Dhanbad News : हार्मोनल डिसबैलेंस के कारण होती है पीसीओडी की समस्या, घबड़ायें नहीं लाइफ स्टाइल में करें बदलाव

राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर में प्रभात खबर के जागरूकता कार्यक्रम ''स्वस्थ बेटियां, खुशहाल परिवार'',छात्राओं को दी गयी सर्वाइकल कैंसर व पीसीओडी की जानकारी, बचने के उपाय भी बताये गये

By Prabhat Khabar News Desk | February 8, 2025 1:34 AM

प्रभात खबर ””””स्वस्थ बेटियां, खुशहाल परिवार”””” अभियान चला रहा है. इसके तहत कोयलांचल के हाई स्कूलों के बच्चियों के बीच शहर की वरीय महिला चिकित्सक जाती हैं और उनकी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का निदान करती हैं. इस क्रम में शुक्रवार को राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर अशोक नगर में ””स्वस्थ बेटियां, खुशहाल परिवार”” कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें नौवीं व 11वीं कक्षा की लगभग तीन सौ छात्राएं शामिल हुईं. इन बच्चियों को शहर की प्रसिद्ध स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ सरोजा हाजरा ने किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक बदलाव, बीमारियों व मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित जानकारियां दी. इस दौरान बेटियां भी अपने स्वास्थ्य को लेकर काफी जागरूक दिखीं. उन्होंने चिकित्सक की बातों को ध्यानपूर्वक सुना और संबंधित सवाल भी किये. अपनी स्वास्थ्य समस्याएं भी बतायीं. सबसे सामान्य सवाल पीरियड्स को लेकर था. छात्राओं पीएसओडी, मूड स्विंग होने, स्ट्रेस मैनेजमेंट को लेकर भी सवाल किये गये.

किशोरावस्था में आते हैं कई बदलाव

डॉ हाजरा ने छात्राओं से कहा कि 11 से 15 साल का समय किशोरावस्था का होता है. किशोरावस्था में कई शारीरिक बदलाव आते हैं. इसके अलावा किशोरावस्था में हार्मोनल बदलाव भी होता है. भारतीय परिवेश में लड़कियों का मासिक 12 साल से शुरू हो जाता है. कुछ लड़कियों में 16 साल की उम्र में इसकी शुरुआत होती है. बदलते वातावरण के कारण अब आठ साल की लड़कियों को भी मासिक आने लगा है. अगर ऐसा हो तो चिकित्सक की सलाह लें. जिन किशोरियों को सोलह साल तक मासिक नहीं आता है, वे भी चिकित्सक से मिले, पीरियड्स के पहले ह्वाइट डिस्चार्ज होना परेशानी वाली बात नहीं है, लेकिन इसकी मात्रा अधिक है, तो स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलें.

पीसीओडी के दौरान होता है हार्मोनल बदलाव

वर्तमान समय में बेटियों में पीसीओडी की समस्या बढ़ती जा रही है. पीसीओडी यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर. इस डिसऑर्डर के दौरान हार्मोनल बदलाव होता है. इस कारण मोटापा, अनियमित मासिक, चेहरे पर बाल आना, सिरदर्द होना, नींद न आना, मूड स्विंग, माइग्रेन की शिकायत होती है. पीसीओडी से बचने के लिए सबसे पहले लाइफ स्टाइल में बदलाव लायें, पौष्टिक आहर लें, मेडिटेशन व योगा नियमित करें, तनाव न पाले नकारात्मक विचार न पाले, सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रिय न रहें.

सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए वैक्सीनेशन जरूरी

सर्वाइकल कैंसर पेपीलोमा वायरस से होता है. इससे बचने के लिए वैक्सीनेशन जरूरी है. नौ साल से 45 साल तक इसके पांच डोज लगाये जाते हैं. नौ से चौदह साल में दो, अठारह से पैतालीस साल में तीन डोज लगते हैं. हर आठ में से एक महिला की मौत सर्वाइकल कैंसर से होती है. महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर व सर्वाइकल कैंसर से सबसे अधिक मौत होती है.

हरी सब्जियां खायें, फास्ट फूड से करें परहेज

महिलाओं को आयरन युक्त आहार के साथ विटामिन व मिनरल की जरूरत अधिक होती है. आयरन के लिए पालक, गुड़, खजूर, बीट, मोटा अनाज व आलू, सेब खायें, विटामिन सी के लिए नींबू हरी मिर्च व आंवला का उपयोग करें, गुड़ में नींबू का रस मिलाकर शरबत बनाकर सेवन करें. फास्ट फूड व जंक फूड से परहेज करें. पिज्जा, बर्गर, चाउमिन, पास्ता व कोल्ड ड्रिंक्स का इस्तेमाल नहीं करें. फास्ट व जंक फूड से मोटापा, अनियमित मासिक, खून की कमी, लंबाई का नहीं बढ़ना जैसी समस्या होती है.

