अक्षय तृतीया आज, दान-पुण्य का मिलता है अक्षय फल
मिथिला पंचांग के अनुसार यह तिथि 10 मई को सुबह छह बजे शुरू होगी, जो पूरे दिन रहेगी. इस दिन रोहिणी नक्षत्र, गजकेसरी योग बन रहा है, जो जातक के लिए बहुत शुभ है.
धनबाद.
बैसाख माह शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया मनायी जाती है. पंडित गुणानंद झा ने बताया कि इस साल 10 मई को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जायेगा. मिथिला पंचांग के अनुसार यह तिथि 10 मई को सुबह छह बजे शुरू होगी, जो पूरे दिन रहेगी. इस दिन रोहिणी नक्षत्र, गजकेसरी योग बन रहा है, जो जातक के लिए बहुत शुभ है. शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया को स्वयं सिद्ध मुहूर्त कहा जाता है. इसे सबसे सिद्ध मुहूर्त माना गया है. विजया दशमी, दिपावली, अक्षय तृतीया को पूरा दिन व सावण पूर्णिमा को आधा दिन माना जाता है. इसलिए साढ़े तीन मुहूर्त कहा जाता है. अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जयंती मनायी जाती है. मां गंगा का अवतरण भी इसी दिन धरती पर हुआ था. इस दिन खरीदारी, दान पुण्य व गंगा स्नान का बहुत महत्व है. इस दिन किये गये दान का फल अक्षय रहता है. भगवान विष्णु व लक्ष्मी माता की आराधना करने से जातक को उनकी कृपा मिलती है. अक्षय तृतीया त्योहार पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 48 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा.ऐसे करें पूजा अर्चना :
अक्षय तृतीया सर्व सिद्धि मुहूर्तों में से एक मुहूर्त है, इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आराधना की जाती है. अक्षय तृतीया पर सुबह जल्दी उठकर गंगा स्नान या घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान करके श्री विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर अक्षत चढ़ाना चाहिए. इसके बाद श्वेत कमल के पुष्प या श्वेत गुलाब, धूप-अगरबत्ती और चन्दन इत्यादि से पूजा करनी चाहिए. भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी को नैवेद्य के रूप में जौ, गेंहू, या सत्तू, ककड़ी, चने की दाल आदि अर्पित करें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है