धनबाद : सरकारी विभागों में कार्यरत इंजीनियरों का मुख्य काम निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की जांच करनी है, लेकिन शिक्षा में कार्यरत इंजीनियर खुद निर्माण कार्य की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं. यही नहीं, वे कार्य की गुणवत्ता की जांच भी खुद कर रहे हैं. ऐसा ही एक मामला धनबाद के गोविंदपुर प्रखंड में सामने आया है. समग्र शिक्षा अभियान में कार्यरत जूनियर इंजीनियर तजम्मुल हसन स्कूलों के निर्माण की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा रहे हैं.
उन्होंने ऐसा प्लस टू उच्च विद्यालय विराजपुर में किया है. यहां 29.5 लाख रुपये की लागत से स्कूल के नये भवन का निर्माण किया जा रहा है. बताया जाता है कि प्रभारी प्रधानाध्यापक पर काम से अधिक की राशि भुगतान करने के लिए दबाव बनाया जाने लगा. उन्होंने मना किया तो जेइ के निर्देश पर ठेकेदार ने निर्माण कार्य रोक दिया. इस चक्कर में 50 बोरा से अधिक सीमेंट बर्बाद हो गया.
नये भवन के निर्माण के लिए वर्ष 2012-13 में 59 लाख रुपये का फंड मिला था. इस राशि में से 29.5 लाख रुपये से भूतल का निर्माण करवाया गया. लेकिन ऊपरी मंजिल का काम नहीं हो पाया था. वर्ष 2019 में ऊपरी मंजिल के लिए विभाग ने शेष 29.5 लाख आवंटित किया था. विभाग के दबाव में निर्माण कार्य फिर से शुरू करवाया गया.
इसके लिए विद्यालय विकास व प्रबंधन समिति (एसएमडीसी) ने नसीम अंसारी नामक ठेकेदार के साथ निर्माण का करार किया. नसीम को यह कार्य गोविंदपुर प्रखंड में विभाग के जूनियर इंजीनियर तजम्मुल हसन के सुझाव पर दिया गया. इस बात का उल्लेख एसएमडीसी द्वारा ठेकेदार के साथ किये गये करार में है. इसमें लिखा गया है कि जूनियर इंजीनियर तजम्मुल हसन के माध्यम से निर्माण कार्य किया जायेगा.
इस करार के अनुसार दिसंबर 2020 के अंत कर निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाना था, लेकिन ठेकेदार ने पिछले चार महीनों से काम रोक दिया है. अब भी भवन की पहली मंजिल में प्लास्टर का काम अधूरा है. प्लास्टर, दरवाजा, खिड़की कुछ नहीं लगा है. अब भी 30 प्रतिशत काम बाकी है. बिना काम पूरा हुए राशि उठाने तथा News in Hindi से अपडेट के लिए बने रहें हमारे साथ.
Posted By : Sameer Oraon