धनबाद जिला चैंबर = यू टर्न चैंबर, कानून-व्यवस्था पर सीएम से मिलने की कही थी बात, न सीएम से मिले न ही गये हाईकोर्ट
पिछले दिनों पुराना बाजार के एक होटल में चैंबर की बैठक हुई. इसमें जिले के तमाम चैंबर के पदाधिकारियों ने भाग लिया. राजकमल मेंशन की ज्वेलरी हाउस में दिनदहाड़े 25 लाख की डकैती व चार कंप्यूटर व्यवसायी से रंगदारी मांगने के मामले पर बैठक में चर्चा की गयी. धनबाद की विधि-व्यवस्था पर सवाल उठाये गये. डकैती कांड का उदभेदन व रंगदारी के मामले में पुलिस की शिथिलता पर मुख्यमंत्री से मिलने का निर्णय लिया गया.
jharkhand news, dhanbad news धनबाद : बिजली हो या सड़क का मामला…व्यवसायियों की समस्या हो या फिर मामला लॉ एंड ऑर्डर का… लगभग हर मामले में चैंबर के पदाधिकारियों की दखल रहती है. वे लगातार बयान भी जारी करते रहते हैं. इसमें जरा भी देर नहीं करते. कभी-कभी ऐसे बयान भी जारी कर देते हैं कि अधिकारी भी स्तब्ध रह जाते हैं. जितनी तेजी में बयान जारी करते हैं, यू टर्न भी उसी गति से ले लेते हैं.
पिछले दिनों पुराना बाजार के एक होटल में चैंबर की बैठक हुई. इसमें जिले के तमाम चैंबर के पदाधिकारियों ने भाग लिया. राजकमल मेंशन की ज्वेलरी हाउस में दिनदहाड़े 25 लाख की डकैती व चार कंप्यूटर व्यवसायी से रंगदारी मांगने के मामले पर बैठक में चर्चा की गयी. धनबाद की विधि-व्यवस्था पर सवाल उठाये गये. डकैती कांड का उदभेदन व रंगदारी के मामले में पुलिस की शिथिलता पर मुख्यमंत्री से मिलने का निर्णय लिया गया.
पर लगभग दो माह बीत गये, मुख्यमंत्री से मिलना तो दूर, धनबाद की विधि व्यवस्था से संबंधित कोई पत्र भी उन्हें नहीं भेजा गया. बैठक में झारखंड प्रोफेशनल टैक्स को लेकर हाइकोर्ट में याचिका दायर करने का भी फैसला लिया गया. इस मामले में भी दो माह बीत जाने के बाद भी कोई पहल नहीं की गयी. बैंक मोड़ चैंबर के पदाधिकारियों भी झारखंड प्रोफेशनल टैक्स के मामले में मुख्यमंत्री से मिलने का निर्णय लिया था. पर उनकी घोषणा सिर्फ सिर्फ प्रेस विज्ञप्ति जारी करने और अखबार तक ही सीमित रह गयी.
अध्यक्ष को पता नहीं, हो गयी चुनाव की घोषणा
बाजार समिति चैंबर में अध्यक्ष नहीं, संरक्षक की ही चलती है. बाजार समिति चैंबर का चुनाव इसका ताजा उदाहरण है. अध्यक्ष विनोद गुप्ता को मालूम भी नहीं था और संरक्षक गुलाब सिंह कुशवाहा ने बाजार समिति चेंबर को भंग करते हुए 19 फरवरी को चुनाव कराने की घोषणा कर दी. अध्यक्ष विनोद गुप्ता ने इसका जोरदार विरोध किया. उन्हाेंने कहा : चैंबर की कब बैठक हुई.
न तो हम बैठक में थे और न ही चुनाव से संबंधित कोई जानकारी मुझे दी गयी. समाचार पत्र में प्रकाशित करने के लिए जो बयान जारी किया गया, उसमें मेरी उपस्थिति भी दिखा दी गयी. मैं चुनाव का विरोधी नहीं हूं, लेकिन अध्यक्ष की अनुमति बिना निर्णय लेना न्यायसंगत नहीं है. चुनाव हो रहा है. बाजार समिति चेंबर के सदस्य के रूप में चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराऊंगा. इधर, संरक्षक गुलाब सिंह कुशवाहा ने कहा : दो और संरक्षकों की मौजूदगी में बैठक की गयी थी. सभी की सहमति से चुनाव की तिथि की घोषणा की गयी है.
जिला चैंबर के महासचिव ने कहा…क्राइम कंट्रोल हो गया, इसीलिए सीएम से मिलने नहीं गये
जिला चेंबर महासचिव अजय नारायण लाल ने कहा : एसएसपी साहब के पदभार लेने के बाद लगातार घटनाएं हो रही थी. दिनदहाड़े डकैती की घटना के बाद कंप्यूटर व्यवसायी से रंगदारी मांगने का मामला भी सामने आ गया था. उदभेदन नहीं हो रहा था. इसलिए मुख्यमंत्री से मिलने का निर्णय लिया गया था. हालांकि उसके बाद क्राइम कंट्रोल हुआ है. कंप्यूटर व्यवसायियों को अब फोन नहीं आ रहा है. डकैती कांड में भी उपलब्धि मिली है.
एसएसपी साहब ने पिछले दिनों व्यवसायियों के साथ बैठक की और उनकी समस्याएं सुनी. निदान का आश्वासन भी दिया है. उन्हाेंने कहा है कि अगर स्थानीय स्तर से मामले का हल नहीं निकलता है, तो आप लोग ऊपर जाकर शिकायत कर सकते हैं. इसलिए मुख्यमंत्री से मिलने का फैसला स्थगित करना पड़ा. झारखंड प्रोफेशनल टैक्स मामले में रांची चैंबर से बात कर हाइकोर्ट में याचिका दायर की जायेगी.
बिजली मामले में आंदोलन किया, चाबी नहीं सौंपी
छह माह पहले बिजली की स्थिति काफी खराब थी. मुश्किल से चार से पांच घंटे ही बिजली मिलती थी. इसे लेकर चैंबर ने बैठक की और चरणबद्ध आंदोलन का फैसला लिया गया. इसमें दुकानें बंद कर मुख्यमंत्री को चाबी सौंपने का भी निर्णय लिया गया. बिजली की लचर व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन चलाया गया. पर मुख्यमंत्री को चाबी सौंपने के निर्णय पर कोई पहल नहीं हुई. हालांकि इसी बीच सरकार की ओर से डीवीसी को पेमेंट होने के बाद बिजली-व्यवस्था कुछ सुधर भी गयी.
Posted By : Sameer Oraon