- तीन बार कांग्रेस व एक बार भाजपा ने दर्ज की है जीत
- लाल झंड़े में आठ बार मासस, एक बार सीपीआई व एक बार फाब्ला को मिली सफलता
- 1951 के चुनाव में टुंडी का हिस्सा था निरसा, कांग्रेस को मिली थी जीत
Nirsa Assembly Election|Nirsa Vidhan Sabha|Jharkhand Assembly Election 2024| अरिंदम चक्रवर्ती, धनबाद/निरसा: निरसा विधानसभा क्षेत्र कभी टुंडी का हिस्सा हुआ करता था. निरसा को मिलाकर निरसा विधानसभा का गठन 1952 में किया गया था. 1957 के चुनाव में टुंडी को निरसा से अलग कर अलग विधानसभा क्षेत्र ही बना दिया गया. पश्चिम बंगाल राज्य से सटा झारखंड का सबसे अधिक पंचायत वाला निरसा विधानसभा क्षेत्र है. यहां तीन प्रखंड हैं. निरसा, एग्यारकुंड व केलियासोल. तीनों प्रखंडों को मिलाकर कुल 68 पंचायतें हैं. करीब 286 राजस्व गांव हैं. यहां बूथों की संख्या 424 हैं. पश्चिम बंगाल से सटे इस विधानसभा क्षेत्र में कई भाषाओं के लोग रहते हैं, लेकिन बांग्लाभाषियों की संख्या अधिक है.
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मजदूर नेताओं का रहा वर्चस्व
निरसा-टुंडी विधानसभा के अस्तित्व में आने के बाद मजदूर नेताओं का यहां वर्चस्व रहा. टुंडी के साथ मिले क्षेत्र में पहली बार यहां कांग्रेस के रामनारायण शर्मा ने 1952 में जीत दर्ज की थी. टुंडी से हटने के बाद हुए चुनाव में 1957 में भी कांग्रेस जीती. निरसा में चार बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की. इस सीट पर 10 बार लाल झंडा फहरा, जिसमें मासस ने आठ बार जीत दर्ज की है. एक बार सीपीआइ के निर्मलेंदु भट्टाचार्य जीते, जबकि फाब्ला से एक बार अपर्णा सेनगुप्ता जीतीं. मजदूर बहुल इलाका होने के कारण मजदूर नेताओं की यहां चलती रही.
मजदूर नेताओं का रहा वर्चस्व
वर्ष | विजेता | पार्टी का नाम |
1957 | लक्ष्मी नारायण मांझी | कांग्रेस |
1962 | राम नारायण शर्मा | कांग्रेस |
1967 | निर्मलेंदु भट्टाचार्य | सीपीआई |
1977 | कृपा शंकर चटर्जी | मासस |
1980 | कृपा शंकर चटर्जी | मासस |
1985 | कृपा शंकर चटर्जी | कांग्रेस |
1990 | गुरुदास चटर्जी | मासस |
1995 | गुरुदास चटर्जी | मासस |
2000 | गुरुदास चटर्जी | मासस |
2000 | अरूप चटर्जी, (उपचुनाव) | मासस |
2005 | अपर्णा सेनगुप्ता | फॉरवर्ड ब्लॉक |
2009 | अरूप चटर्जी | मासस |
2014 | अरूप चटर्जी | मासस |
2019 | अपर्णा सेनगुप्ता | भाजपा |
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