चिकित्सक ने दिये सुझाव

छात्राओं के सवालों का जवाब देते हुए डॉ हाजरा ने कहा कि पीरियड्स के समय स्वच्छता का ख्याल रखें, पीरियड्स आने के पहले पेट दर्द की समस्या होती है. अधिक होने पर चिकित्सक से सलाह लेकर दवा लें. माह के खास दिनों में स्वच्छता का ख्याल रखना बेहद जरूरी है, नहीं तो संक्रमण फैल सकता है. सेनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल करें और हर पांच-छह घंटे में उसे बदलें, पीरियड्स के पहले ह्वाइट डिस्चार्ज होता है, अगर यह ज्यादा हो, इंचिग हो रहा हो, तो अपने परिजन को बतायें, पौष्टिक व संतुलित आहार ले. नियमित योग करें. रोज 10 से 12 गिलास पानी पीये.

यूटीआइ इंफेक्शन से बचें

ई- कोलाई बैक्टीरिया के कारण यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआइ) होता है. महिलाओं में यूटीआइ होना कॉमन है. इंफेक्शन होने से ठंड के साथ बुखार आना, यूरीन के साथ ब्लड आना, उल्टी आदि की समस्या हो सकती है. इससे बचने के लिए माहवारी के समय गंदे पैड का इस्तेमाल न करें, इंफेक्शन का सोर्स गंदगी होता है. इसलिए स्वच्छता का पूरा ख्याल रखें. खूब पानी पीयें. पानी का कम सेवन भी इंफेक्शन का कारण हो सकता है. यूरिन रोके नहीं. टॉयलेट का इस्तेमाल करने के पहले व बाद में पानी डाल दें.

प्राचार्य ने की प्रभात खबर के अभियान की सराहना

स्कूल के प्राचार्य सुमंत कुमार मिश्रा ने प्रभात खबर की ओर से बेटियों के स्वास्थ्य को लेकर चलाये जा रहे अभियान की सराहना की. उन्होंने कहा कि किशोरावस्था में बच्चियों की कई समस्या होती है. चिकित्सक ने उपयोगी जानकारी देकर उनकी समस्याओं का समाधान किया, चिकित्सक व प्रभात खबर का बहुत आभार. कैरियर काउंसेलिंग के साथ ही हेल्थ काउंसेलिंग भी बहुत जरूरी है.

उप प्राचार्या ने कहा : ऐसे कार्यक्रम से जागरूक होंगी बेटियां

स्कूल की उप प्राचार्या लीला सिंह ने कहा मौजूदा समय में बेटियों में स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता जरूरी है. प्रभात खबर की ओर से बेटियों के लिए हेल्थ अवेयरनेस प्रोग्राम चलाया जाना प्रशंसनीय है. इस उम्र में बच्चियों में झिझक होती है. ऐसे कार्यक्रमों से उनकी समस्या का समाधान होगा, झिझक भी मिटेगी.

शिक्षिकाओं ने कहा : बेटियों का मार्गदर्शन कर रहा प्रभात खबर

स्कूल की शिक्षिका प्रतिमा चौबे ने कहा कि अभी की बेटियां जागरूक हैं. अपनी समस्या शेयर करती हैं. चिकित्सक ने किशोरावस्था में होनेवाली परेशानी व उसके निराकरण की अच्छी जानकारी दी. प्रभात खबर की मुहिम सार्थक है. इस तरह के आयोजन से बच्चियों में अपनी बातें रखने का कांफिडेंस आता है. धन्यवाद प्रभात खबर. शिक्षिका कावेरी ने कहा बच्चियों के स्वास्थ्य को लेकर प्रभात खबर द्वारा बहुत ही सार्थक पहल की जा रही है. बढ़ती बेटियों को इस उम्र में सही मार्गदर्शन बेहद जरूरी है. प्रभात खबर का जागरूकता अभियान सराहनीय है.

छात्राओं को बताया गया स्टूडेंट लाइफ में कैसे मददगार है अखबार

राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर की छात्राओं को हेल्थ काउंसेलिंग से पहले अखबार की उपयोगिता बतायी गयी. उन्हें बताया गया की स्टूडेंट लाइफ में कैसे अखबार उनके लिए मददगार साबित होता है. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में मदद मिलती है. शब्दकोष बढ़ता है. हर दिन नये शब्द सीखने को मिलते हैं. कॅरियर, हेल्थ संबंधी जानकारी के साथ ही रोजगार की जानकारी भी अखबार में होती है. स्थानीय खबरों के साथ देश विदेश में होनेवाले हलचल के बारे में अखबार से पता चलता है. सोशल मीडिया भटकाव भरा होता है, जबकि अखबार की खबर तथ्य परक होती है.

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