कुछ लोग दिव्यांग होकर भी अपने कार्य से दिव्यांगता को नहीं स्वीकराते. विधाता ने इन्हें शारीरिक रूप से भले ही दिव्यांग बनाया है, लेकिन हौसलों के बल पर ये अपने सपनों को पूरा कर रहे है. इनका कहना है हम डिसेबल नहीं बल्कि डिफरेंट टाइप ऑफ एबल हैं. समाज व परिवार से इनका यही कहना है कि आप हमारा साथ दें, सहयोग करें, हम अपना लक्ष्य पूरा करके दिखायेंगे. हमें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने में सहयोग करें. कोयलांचल के स्पेशल स्कूल के कुछ ऐसे दिव्यांग बच्चों से सीखने की जरूरत है.
मन की शक्ति से अपने हुनर को निखारते हैं बांसुरीवादक लक्ष्मण
कुछ दिव्यांग मन की शक्ति से अपने हुनर को निखारते चले जाते हैं. बाधाएं इनका रास्ता नहीं रोक सकतीं. ऐसे ही हैं नेत्रहीन आवासीय विद्यालय में रहनेवाले लक्ष्मण महतो. लक्ष्मण मधुर बांसुरी बजाते हैं. सितबंर माह में टाटा फाउंडेशन की ओर से इन्हें सबल अवार्ड का द्वितीय पुरस्कार दिया गया. इस प्रतियोगिता में तमिलनाडु, झारखंड, ओड़िशा, नागालैंड के दर्जनों बच्चों ने भाग लिया था. जमशेदपुर में इनका लाइव प्रेजेंटेशन हुआ था. फरवरी में फाइनल के लिए इन्हें मुंबई बुलाया गया है.मूक बधीर शुभम की बोलती प्रतीत होती हैं मोहक कलाकृति :
जीवन ज्योति स्पेशल स्कूल में पढ़नेवाले कक्षा नौंवी के छात्र शुभम दास जब कलाकृित बनाते हैं, तो वह बोलती प्रतीत होती है. मूक बधीर शुभम की कलाकृतियों में इतनी जीवंतता होती है कि हर कोई देखता रह जाता है. आर्ट की ट्रेनिंग इन्हें स्कूल से मिलती है. इन्होंने दिल्ली में अवंतिका आर्ट कंपीटीशन में अवार्ड प्राप्त किया है. राजभवन रांची में राीज्य स्तरीय आर्ट कंपीटीशन में भी अवार्ड ले चुके हैं. स्टेट लेबल योगा प्रतियोगिता में बेस्ट प्रतिभागी के सम्मान से भी सम्मानित किये जा चुके हैं. शुभम ने साइन लैंग्वेज में अपने शिक्षक के माध्यम से बताया कि समाज उनकी उपेक्षा न करें, बल्कि उनका सहयोग करे.दृष्टिबाधित शिव मधुर आवाज के बल जीत चुके हैं टैलेंट हंट प्रोग्राम झूम इंडिया में पुरस्कार :
पहला कदम स्पेशल स्कूल में पढ़नेवाले शिव कुमार भले ही दृष्टि बाधित हैं, लेकिन मन की आंखों की रोशनी इन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं. शिव की मधुर आवाज सब पसंद करते हैं. इनकी आवाज में एक कशिश है. शिव नेशनल लेबल के टैलेंट हंट प्रोग्राम झूम इंडिया में पुरस्कार जीत चुके हैं. शांति धाम फांउडेशन द्वारा आयोजित गायन प्रतियोगिता में तीसरे स्थान पर रहे थे. शिव गायक बनना चाहते हैं. कहते हैं जीवन से इन्हें कोई शिकायत नहीं है. ईश्वर ने उन्हें डिसेेबल नहीं डिफरेंटटाइफ एबल बनाया है, ताकि हम कुछ असाधारण कर सकें. इनकी प्रतिभा को निखारने में स्कूल परिवार भी इनका पूरा सहयोग करता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है