Jharkhand News, Dhanbad News धनबाद : धनबाद अंचल के आमाघाटा मौजा की मोची बस्ती में वासगीत पर्चा के आधार पर सरकारी जमीन के निजी होने का दावा जांच में फर्जी निकला है. यहां 50 डिसमिल जमीन का गलत हुकुमनामा बना कर 21.04 एकड़ सरकारी जमीन की कई बार खरीद-बिक्री व दाखिल-खारिज (म्यूटेशन) हुआ. कई बार कुछ म्यूटेशन रद्द भी हुए. जिस कोका मांझी व कोका मोची से कोयला कारोबारी कुंभनाथ सिंह, बिल्डर अनिल सिंह, पप्पू सिंह सहित कई ने जमीन खरीदी उसके दस्तावेज फर्जी पाये गये हैं. जालसाजों ने एक ही कलम से एसडीएम, सीओ बन कर हस्ताक्षर भी कर दिया.
आमाघाटा मौजा के खाता नंबर 28 के प्लॉट नंबर 187 एवं 161 में सरकारी जमीन को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए चल रहे अभियान के बीच कोका मोची के परिजनों ने सरकारी वासगीत पर्चा होने का दावा किया था. कहा था कि यह जमीन उन लोगों के नाम वर्ष 1956 में धनबाद के ततत्कालीन एसडीएम ने बंदोबस्त की थी. इसी बंदोबस्ती के आधार पर यहां कई बार जमीन की खरीद-बिक्री हुई.
इस दावे की जांच एडीएम (विधि-व्यवस्था) चंदन कुमार ने डीसीएलआर को करने के लिए कहा था. डीसीएलआर सतीश चंद्रा ने सोमवार को अपनी जांच रिपोर्ट एडीएम को सौंप दी.
जांच टीम ने पाया कि वासगीत पर्चा के संबंध में धनबाद अंचल कार्यालय में उपलब्ध दस्तावेज के अनुसार इसकी जमाबंदी अहलाद महतो के नाम से दर्ज है. लगान रसीद संख्या 3103083 दिनांक 05.09.2003 के जरिये 1.17 डिसमिल जमीन की लगान वसूली अहलाद महतो से हुई है.
जमाबंदी संख्या 120 की उपलब्ध प्रति के अनुसार कोका मोची के नाम जमाबंदी संख्या 120 में प्लॉट नंबर 161, रकबा 1.50 तथा प्लॉट नंबर 187 में 2.20 डिसमिल जमीन का इंद्राज खाता नंबर 28 के लिए अनुमंडल पदाधिकारी धनबाद के आदेश पर 13.01.1989 के लगान लिये जाने की बात कही गयी है. जबकि उपलब्ध जमाबंदी पंजी में वर्ष 1958-59 में ही लगान वसूली का विवरण अंकित है. वर्ष 1958-59 एवं वर्ष 1989 में एक ही हस्ताक्षर दिख रहा है जो कि संभव नहीं है. इसमें धनबाद अंचलाधिकारी के रूप में हस्ताक्षर भी एक ही व्यक्ति द्वारा किया गया है. यह पूरी तरह संदिग्ध है एवं सच से परे है. जमाबंदी को लेकर दावे को जांच टीम ने पूरी तरह से निराधार एवं संदिग्ध बताया है.
जांच टीम ने पाया कि जमाबंदी संख्या 165 के जरिये धनबाद विकास हाउसिंग कंस्ट्रक्शन को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के सचिव वृंदावन दास के नाम से कायम किया गया. बाद में इस जमाबंदी को संदेहास्पद मानते हुए स्थगित कर दिया गया. पुन: धनबाद के तत्कालीन अंचल अधिकारी के आदेश पर 10.02.2010 को जमाबंदी को चालू किया गया. इसके बाद इस भू-खंड का कई बार दाखिल-खारिज भी हुआ.
जांच टीम ने पाया कि प्लॉट नंबर 187 में 50 डिसमिल तथा 184 में 1.90 एकड़ तथा प्लॉट नंबर 138 में 2.28 एकड़ सरकारी जमीन को गलत तथ्यों के आधार पर खरीद बिक्री की गयी. यह जमीन पूरी तरह सरकारी है. लेकिन इसे रैयती बता दिया गया. वर्ष 1930 में न्यायालय के एक आदेश को आधार बना कर इस कांड को अंजाम दिया गया. कुछ भू-खंडों की खरीद बिक्री में झरिया राजा के हुकुमनामा को भी आधार बनाया गया है.
कोका मोची व कोका मांझी के वासगीत पर्चे की जांच पूरी आमाघाटा मौजा मामले में डीसीएलआर ने सौंपी रिपोर्ट
21.04 एकड़ सरकारी जमीन की हुई पहचान
अधिकार विहीन बंदोबस्ती के आधार पर हुई खरीद-बिक्री
एक ही व्यक्ति ने एसडीएम, सीओ बन किया हस्ताक्षर
जिन जमीनों की पहचान सरकारी भू-खंड के रूप में हुई है. उसकी सरकारी दर आज 61 करोड़ रुपये से अधिक है. यहां पर सरकारी जमीन की कीमत प्रति डिसमिल 2.93 लाख रुपये है. जबकि बाजार दर पांच से आठ लाख रुपये प्रति डिसमिल है. बाजार दर से इन भू-खंडों की कीमत डेढ़ अरब रुपये से अधिक है.
जांच टीम ने हालिया सर्वे के आधार पर सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी के पत्रांक 98 दिनांक 06.03.2021 की रिपोर्ट का भी जिक्र किया है. इसमें खाता नंबर 21, 40, 59, 89 एवं 90 के विभिन्न प्लॉटों के रकबा 21.04 एकड़ का खतियान बिहार सरकार के नाम से अंकित किया गया है. यानी यह जमीन पूरी तरह से सरकारी है.
आमाघाटा मौजा की जमाबंदी पंजी की पृष्ठ संख्या 28 में गैर आबाद खास के 13.08 एकड़ जमीन को क्रास किया हुआ है. जांच के दौरान जमाबंदी संख्या 35 में अहलाद महतो के नाम से 27 बीघा 14 कट्ठा जमीन बिना किसी खाता नंबर एवं प्लॉट नंबर के अंकित किये जाने तथा बाद में जमाबंदी स्थगित किये जाने का भी पता चला है.
धनबाद. धनबाद अंचल के आमाघाटा मौजा के प्लॉट नंबर 187 पर चिह्नित सरकारी भू-खंडों को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए मंगलवार को माइक से मुनादी करायी जायेगी. धनबाद के अंचलाधिकारी प्रशांत लायक के अनुरोध पर एडीएम (विधि-व्यवस्था) चंदन कुमार ने इस संबंध में सोमवार को आदेश जारी कर दिया. कल मुनादी के समय सरायढेला थाना प्रभारी को पर्याप्त बल उपलब्ध कराने को कहा गया है.
एडीएम ने बताया कि पहले चरण में यहां प्लॉट नंबर पर चिह्नित 74 में से 44 भू-खंडों को कब्जा मुक्त किया जायेगा. इन 44 भू-खंडों की कोई जमाबंदी या बंदोबस्ती नहीं है. शेष बचे 30 भू-खंडों जिनकी जमाबंदी कायम है के खिलाफ अतिक्रमणवाद शुरू किया गया है. इस मामले में कानूनी कार्रवाई पूरी होने के बाद कब्जा मुक्ति का अभियान चलेगा.
Posted By : Sameer Oraon