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Lok Sabha Election: धनबाद में भाजपा के मजबूत होने के बाद मजदूर नेताओं की धार कुंद पड़ी

झारखंड में धनबाद लोकसभा सीट भाजपा के लिए सबसे सेफ सीट मानी जाती है. पिछले आठ लोकसभा चुनाव में सात बार यहां से भाजपा विजयी हुई है.

मतदाताओं की संख्या के दृष्टिकोण से धनबाद झारखंड का सबसे बड़ा लोकसभा क्षेत्र है. धनबाद लोकसभा क्षेत्र का गठन आजादी के बाद हुए पहले चुनाव के दौरान ही हुआ. पहली बार वर्ष 1952 में यहां चुनाव हुआ. भाजपा ने धनबाद, गिरिडीह और चतरा को छोड़ सभी सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दी है. धनबाद में इस बार प्रत्याशी का चेहरा बड़ा फैक्टर होगा. इंडिया गठबंधन अगर किसी दमदार चेहरा को यहां से उतारता है, मुकाबला रोचक हो सकता है. यहां शहरी से ज्यादा ग्रामीण मतदाता हमेशा भारी रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्र में जिसकी चलेगी वही सिकंदर बन सकते हैं. मजदूर बहुल धनबाद के संसदीय इतिहास में पहले मजदूर नेताओं की खूब चलती थी. जिनके साथ मजदूर होते थे, वही चुनाव में बाजी मारते थे. यहां से तीन-तीन बार सांसद रहे एके राय, राम नारायण शर्मा, शंकर दयाल सिंह, चंद्रशेखर उर्फ ददई दुबे की गिनती कद्दावर मजदूर नेताओं में होती थी. भाजपा के मजबूत होने के बाद मजदूर नेताओं की धार कुंद पड़ गयी. भाजपा की टिकट पर चार बार चुनाव जीत कर सांसद बनने वालीं प्रो रीता वर्मा का मजदूर राजनीति से कभी कोई लेना-देना नहीं रहा. इसी तरह पिछले तीन बार से यहां के सांसद पशुपति नाथ सिंह (पीएन सिंह) भी हमेशा मजदूर राजनीति से अलग रहे. रिपोर्ट संजीव झा की.

भाजपा व कांग्रेस प्रत्याशियों पर सबकी नजरें

झारखंड में धनबाद लोकसभा सीट भाजपा के लिए सबसे सेफ सीट मानी जाती है. पिछले आठ लोकसभा चुनाव में सात बार यहां से भाजपा विजयी हुई है. भगवा गढ़ बन चुकी इस सीट पर भाजपा के विजयी रथ को रोकना इंडिया गठबंधन के लिए बड़ी चुनौती होगी. इस बार दोनों ही दलों के प्रत्याशियों पर सबकी नजरें होंगी. प्रत्याशी के चेहरा तथा धरातल पर गठबंधन की मजबूती कई मिथक को तोड़ सकती है. भाजपा एवं कांग्रेस दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों में रायशुमारी हो चुकी है.

90 के दशक में यहां मजबूत हुई भाजपा

धनबाद लोकसभा सीट के लिए हुए पहले तीन चुनाव में यहां से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रत्याशी विजयी हुए. चौथे चुनाव में यहां से रानी ललिता राजलक्ष्मी एक निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विजयी हुई. फिर कांग्रेस जीती. जेपी आंदोलन के बाद वर्ष 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में मासस के संस्थापक एके राय पहली बार चुनाव जीते. वह तीन बार यहां से सांसद रहे. हालांकि बीच में (1984 में) कांग्रेस की लहर में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा. 1991 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यहां से शहीद एसपी रणधीर प्रसाद वर्मा की पत्नी प्रो रीता वर्मा को चुनाव मैदान में उतारा. सहानभूति लहर पर सवार हो कर प्रो वर्मा ने पहली बार यहां भाजपा को विजयी दिलायीं. प्रो रीता वर्मा लगातार चार बार यहां से सांसद बनीं. यह अब तक का रिकॉर्ड है. 2004 के चुनाव में कांग्रेस के चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे ने भाजपा के विजयी रथ को रोका. 2009 के चुनाव में भाजपा ने यहां से पूर्व मंत्री पीएन सिंह को चुनाव मैदान में उतारा. श्री सिंह ने भाजपा की इस सीट पर वापसी करायी. लगातार तीन चुनाव से जीत चुके हैं. 90 के दशक में भाजपा ने अपनी मजबूत पकड़ बनानी शुरू की. वह अब भी बरकरार है.

वाम दलों के अलग होने से बढ़ी टेंशन

धनबाद में वाम चेहरा का एक प्रमुख हिस्सा माने जाने वाली मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) इस बार विपक्षी गठबंधन से अलग राह पकड़ चुकी है. पिछली बार वाम दलों ने यहां कांग्रेस प्रत्याशी को समर्थन दिया था. लेकिन, विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-झामुमो गठबंधन ने मासस का साथ नहीं दिया. लिहाजा, पार्टी सिंदरी एवं निरसा सीट पर पराजित हो गयी. इस बार मासस ने सबसे पहले अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी है. वाम दलों के अलग होने से इंडिया गठबंधन के लिए टेंशन बढ़ गया है. धनबाद के तीन विधानसभा सीटों पर वाम दलों की अच्छी पकड़ है. लोकसभा चुनाव के दौरान इन तीनों क्षेत्रों जैसे निरसा, सिंदरी एवं चंदनकियारी में वोटिंग का ट्रेंड अलग रहा है.

