झरिया. ठाकुर जी मिलने के लिए बड़े-बड़े यतन करने पड़ते हैं, लेकिन उनसे बिना प्रेम के आप मिल नहीं सकते. यह प्रेम है कि निकम्मा संसार में फंसा रह जाता है, बाहर निकल नहीं पाता. यह प्रवचन बनियाहीर हनुमानगढ़ी में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन मंगलवार को पूज्य महाराज सुरेंद्र हरिदास जी ने कही. कहा कि यहां तो प्रेम एक से करने के बाद दूसरे, तीसरे और चौथे से भी करने का मन करता है, लेकिन, एक बार यदि श्याम सुंदर के दर्शन कर लिये तो उसकी नज़रें उनसे हट नहीं पायेंगी. कहा कि जीवन बहुत बड़ा नहीं, बल्कि छोटा है. इसी छोटे जीवन के बीच निजी कार्य के अलावा ईश्वर साधना भी करनी पड़ेगी. तीसरे दिन भक्तों ने महाभारत और कपिल भगवान की कथा का श्रवण किया. कथा को सफल बनाने में नन्हे सिंह, शैलेंद्र सिंह, मुरारी वर्मा, कृष्णा गुप्ता आदि सक्रिय थे.
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