Jharkhand News, धनबाद : ममता बनर्जी के निर्देश पर धनबाद के चिरकुंडा में मालवाहक वाहनों का लगा जाम शुक्रवार की देर शाम खुल गया. 27 घंटे के बाद यह जाम खुला तब जाकर वाहनों की आवाजाही शुरू हो सकी. बंगाल में मालवाहकों के प्रवेश पर रोक लगाये जाने से बंगाल से सटे धनबाद और बोकारो इलाके में विकट स्थिति उत्पन्न हो गयी थी. मैथन से सटे डीबुडीह चेकपोस्ट से निरसा तक जीटी रोड पर 12 किलोमीटर वाहनों की लंबी कतार लग गयी थी. वहीं बोकारो के चंदनकियारी से सटे बिरखाम व बरमसिया सीमा को बंगाल सरकार द्वारा सील किये जाने से चंदनकियारी-रघुनाथपुर रोड पर तीन से चार किलोमीटर तक लंबा जाम लग गया था.
अरूप चटर्जी के साथ समर्थकों ने बराकर नदी के पास कर दिया था जाम
पुरुलिया-चंदनकियारी एन-एच 218 पर बरमसिया में भी सैकड़ों मालवाहकों की लंबी कतार लग गयी थी. उधर, पिंड्राजोरा के मिर्धा चेकनाका सील किये जाने से पांच किलोमीटर तक माजाम लग गया था. इस बीच, भाकपा माले के पूर्व विधायक अरूप चटर्जी के साथ समर्थकों ने बराकर नदी के पास जाम कर दिया. इससे बंगाल में भी छोटे बड़े वाहनों की लंबी कतार लग गयी. इससे बंगाल से झारखंड आने वाले वाहन काफी प्रभावित हुए. सीमा की दोनों ओर हजारों मालवाहक खड़े हो गये थे.
कुल्टी से भाजपा विधायक अजय पोद्दार भी पहुंचे डीबुडीह चेकपोस्ट
शुक्रवार को पूर्वाह्न 11:25 बजे कुल्टी से भाजपा विधायक अजय पोद्दार अपने समर्थकों के साथ डीबुडीह चेकपोस्ट पहुंचे और वहां मौजूद पुलिस व ट्रैफिक अधिकारियों से बॉर्डर सील करने का लिखित आदेश मांगा. लेकिन कोई अधिकारी आदेश नहीं दिखा सका. उनका कहना था कि वरीय अधिकारियों के निर्देश पर बॉर्डर सील किया गया है. वहीं निरसा से भाजपा विधायक अपर्णा सेनगुप्ता मैथन ओपी पहुंचीं और वहां मौजूद बीडीओ मधु कुमारी व ओपी प्रभारी आकृष्ट अमन से चेकपोस्ट के बारे में जानकारी प्राप्त की. बताते चलें कि दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) के मैथन व पंचेत डैम से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के बाद पश्चिम बंगाल के कई जिलों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने से बंगाल सरकार की ओर सीमा सील करने का फैसला लिया गया था.
खराब होने लगे थे कच्चे सामान, कई मवेशियों की मौत :
वाहन रोके जाने से देश के अलग-अलग राज्यों से विभिन्न प्रकार की सामग्री लेकर बंगाल सहित अन्य प्रदेशों में जाने वाले ट्रक चालक परेशान थे. अधिकांश ट्रकों पर कच्चा माल लदा था, जो खराब होने की स्थिति आ गया था. यही नहीं, वाहनों पर लदे मवेशियों की भी मौत होने लगी थी. मैथन में आधा दर्जन से अधिक खस्सी की मौत हो गयी, जिन्हें ट्रक चालकों ने पास के जंगल में फेंक दिया. ट्रक चालकों के समक्ष खाने का भी संकट उत्पन्न हो गया था. पैसा होते हुए भी कुछ नहीं मिल रहा था.