अव्यवस्था व कचरे के ढेर पर बाजार समिति
बाजार समिति में कई अव्यवस्था है. कचरा का ढेर लगा है. नालियां बजबजा रही है. न तो लाइट जलती है और न ही चापाकल से पानी आता है. सड़क जर्जर हो चुकी है. शौचालय की स्थिति और भी बद्दतर है. जबकि यहां हर दिन करोड़ों का कारोबार होता है. बावजूद न तो बाजार समिति को इसकी चिंता है और न ही व्यवसायियों को.
समस्या : किराये से होती है सालाना 1.80 करोड़ की आमदनी, फिर भी स्थिति दयनीय
धनबाद : बाजार समिति में कई अव्यवस्था है. कचरा का ढेर लगा है. नालियां बजबजा रही है. न तो लाइट जलती है और न ही चापाकल से पानी आता है. सड़क जर्जर हो चुकी है. शौचालय की स्थिति और भी बद्दतर है. जबकि यहां हर दिन करोड़ों का कारोबार होता है. बावजूद न तो बाजार समिति को इसकी चिंता है और न ही व्यवसायियों को.
1980 में झरिया मंडी को बाजार समिति में शिफ्ट किया गया. यहां गोदाम सहित 429 दुकानें हैं. बाजार समिति के फल मंडी हो या गल्ला मंडी हर तरफ कचरा का अंबार है. कोरोना काल में पिछले तीन माह से सफाई नहीं की गयी. फल मंडी की स्थिति इतनी खराब है कि वहां जाने से पहले लोगों को नाक पर रूमाल रखना पड़ता है. दो शौचालय है. दोनों जर्जर हो गये हैं. बाजार समिति में कुल 18 चापाकल है. इसमें से एक-दो चापाकलों से पानी निकलता है. स्ट्रीट लाइट की हालत भी खराब है. इतनी बड़ी मंडी में मात्र चार सिक्यूरिटी गार्ड है.
दुकान व गोदाम से आता है सालाना 1.80 करोड़ भाड़ा : दुकान व गोदाम से बाजार समिति को सालाना 1.80 करोड़ रुपया भाड़ा आता है. बावजूद बाजार समिति प्रशासन की ओर से कोई सुविधा मुहैया नहीं करायी जाती है. कुछ व्यवसायी अपनी खर्च पर दुकान के आसपास सफाई कराते हैं.