छह में से पांच विधानसभा सीट पर भाजपा का कब्जा

धनबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत छह विधानसभा क्षेत्र धनबाद, झरिया, सिंदरी, निरसा, बोकारो एवं चंदनकियारी हैं. इसमें से झरिया को छोड़ सभी पांच विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है. भाजपा के राज सिन्हा धनबाद, सिंदरी से इंद्रजीत महतो, बोकारो से बिरंची नारायण तथा चंदनकियारी से अमर कुमार बाउरी विधायक है. झरिया से कांग्रेस की पूर्णिमा नीरज सिंह विधायक हैं. यहां टिकट के लिए सबसे ज्यादा मारामारी भी भाजपा में ही है. पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी पीएन सिंह को यहां 66 फीसदी से भी अधिक मत मिले. इस गैप को पाटना किसी भी दल के लिए बड़ी चुनौती होगी. अभी इस लोकसभा सीट में कुल 2539 बूथ हैं.

एयरपोर्ट, झरिया पुनर्वास विस्थापितों का नियोजन बनेंगे प्रमुख चुनावी मुद्दे

धनबाद लोकसभा चुनाव में इस बार एयरपोर्ट का मुद्दा गरमाया रहेगा. प्रति वर्ष अरबों रुपये का राजस्व देने वाले धनबाद जिला में कोई एयरपोर्ट नहीं है. यहां एयरपोर्ट को लेकर समय-समय पर आंदोलन होता रहा है. धनबाद लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले बोकारो में एक एयरपोर्ट का काम चल रहा है. लेकिन, यह अब तक चालू नहीं हो पाया है. यहां का एक वर्ग एयरपोर्ट को लेकर मुहिम चलाये हुए है. धनबाद में विस्थापन एवं विस्थापितों को नियोजन भी एक बड़ा मुद्दा रहा है. कोयला उद्योग में आउटसोर्सिंग नीति विकसित होने के बाद यहां स्थायी नियोजन बड़ी समस्या बन गयी है. आउटसोर्सिंग परियोजनाओं को ले कर लगातार जमीन अधिग्रहण में समस्या आ रही है. आये दिन किसी न किसी आउटसोर्सिंग कंपनी या बीसीसीएल के किसी प्रोजेक्ट में नियोजन, मुआवजा को लेकर आंदोलन होते रहता है. इस चुनाव में यह बड़ा मुद्दा होगा. जिस पर सभी दलों की नजरें होंगी. धनबाद जिला में प्रदूषण भी एक बड़ी समस्या है. कोयला उद्योग तथा सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था सही नहीं होने के चलते यहां वायु प्रदूषण तय मानक से अधिक रहता है. दो बार केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय यहां पर नये उद्योगों के लगाने पर रोक लगा चुका है. पर्यावरण को संरक्षित रखने तथा प्रदूषण के चलते हो रही बीमारियों का मुद्दा भी कोलियरी क्षेत्रों में गरमाया रहेगा. झरिया पुनर्वास योजना में तेजी तथा अग्नि प्रभावित इलाका के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पुनर्वासित करने तथा उनके लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने का मामला पिछले चुनाव के तरह इस चुनाव में भी छाया रहेगा.

विकास के नये कीर्तिमान तय किये हैं धनबाद ने : पीएन सिंह

सांसद पीएन सिंह ने कहा है कि धनबाद संसदीय क्षेत्र में विकास के अनेक काम किये. इस टर्म में सिंदरी में बंद खाद कारखाना की जगह लगभग 10 हजार करोड़ रुपये की लागत से हर्ल प्लांट का निर्माण कराया गया. यह झारखंड का सबसे बड़ा सरकारी कारखाना है. यहां का औद्योगिक विकास होगा. बैंक मोड़ से पुरुलिया तक वाली सड़क को एनएच का दर्जा दिलाये. बोकारो में गैस रिफिलंग प्लांट लगाया गया. धनबाद एवं बोकारो में पासपोर्ट कार्यालय खुलवाया गया. धनबाद स्टेशन का दक्षिण छोर बना. साथ ही धनबाद का चयन विश्व स्तरीय रेलवे स्टेशन के लिए कराया गया. यहां पाइप लाइन के जरिये घर-घर रसोई गैस की आपूर्ति का काम पूर्ण है. जल्द ही यह काम करने लगेगा. बोकारो के भोजूडीह एवं भागा स्टेशन का चयन अमृत स्टेशन के रूप में हुआ है. इन सबका सौंदर्यीकरण होगा. निरसा, गोविंदपुर जैसी मेगा जलापूर्ति योजनाओं का क्रियान्वयन पूरा हुआ. राजेंद्र सरोवर बेकारबांध का सौंदर्यीकरण अमृत सरोवर के रूप में कराया. बोकारो में एयरपोर्ट का लगभग पूर्ण है. यहां रन-वे, टिकट घर, वेटिंग हॉल आदि बन चुका है. जल्द ही यहां से हवाई सेवा शुरू हो जायेगी. कई ग्रामीण सड़कें बनीं. कुछ सड़कों की हालत तो जीटी रोड से भी अच्छी हुई. हर क्षेत्र में विकास के कार्य हुए.

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