रांची : धनबाद अंचल के आमाघाटा मौजा में रह रहे रैयतों को सोमवार को बड़ी राहत मिली. झारखंड हाइकोर्ट ने तत्कालीन उपायुक्त उमाशंकर सिंह द्वारा गैर आबाद के नाम पर यहां कई भू-खंडों को खाली कराने की कार्रवाई को निरस्त कर दिया है. साथ ही कहा है कि केवल नोटिस जारी कर प्रशासन एकतरफा कार्रवाई नहीं कर सकता.
ऐसे भू-खंडों पर अपना स्वामित्व साबित करने के लिए प्रशासन को भी सिविल सूट दायर करना होगा. इस मामले में धनबाद जिला प्रशासन ने कुल 21.04 एकड़ सरकारी भूखंड बेचने के आरोप को जांच में सही पाया था. प्रशासन की कार्रवाई की जद में कई बड़ी हस्तियां भी आयी थीं.
इसमें कोयला व्यवसायी कुंभनाथ सिंह, जमीन कारोबारी भुवनेश्वर यादव, बिल्डर पप्पू सिंह, अनिल सिंह आदि के नाम शामिल हैं. प्रशासन की जांच में कहा गया था कि बंदोबस्त पर्चा में गड़बड़ी कर जमीन की अवैध खरीद-बिक्री हुई थी. कुछ पर्चा में अनुमंडल पदाधिकारी का नाम था, तो मुहर अंचल कार्यालय का था. इसी तरह हुक्मनामा के आधार पर भी कुछ जमीन की खरीद-बिक्री हुई थी.
झारखंड हाइकोर्ट ने सोमवार को वाद संख्या 1026/2021 मामले में फैसला सुनाया. न्यायमूर्ति राजेश शंकर की अदालत ने जसवंत लाल शर्मा, मेनका देवी एवं अन्य बनाम राज्य सरकार मामले में जिला प्रशासन की कार्रवाई को खारिज कर दिया.
अदालत ने धनबाद जिला प्रशासन द्वारा की गयी कार्रवाई को गलत बताया. इससे पूर्व 24 मार्च 2021 को अदालत ने आमाघाटा मौजा में किसी भी भू-खंड को खाली कराने तथा याचिकाकर्ताओं के खिलाफ किसी प्रकार की विध्वंसक एवं दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी थी. अदालत ने राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था. साथ ही इस दौरान मेनका देवी एवं अन्य के निर्माण को किसी प्रकार की क्षति न पहुंचाते हुए किसी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई करने से रोक लगा दी थी.
केवल नोटिस जारी कर प्रशासन एकतरफा कार्रवाई नहीं कर सकता
अपना दावा साबित करने के लिए प्रशासन को भी सिविल सूट में जाना होगा
रैयत जसवंत लाल शर्मा के अधिवक्ता शैलेश सिंह ने बताया कि हाइकोर्ट ने सुनवाई के दौरान साफ-साफ कहा कि राज्य सरकार केवल गैर आबाद खाता बता कर किसी भू-खंड को खाली नहीं करा सकती. आमाघाटा मामले में भी केवल नोटिस जारी कर कई भू-खंडों को खाली कराया गया. प्रशासन को भी यह साबित करना होगा कि जमीन सरकारी है. सिविल सूट में जाना होगा.
शैलेश कुमार सिंह ने अदालत को बताया कि आमाघाटा में स्क्रैप का गोदाम था. दो मार्च 2021 को जमीन पर अवैध कब्जे का हवाला देते हुए नोटिस जारी किया था. पूर्व में अदालत ने इस मामले में अतिक्रमण की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी, लेकिन प्रार्थी के गोदाम को तोड़ दिया गया. सरकार ने कहा कि इस जमीन से सड़क बनाने का प्रस्ताव है.
याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि यह जमीन भूदेव चंद्र महतो की थी, जिससे प्रार्थी ने खरीदी थी. इसलिए अतिक्रमण नहीं माना जा सकता है. इसके बाद अदालत ने अतिक्रमण के नोटिस सहित सभी प्रकार की कार्रवाई को रद्द कर दिया. अदालत ने कहा कि अगर सरकार को लगता है कि उक्त जमीन सरकारी है, तो वह इसके लिए निचली अदालत में सिविल विवाद (टाइटल शूट) दाखिल कर सकती है.
Posted By: Sameer Oraon