हादसों के दौर में ‘सिस्टम की हत्या’, गुनाहगार आप जरूर ठहराये जायेंगे- जीवेश रंजन सिंह
हाल में ही धनबाद के तेतुलमारी में कोयले के अवैध उत्खनन के दौरान हादसा हो गया. दो लोगों की मौत हो गयी, जबकि कई के घायल होने की सूचना मिली. इसी बीच कई ऐसे वीडियो सामने आये, जिनमें कुछ लाशें पड़ी हुई थीं या फिर कुछ को लोग टांग कर ले जा रहे थे.
जीवेश रंजन सिंह
वरीय संपादक, प्रभात खबर
हाल में ही धनबाद के तेतुलमारी में कोयले के अवैध उत्खनन के दौरान हादसा हो गया. दो लोगों की मौत हो गयी, जबकि कई के घायल होने की सूचना मिली. इसी बीच कई ऐसे वीडियो सामने आये, जिनमें कुछ लाशें पड़ी हुई थीं या फिर कुछ को लोग टांग कर ले जा रहे थे. ये दृश्य कोयलांचल के चलन के अनुसार आम बात है, पर इसके बाद की बातें दंग करने वाली रहीं. उस कोयला क्षेत्र के बड़े कोल अधिकारी का बयान आया कि उन्होंने घटना के संबंध में सुना है, पर कुछ पता नहीं.
पुलिस प्रशासन की ओर से भी कोई बयान नहीं आया, पर जिला प्रशासन ने जांच के लिए एक कमेटी जरूर बना दी. तीन दिन के अंदर जांच पूरी करने को भी कहा है. पर हद यह कि घटना के दूसरे दिन उसी स्थान पर जहां एक दिन पहले घटना हुई थी, लाशें पड़ीं थी, धड़ल्ले से कोयले की चोरी जारी थी. हमेशा की तरह एक तरफ आउट सोर्सिंग कंपनी के लोग कोयला निकाल रहे हैं, तो दूसरी ओर कोयले की चोरी जारी थी. दरअसल, धनबाद या किसी भी कोयलांचल में कोयला उत्खनन का भी ‘एक अलग सौंदर्य’ है. एक तरफ अवैध तो दूसरी ओर वैध उत्खनन बेधड़क जारी रहता है.
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तेरी भी जय-जय
अगर कागजों पर देखें तो कोयले की सुरक्षा के लिए कोलियरी के साहबों के साथ-साथ सीआइएसएफ की भी तैनाती है. सुरक्षा में कोई कोर कसर न रह जाये इसलिए थानों की पुलिस भी मुस्तैद, पर सब कुछ जस का तस है. सामान्य मुर्गी चोरी की प्राथमिकी में गिरफ्तार करने या फिर वारंट निष्पादन के नाम पर बच्चे को कुचल कर मार डालनेवाली पुलिस के पसीने निकल जाते हैं कोयला चोरी की प्राथमिकी लिखने के नाम पर. जैसे-तैसे प्राथमिकी हुई तो फिर अपनी बातों को साबित करने की कोई कोशिश नहीं और सब समाप्त हो जाता है. कोयले की सुरक्षा में तैनात इन तीनों में से कोई एक विंग भी सिस्टम का पालन ईमानदारी से करे तो चीजें बदल जायेंगी. पर मानें न मानें तेरी भी जय-जय मेरी भी जय-जय के सिद्धांत पर चीजें चल रही हैं.
प्रभाव का आभा मंडल
धनबाद के एक समाजशास्त्री का कहना था कि वो लोग अपराध को तीन कैटेगरी में बांटते हैं अभाव, स्वभाव या प्रभाव. इस संदर्भ में यह सही साबित हो रहा है. अभावग्रस्त लोगों में चोरी के स्वभावगत गुण को विकसित कर इसका सीधा लाभ प्रभावशाली लोग उठा रहे हैं. परेशानी यह कि जवाबदेह भी इसी आभामंडल में शामिल हैं, ऐसे में चीजों में बदलाव की बहुत गुंजाइश नहीं दिखती.
…और अंत में
कोयला चोरी को लेकर मुख्यमंत्री से लेकर तत्कालीन राज्यपाल तक ने अपने धनबाद प्रवास के क्रम में चिंता जतायी थी. सबका कहना था कि इस पर रोक लगे. बावजूद इसके स्थानीय जवाबदेहों के जवाब और निष्क्रियता चिंतित करनेवाली हैं. संदर्भवश वर्ष 2011 में एक फिल्म आयी थी- नो वन किल्ड जेसिका. फिल्म ने कई सवाल खड़े किये थे. कुछ ऐसा ही रोल भले आप निभाये जा रहे हैं, पर याद रखें किसी भला कार्य के लिए भले आप याद नहीं किये जायें, पर ‘सिस्टम की हत्या’ के गुनाहगार आप जरूर ठहराये जायेंगे.