Dhanbad News : कभी स्वर्ग थी झरिया, पर बाबुओं की कृपा से नर्क बन गयी
झरिया में आयोजित प्रभात खबर आपके द्वार में जुटे इलाके के गणमान्य, व्यवस्था की मार झेल रहे लोगों ने कहा
झरिया के अग्रवाल धर्मशाला में शुक्रवार को प्रभात खबर आपके द्वार का आयोजन किया गया. इसमें झरिया के सभी वर्गों के गणमान्य लोगों ने भाग लिया. इस दौरान झरिया के गौरवशाली अतीत के साथ-साथ वर्तमान पर भी खुल कर चर्चा हुई. लोगों का मानना था कि झरिया पहले स्वर्ग था, सब इसका नाम लेते थे, पर इसे व्यवस्था, बाबुओं और राजनीतिज्ञों ने मिल कर नर्क बना दिया. बेसिक सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं. सामान्य काम के लिए भी लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है. सबका कहना था कि जब इलाके की कोलियरियों से देश को होती है कमाई, तो फिर यहां के लोगों को गरीब क्यों रखा जा रहा है. जवाबदेहों के खिलाफ सबका आक्रोष खुल कर सामने आया. पढ़ें क्या मुद्दे सामने आये और किसने क्या कहा :
जो दर्द सामने आया
– सफाई नहीं होती, गंदगी के कारण जीना मुश्किल हुआ- छोटे बच्चे चला रहे हैं गाड़ी, होती है दुर्घटना- टोटो के अधिकांश चालक नाबालिग, दुर्व्यवहार करते हैं– कचरा पेटी नहीं होने से सड़क पर फेंकते हैं कचरा- मनबढ़ु हाइवा चालक रौंदते हैं लोगों को
– नशा कर गाड़ी चलाने वालों की संख्या बढ़ी- शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था है बदहाल– पानी-बिजली की है परेशानी- वृद्धा पेंशन के लिए भटक रहे हैं वृद्ध
– बाजार में महिलाओं के लिए शौचालय नहीं- जाम के कारण जनजीवन हो जाता है ठप– पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है- माइनिंग के नियमों का नहीं किया जाता है पालन
– लालकार्ड के लिए भटक रहे हैं लोग- राजा तालाब का भी हो गया अतिक्रमणजो सुझाव लोगों ने दिये
– झरिया को बचाने के लिए सबको होना होगा एकजुट– निगम और जमाडा के अधिकारी एक ही, फिर क्यों हों इसके दोहन का शिकार- रात की जगह दिन में हो जलापूर्ति
– इलाके में चलने वाले हाइवा की जांच हो- हाइवा चालकों के लाइसेंस और उम्र की जांच होरात में क्यों देते हैं पानी
लोगों का आरोप था कि आधी रात में झरिया में सप्लाई का पानी आता है. इस वजह से लोगों को काफी परेशानी होती है. आधी रात में सड़क पर पानी भरते हुए लोग दिख जायेंगे. घर के लोगों को जगना पड़ता है. नहीं जगे तो बिना पानी का रहना पड़ता है.स्कूल के बच्चों की रक्षा करें
अभिभावकों का दर्द था कि इलाके के डिनोबली स्कूल के मोड़ पर स्कूल की छुट्टी के दौरान भी भारी वाहनों का परिवहन जारी रहता है. वाहन चालक तेज गति से गाड़ी चलाने के साथ-साथ तेज हॉर्न भी बजाते हैं. इससे छोटे-छोटे बच्चों को काफी परेशानी होती है. उनके सुनने की शक्ति के कम होने की आशंका के साथ-साथ दुर्घटना का भी भय बना रहता है. क्यों नहीं छुट्टी और स्कूल खुलने के समय भारी वाहनों का परिचालन बंद कर दिया जाये.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है