धनबाद : कोयला चोरों के आगे पुलिस-प्रशासन बेबस नजर आ रहे हैं. ऐसा लगता है कि कोयला चोरों का सिंडिकेट जो कुछ चाहेगा, वही होगा. इसका ताजा उदाहरण खरखरी ओपी के सिपाही संतोष राम की पिटाई के मामले में देखने को मिला है. सिपाही की पिटाई के बाद सैप के जवानों ने घेराबंदी कर बांसजोड़ा बस्ती के जिन तीन कोयला चोरों को पकड़ा था, खरखरी पुलिस ने मंगलवार की देर रात पूछताछ के बाद उन्हें छोड़ दिया. परिसर में सिपाही संतोष राम की बेरहमी से पिटाई की यह घटना दिनदहाड़े हुई थी.
एएसआइ सत्येंद्र सिंह घटना के गवाह हैं. उस वक्त ओपी में ये दोनों ही मौजूद थे. सिपाही के चीखने-चिल्लाने पर सत्येंद्र सिंह दौड़कर बचाने आये थे. बावजूद पुलिस के वरीय अधिकारियों द्वारा कोयला चोरों को छोड़ने का आदेश समझ से परे है. इस मामले में पूछे जाने पर ओपी प्रभारी दिनेश मुंडा ने कहा कि फिलहाल घटना की जांच चल रही है. जांचोपरांत आवश्यक कार्रवाई की जायेगी.
पूरे मामले में कोयला चोर शुरू से ही पुलिस पर हावी रहे. प्रकरण ने कोयला चोरों व सिंडिकेट से पुलिस के याराना की पोल-पट्टी खोलकर रख दी है. आखिर पुलिस पर हमला करने वालों को छोड़ना कौन-सी मजबूरी थी. दीगर यह कि सिपाही की पिटाई के मामले में खरखरी ओपी पुलिस ने कांड तक अंकित करना जरूरी नहीं समझा.
यही नहीं, पुलिस साफ-साफ कुछ भी बताने से परहेज कर रही है. पत्रकारों के कई बार पूछे जाने पर भी पुलिस अधिकारियों ने मंगलवार को आरोपियों के नाम नहीं बताये थे. बताते चलें कि पुलिस द्वारा 10 बोरा कोयला जब्ती के विरोध में चार युवकों ने ओपी परिसर में घुसकर सिपाही की पिटाई कर दी थी. जवान को ओपी परिसर से घसीट-घसीट कर पीटा गया. सैप जवानों ने चार में से तीन आरोपियों को पकड़ लिया था.
बचाव में तर्क
बाघमारा एसडीपीओ कह रहीं कि सिर्फ बहस हुई थी
…तो सच से इंकार क्यों
खरखरी ओपी परिसर में क्यों बुलानी पड़ी थी तीन थानों की पुलिस
खरखरी ओपी में सिपाही के साथ मारपीट का मामला सामने आया था. उसमें अभी अनुसंधान किया जा रहा है. अनुसंधान पूरा होने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जायेगी.
रिष्मा रमेशन, ग्रामीण एसपी
खरखरी ओपी में वैसी घटना नहीं हुई थी, जैसा कि बताया जा रहा है. सिर्फ बहसा-बहसी हुई थी. इस कारण पूछताछ के बाद युवकों को छोड़ दिया गया. वैसे मामले की जांच-पड़ताल जारी है.
निशा मुर्मू, एसडीपीओ, बाघमारा
Posted By: Sameer Oraon