36 करोड़

तान्या इंटरप्राइजेज 2.87 करोड़

शर्मा इंटरप्राइजेज 2.93 करोड़

मां लक्ष्मी इंटरप्राइजेज 2.89 करोड़

मां काली स्टील 2.16 करोड़

मां कल्याणी ट्रेडिंग कोक 1.35 करोड़

जय मां गायत्री इंटरप्राइजेज 1.10 करोड़

आरके इंटरप्राइजेज 75 लाख

मां शांति ट्रेडिंग कंपनी 96 हजार

जगत जननी इंटरप्राइजेज 84 लाख

शर्मा एंड संस कॉर्पोरेशन 89 हजार

बोकारो स्टील उद्योग —–

जय भवानी इंडस्ट्रीज 5.59 करोड़

गजराज ट्रेडर्स 19 लाख

साईं ट्रेडर्स 1.19 लाख

धनबाद फ्यूल 55 लाख

संजय इंटरप्राइजेज ——-

न्यू हिंदुस्तान सेंटर ——-

अपार्चित ट्रेडर्स 18 लाख

निरसा कोल ट्रेडिंग कंपनी 1.01 करोड़

केआर इंटरप्राइजेज 27.55 करोड़

शिव-शक्ति इंटरप्राइजेज —–

नारायणी ट्रेडर्स 15.90 करोड़

कैसे लगाते हैं सरकार को राजस्व का चूना

दरअसल, रिटर्न भरने से पहले फर्जी कंपनी बंद कर दी जाती है. प्रावधान है कि जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के 72 घंटे के अंदर रजिस्ट्रेशन करना है. सफेदपोश इसका खूब फायदा उठाते हैं. अपने नौकर-चाकर के नाम पर फर्जी कंपनी का रजिस्ट्रेशन करा लेते हैं.

विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से आसानी से गिरोह को रजिस्ट्रेशन नंबर मिल जाता है. जिस माह रजिस्ट्रेशन मिलता है, उसके अगले माह 20 तारीख तक रिटर्न भरना होता है. इसका फायदा उठाते हुए गिरोह रिटर्न भरने से पहले करोड़ों का इ-वे बिल जेनेरेट कर लेता है. इसी इ-वे बिल से दो नंबर का कोयला तथा लोहा दूसरे जिलों और राज्यों में भेजा जाता है. 20 तारीख तक संबंधित कंपनी की रिटर्न फाइल नहीं होती है, तो विभाग जांच शुरू करता है. तब तक फर्जी कंपनियां करोड़ों का इ-वे बिल जेनरेट कर चुकी होती हैं.

कुछ यूं करते हैं खेल

फेक रेंट एग्रीमेंट, आधार कार्ड और पैन नंबर से फर्जी कंपनी बनाकर ऑनलाइन निबंधन कराया जाता है. विभिन्न खदानों से निकाले गये चोरी के कोयला को एक नंबर बनाने के लिए फर्जी कंपनी के नाम से ऑनलाइन इ-वे बिल (परमिट) जेनरेट किया जाता है. उस परमिट से कोयले को या तो राज्य के बाहर भेजा जाता है या स्थानीय भट्ठों में खपाया जाता है.

2017 से चल रहा खेल, आखिर पकड़ में क्यों नहीं आते गड़बड़ी करनेवाले

जीएसटी चोरी का खेल वर्ष 2017 से चल रहा है. अब तक सैकड़ों फर्जी कंपनियां करोड़ों का इ-वे बिल जेनरेट कर दो नंबर का कोयला-लोहा खपा चुकी हैं. लेकिन आज तक गिरोह का किंगपिन नहीं पकड़ा गया. न ही गोरखधंधे से जुड़े दूसरे लोग गिरफ्तार किये गये. पिछले साल जीएसटी चोरी मामले में सत्यनारायण सिन्हा नामक एक व्यक्ति को पकड़कर पुलिस जेल भेजी थी. सत्यनारायण रिहा हो चुका है.

वहीं फर्जी कंपनी के नाम से इ-वे बिल जेनरेट करनेवाले गिरोह का सरगना खुलेआम घूम रहा है. ऐसी बात नहीं कि पुलिस या विभाग के पदाधिकारी को गिरोह के सरगना की जानकारी नहीं है. न तो पुलिस पहल कर रही है और न ही विभाग.

सपना इंटरप्राइजेज मामले की जीएसटी सेंट्रल ने शुरू की जांच

सपना इंटरप्राइजेज नामक कंपनी ने अगस्त 2021 में रजिस्ट्रेशन कराया. उसने एक माह में ही 16.16 करोड़ का परमिट (इ-वे बिल) ऑनलाइन जेनरेट कर लिया. बिल पर दो नंबर का कोयला-लोहा दूसरे राज्यों में खपाया गया. जांच की गयी तो कंपनी फर्जी निकली. अब जीएसटी सेंट्रल की टीम मामले की जांच कर रही है.

Posted By : Sameer Oraon

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें