धनबाद में आज तक किसी भी निर्दलीय ने नहीं दर्ज की जीत, BJP और कांग्रेस का रहा है दबदबा, जानिए पूरी हिस्ट्री

Jharkhand Election 2024 : धनबाद विधानसभा की सीट आज तक किसी भी निर्दलीय ने जीती है. इस सीट पर आठ बार कांग्रेस और पांच बार बीजेपी ने जीत दर्ज की है.

By Kunal Kishore | November 18, 2024 11:13 AM

Jharkhand Election 2024 : कोयलांचल खासकर धनबाद जिला की राजनीति में राष्ट्रीय एवं बड़े क्षेत्रीय दलों का ही ज्यादा प्रभाव रहा है. यहां मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) को छोड़ कोई भी छोटा दल अब तक अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाया है. धनबाद जैसे सीट से तो आजादी के बाद से आज तक किसी भी निर्दलीय प्रत्याशी को जीत नहीं मिल पायी है. हालांकि, एक-दो चुनाव में कुछ निर्दलीय प्रत्याशियों ने यहां बड़े दलों का खेल बिगाड़ने का जरूर प्रयास किया है.

80 के दशक में वामदलों का प्रभाव हुआ कम

आजादी के बाद धनबाद जिले की राजनीति में पहले कांग्रेस, वाम दलों एवं स्थानीय राज परिवारों द्वारा बनाये गये दलों का प्रभाव था. धीरे-धीरे राजघरानाें का प्रभाव कम होता गया. 80 के दशक के बाद यहां वाम दलों का भी प्रभाव कम होने लगा. कांग्रेस, भाजपा एवं जनता दल (बाद में राजद), झामुमो ने अलग-अलग क्षेत्रों में अपना प्रभाव बढ़ाना शुरू किया. इस दौरान वाम दलों में सिर्फ मासस, फॉरवर्ड ब्लॉक का निरसा एवं सिंदरी विधानसभा क्षेत्र में प्रभाव रह गया था. भाजपा की ताकत बढ़ने के बाद कांग्रेस, मासस जैसी पार्टियां भी चुनावी राजनीति में पिछड़ने लगीं. इस चुनाव में भी कुछ छोटे दल और कुछ निर्दलीय प्रत्याशी अपनी ताकत दिखाने की तैयारी में है.

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धनबाद सीट से आठ बार कांग्रेस और पांच बार भाजपा को मिल चुकी है जीत

धनबाद विधानसभा की बात करें तो यहां 1952 से 2019 के बीच हुए 15 चुनाव में हमेशा मुकाबला बड़े दलों के प्रत्याशियों के बीच होता रहा है. इन 15 चुनावों में आठ बार कांग्रेस, पांच बार भाजपा, सीपीआई एवं बीकेडी (भारतीय क्रांति दल) को एक-एक बार सफलता मिली है. धनबाद में कभी निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत पाये हैं. साथ ही यहां कोई महिला भी अब तक विधायक नहीं बन पायी हैं. सभी 15 बार पुरुषों ने ही इस सीट पर सफलता पायी है. अलग झारखंड राज्य बनने के बाद हुए चार चुनावों में धनबाद में मुकाबला कांग्रेस एवं भाजपा के बीच ही होता रहा है. इसमें तीन बार भाजपा तथा एक बार कांग्रेस जीती है.

धनबाद जिला में छोटे दलों में सिर्फ मासस दिखाती रही है अपनी ताकत

धनबाद जिला में छोटे दलों में मासस अपनी ताकत दिखाती रही है. माकपा से निष्कासित होने के बाद 1972 में एके राय ने मासस की स्थापना की और सिंदरी से विधायक बने. फिर 1985 में बिनोद बिहारी महतो के लिए मासस ने सीट छोड़ दी. मासस के समर्थन से बिनोद बाबू सिंदरी से विधायक बने. सिंदरी विधानसभा क्षेत्र से मासस प्रत्याशी आनंद महतो चार बार विजयी रहे. निरसा विधानसभा सीट पर भी मासस का उम्दा प्रदर्शन रहा है. यहां आठ चुनावों में मासस जीत का परचम लहराने में सफल रही. इस विधानसभा चुनाव से पहले मासस का भाकपा माले में विलय हो गया है.

झामुमो, आजसू को छोड़ किसी भी क्षेत्रीय दल का नहीं रहा है प्रभाव

धनबाद जिला में संयुक्त बिहार या अलग झारखंड राज्य बनने के बाद कई छोटे दलों ने अपना प्रभाव बनाने की कोशिश की. लेकिन, झारखंड मुक्ति मोर्चा और आजसू को छोड़ अन्य किसी भी दल का चुनावी राजनीति में कभी प्रभाव नहीं दिखा. दोनों पार्टी टुंडी सीट को छोड़ कर दूसरी सीटों से आज तक नहीं जीत पायी है. इस बार भी झामुमो महागठबंधन के तहत सिर्फ टुंडी सीट से ही चुनाव लड़ रही है. बाकी दलों पर सहयोगी दलों को ही समर्थन कर रही है. आजसू ने भाजपा के साथ गठबंधन में 2014 में टुंडी विधानसभा से जीत हासिल की थी.

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