भूमि घोटाला : धनबाद डीसी ने भेजी रिपोर्ट, दोषियों पर कार्रवाई की अनुशंसा
धनबाद के उपायुक्त ने भूमि घोटाले मामले की जांच कर भू-राजस्व सचिव को प्रारंभिक रिपोर्ट भेजी
धनबाद : अंचल अधिकारियों, अंचल निरीक्षकों व जिला अवर निबंधकों ने कार्यालय के बाबुओं के साथ मिलीभगत कर धनबाद में भूमि घोटाले को अंजाम दिया है. धनबाद के उपायुक्त ने मामले की जांच कर भू-राजस्व सचिव को प्रारंभिक रिपोर्ट भेज दी है. उन्होंने कार्य में लापरवाही बरतने के लिए दोषी अंचल अधिकारियों, अंचल निरीक्षकों, जिला अवर निबंधकों एवं जिला अवर निबंधक कार्यालय, धनबाद के प्रधान लिपिक के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई के लिए विभाग का मार्गदर्शन मांगा है.
लिपिक और राजस्व कर्मियों के खिलाफ प्रपत्र क गठित करने का निर्देश दिया गया है और इसके लिए अपर समाहर्ता काे एक हफ्ते में कार्रवाई करने का आदेश दिया है. सूत्राें के अनुसार रिपोर्ट में कुछ अफसरों के नाम भी शामिल हैं, जिसमें धनबाद, बलियापुर और बाघमारा के वर्तमान और पूर्व सीओ तथा धनबाद के वर्तमान अवर निबंधक व पूर्व अवर निबंधक शामिल हैं.
दस्तावेजाें की जांच नहीं की गयी :
उपायुक्त ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि शिकायत पत्र जांच कमेटी के प्रतिवेदन और संबंधित पदाधिकारियों से पूछे गये स्पष्टीकरण से ज्ञात होता है कि भूमि के निबंधन एवं नामांतरण की विवरणी में त्रुटि पायी गयी है. इसका कारण निबंधन एवं नामांतरण के समय भूमि के दस्तावेजों की विधिवत जांच नहीं करना है.
निबंधन के पूर्व आवेदित भूमि से संबंधित खतियान की प्रति आवेदन या संबंधित अंचल कार्यालय से नहीं मांगी गयी. धनबाद के जिला अवर निबंधन ने खतियान की अनिवार्यता से संबंधित टिप्पणी करते हुए कहा कि खाता, प्लॉट से संबंधित पंजी 2, लगान रसीद व शुद्धि पत्र संबंधित अंचल द्वारा निर्गत है. ऐसी स्थिति में संदेह करना निबंधन पदाधिकारी के लिए उचित नहीं है, जबकि, भू-राजस्व विभाग द्वारा जारी अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि भूमि से संबंधित दस्तावेजों के साथ भूमि की पहचान के लिए निबंधनार्थियों द्वारा खतियान की सत्यापित प्रति प्रस्तुत की जायेगी.
खतियान उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में संबंधित अंचल अधिकारी द्वारा प्रमाणित पंजी टू की प्रति या भू-स्वामित्व प्रमाण पत्र अथवा शुद्धि पत्र दस्तावेज के साथ संलग्न किया जायेगा. अफसराें ने लापरवाही बरती : रिपोर्ट में कहा गया है कि धनबाद भूमि घोटाला से संबंधित सभी मामलों में भूमि का सर्वे हाल में ही किया गया था. उसकी खतियान की प्रति संबंधित अंचल या बंदोबस्त कार्यालय में उपलब्ध है.
प्रारंभिक जांच से यह स्पष्ट होता है कि निबंधन कार्यालय द्वारा भूमि के निबंधन के लिए दस्तावेजों के मिलान में लापरवाही बरती गयी. साथ ही अंचल कार्यालय द्वारा राजस्व दस्तावेजों का डिजिटाइजेशन झारभूमि के पोर्टल से करने के क्रम में भी लापरवाही बरती गयी. सीएनटी एक्ट से संबंधित मामले में गैर प्रतिबंधित कोटि के रैयतों के बीच खरीद-बिक्री एवं पूर्व से कायम जमाबंदी के आधार पर नामांकन किया गया है.
ऐसे भी तथ्य प्रकाश में आये हैं, जिनमें ऑनलाइन खतियान में वर्णित प्लाॅट एवं पंजी टू में वर्णित प्लॉट के संधारण में भिन्नता के कारण गलत नामांकन किया गया. संबंधित पदाधिकारी द्वारा नामांतरण के क्रम में आवेदक द्वारा उपलब्ध कराये गये दस्तावेजों का मिलान अंचल में संधारित मूल दस्तावेजों जैसे खतियान, प्लॉट इंडेक्स, जमाबंदी पंजी या ऑनलाइन उपलब्ध खतियान से नहीं किया गया, जबकि झारभूमि पोर्टल पर राजस्व उप निरीक्षक, अंचल निरीक्षक, अंचल अधिकारी के लॉगिन पर खतियान या पंजी टू के अवलोकन के विकल्प भी मौजूद हैं.
क्या है धनबाद भूमि घोटाला
धनबाद जिले के विभिन्न अंचलों में सरकारी खाता जैसे गैरआबाद, खास, सीएनटी खातों की जमीन की न केवल बिक्री की गयी, बल्कि नियमों को ताक पर रख कर इसकी रजिस्ट्री भी कर दी गयी. जमीन के रिकॉर्ड ऑनलाइन होने के बाद यह गड़बड़ी ज्यादा हुई. एक ही जमीन के दो से तीन डीड बन गये. कई का म्यूटेशन भी हो गया. कुछ में खाता नंबर, प्लॉट नंबर बदल दिये गये. कई स्थानों पर आदिवासी खाते की जमीन को भी रैयती बना कर उसकी रजिस्ट्री करा दी गयी.
भाजपा नेता रमेश कुमार राही ने भू-राजस्व सचिव को पत्र लिख कर धनबाद, गोविंदपुर, बाघमारा, बलियापुर अंचल में इन गड़बड़ियों को लेकर शिकायत की थी. राजस्व सचिव के निर्देश पर डीसी ने इन मामलों की जांच करायी. प्रथम चरण में धनबाद, बलियापुर एवं बाघमारा के कुछ मामलों की जांच हुई. जांच में आरोपों की पुष्टि हुई. इसके बाद उपायुक्त ने जिले के 25 अधिकारियों, कर्मचारियों को शो-कॉज किया. इसके बाद उपायुक्त ने भू-राजस्व सचिव को प्रारंभिक जांच रिपोर्ट भेजी है. अभी गोविंदपुर अंचल के मामलों की जांच चल रही है.
क्या कहा डीसी ने
मामले में प्रशासनिक लापरवाही की गयी है, लेकिन, क्रॉसचेक का मैकेनिज्म सॉफ्टवेयर में भी नहीं है. अगर वह मैकेनिज्म होता, तो जान-बूझ कर गलती नहीं की जा सकती है. मैंने जांच रिपोर्ट में दोषी पदाधिकारियों का जिक्र करने के साथ-साथ व्यवस्था में गड़बड़ी का भी उल्लेख किया है. विभाग का मार्गदर्शन मिलने के बाद दोषियों पर कार्रवाई की जायेगी.
– उमाशंकर सिंह, उपायुक्त, धनबाद
POSTED BY : Sameer oraon