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मधु श्रावणी व्रत शुरू, नवविवाहिताओं ने किया मां गौरा का आवाहन

मिथिलांचल का पावन पर्व मधु श्रावणी गुरुवार से शुरू हो गया है. इस बार मधु श्रावणी पर्व 14 दिनों का है. यह 25 जुलाई से शुरू होकर सात अगस्त को समाप्त होगा.

धनबाद.

मिथिलांचल का पावन पर्व मधु श्रावणी गुरुवार से शुरू हो गया है. पंडित गुणानंद झा ने बताया कि सावन मास कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि से मधु श्रावणी पर्व शुरू होता है, जो शुक्ल पक्ष तृतीय तिथि को समाप्त होता है. इस बार मधु श्रावणी पर्व 14 दिनों का है. यह 25 जुलाई से शुरू होकर सात अगस्त को समाप्त होगा. पर्व के पहले दिन सुहागिनों ने सोलह शृंगार कर विधि-विधान से मां गौरा व भगवान शंकर की पूजा अर्चना कर व्रत पूरा करने का संकल्प लिया.

नवविवाहिताओं के लिए होता है खास:

मधु श्रावणी व्रत नवविवाहताओं के लिए खास होता है. अखंड सुहाग के लिए मां गौरा, मैना विषहरि एवं अन्य देवी-देवताओं की पूजा करती हैं. नियम से कथा सुनती हैं. व्रती को नमक खाना वर्जित रहता है. व्रत के समापन के दिन आहूत देवी-देवता को विसर्जित कर सुहागिनों को सुहाग पिटारा देकर आशीष लेती हैं.

तूलिका ने शैलेंद्र के लिए रखा व्रत :

तीन दिसंबर को शैलेंद्र झा के साथ विवाह बंधन में बंधी चीरागोड़ा निवासी तूलिका ने उत्साह से अपने पति के लिए मधु श्रावणी का व्रत रखा है. उन्होंने बताया कि मां गौरा से अखंड सुहाग का वरदान मांगूंगी. व्रत के हर नियम का पालन करूंगी. व्रत के पहले दिन कथा स्थल पर गंगा जल छिड़क मां गौरा, भगवान शंकर, गणपति महाराज, मां भगवती का आवाहन कर उनकी पूजा की. कथा वाचिका से कथा सूनी. बुजुर्ग सुहागिनों के पांव छूकर आशीष लिया. तूलिका के घर मधु श्रावणी के पारंपरिक गीत गूंज रहे हैं. यहां सुहागिनों ने फूल लोढ़य गेलीयै बाबा फूलवरिया पकड़ लैलकन हे उनकर नाग नगिनिया, गौरी पूजन दे गिरिजा पूजन दे…, मास साओन मधुश्रावणी पावनि अवसर पावि …आदि गीत गाये.

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