dhanbadnews:पंडितजी ने धनबाद को ‘आधुनिक मंदिरों का शहर’ बनाया था

आज, बाल दिवस है. इस दिन हम पंडित जवाहरलाल नेहरू के जीवन और उनके योगदान को याद करते हैं. धनबाद देश के उन चुनिंदा शहरों में है, जिसकी अहमियत आजादी के समय ही पहचान ली गयी थी. जवाहरलाल नेहरू ने आजादी के बाद चार बार धनबाद का दौरा किया था

By Prabhat Khabar News Desk | November 14, 2024 1:59 AM
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धनबाद.

आज, बाल दिवस है. इस दिन हम पंडित जवाहरलाल नेहरू के जीवन और उनके योगदान को याद करते हैं, जिन्हें बच्चों के लिए प्यार से चाचा नेहरू के नाम से जाना जाता है. धनबाद देश के उन चुनिंदा शहरों में है, जिसकी अहमियत आजादी के समय ही पहचान ली गयी थी. पंडित नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे. उनके कार्यकाल में विकसित भारत की बुनियाद रखी गयी थी. आजादी के बाद उन्होंने चार बार धनबाद का दौरा किया था. वह जब भी यहां आए देश के विकास की चर्चा की.

पहली बार अप्रैल 1950 में धनबाद आये :

देश के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में पंडित जवाहरलाल नेहरु पहली बार अप्रैल 1950 में धनबाद आए थे. तब उन्होंने यहां माइनिंग इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने वाले इंडियन स्कूल ऑफ माइंस का दौरा किया था. वह यहां देश पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के साथ आये थे. तब उन्होंने यहां देश के विकास में खनन उद्योग के विकास और इसमें आइएसएम की भूमिका के महत्व पर चर्चा थी. आइएसएम देश के शुरुआती इंजीनियरिंग कॉलेजों में एक है. पूर्वी भारत का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज है, जिसकी स्थापना 1926 में हुई थी.

दूसरी बार 1952 में सिंदरी आये :

पंडित जवाहरलाल नेहरु दूसरी बार मार्च 1952 में धनबाद आए थे. इस बार वह सिंदरी में देश के सार्वजनिक क्षेत्र के लोक उपक्रम ‘सिंदरी फर्टिलाइजर एंड केमिकल लिमिटेड’ के उद्घाटन के लिए आये थे. इसके उद्घाटन के समय उन्होंने अपने संबोधन में कहा था कि वह देश के ‘आधुनिक मंदिर’ की नींव रख रहे हैं.

तीसरे दौरे में मैथन डैम का किया था उद्घाटन :

तीसरी बार पंडित जवाहरलाल नेहरू दामोदर वैली कॉर्पोरेशन लिमिटेड (डीवीसी) के मैथन डैम के उद्घाटन के लिए आये थे. उन्होंने सितंबर 1957 में मैथन डैम का उद्घाटन किया था. बराकर नदी पर स्थित यह डैम डीवीसी की सबसे बड़ी पनबिजली परियोजना है. पंडितजी नदियों पर बने आधुनिक बांध को भी देश का आधुनिक मंदिर कहते थे.

चौथी बार पंचेत डैम का किया उद्घाटन :

चौथी और आखिरी बार पंडित जवाहर लाल नेहरू छह दिसंबर 1959 को धनबाद के पंचेत आए थे. यहां उन्होंने दामोदर नदी पर बने डीवीसी की अंतिम बांध और पनबिजली परियोजना का उद्घाटन किया था. यहां उन्होंने पंचेत डैम के निर्माण के दौरान कामिन का काम करने वाली बुधनी मंझियाइन के साथ डैम का उद्घाटन किया था.

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