धनबाद: नौ साल बीत गये, लेकिन हीरापुर के तेलीपाड़ा में झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) की ओर से बनाये गये सबस्टेशन से अबतक बिजली सप्लाई शुरू नहीं हो सकी है. जेबीवीएनएल के अधिकारियों के अनुसार सबस्टेशन से लगभग आधे किलोमीटर तक के इलाके में 33 केवीए ट्रांसमिशन लाइन बिछाने का कार्य शेष बचा है.
वन विभाग से क्लियरेंस नहीं मिलने के कारण सबस्टेशन तक ट्रांसमिशन लाइन बिछाने का कार्य रूका हुआ है. साल 2013 में कांग्रेस की सरकार में रहे तत्कालीन मंत्री मन्नान मल्लिक ने हीरापुर के तेलीपाड़ा में सबस्टेशन की नींव रखी थी. जेबीवीएनएल ने सबस्टेशन निर्माण कार्य शुरू किया गया था. राज्य सरकार बदलते ही सबस्टेशन निर्माण की गति धीमी पड़ गयी. करीब चार करोड़ रुपये की लागत से सबस्टेशन बनाया गया है.
शुरुआत में जेबीवीएनएल की ओर से करमाटांड़ के रास्ते दोमोदरपुर होते हुए तेलीपाड़ा तक 33 केवीए ट्रांसमिशन लाइन बिछाने की योजना बनायी गयी थी. करमाटांड़ होते हुए दामोदरपुर तक 33 केवीए अंडरग्राउंड केबलिंग का काम पूरा कर लिया गया था. साल 2018 में दामोदरपुर के ग्रामीणों ने अंडरग्राउंड केबलिंग कार्य का विरोध कर दिया.
करीब एक साल के बाद साल 2019 में जेबीवीएनएल ने ट्रांसमिशन लाइन बिछाने के रूट में बदलाव करने का निर्णय लिया. प्रक्रिया चल ही रही थी कि साल 2020 में कोरोना के कारण सबस्टेशन निर्माण पर ब्रेक लग गया. हालांकि, 2021 में कोरोना का प्रकोप कम होने के बाद सबस्टेशन तक बिछाये जाने वाले 33 केवीए ट्रांसमिशन लाइन के रूट में बदलाव किया गया. करमाटांड़ से रेलवे लाइन किनारे होते हुए सबस्टेशन तक लाइन बिछाने का निर्णय लिया गया.
2019 में तेलापाड़ा में सबस्टेशन बनकर तैयार है. निर्माण का कार्य गाजियाबाद की कंपनी गाजियाबाद जीएसपी को सौंपा गया था. तीन साल पहले कंपनी की ओर से सबस्टेशन का कार्य पूरा कर जेबीवीएनएल को हैंड ओवर कर दिया गया है.
हीरापुर तेलीपाड़ा स्थित बने सबस्टेशन में वर्तमान में ताला लगा हुआ है. इस वजह से सबस्टेशन में झाड़ियां उगने लगी है. सबस्टेशन की सुरक्षा के लिए बनायी गयी चहारदीवारी भी कुछ जगहों से क्षतिग्रस्त होने लगी है. वहीं कई उपकरण पड़े-पड़े खराब होने लगे हैं.
तेलीपाड़ा सबस्टेशन को गोविंदपुर के कांड्रा में बने नेशनल ग्रीड से बिजली मिलेगी. इसके लिए तेलीपाड़ा सबस्टेशन को कांड्रा नेशनल ग्रीड से जोड़ा गया है. ऐसे में तेलीपाड़ा सबस्टेशन से बिजली सप्लाई शुरू होने के साथ ही डीवीसी पर निर्भरता भी समाप्त हो जायेगी. शहर को बिजली का नया विकल्प मिल जायेगा.