Dhanbad News : सिर्फ राज्य सूची की ओबीसी जाति को केंद्र में नहीं मिलता आरक्षण

प्रभात खबर लीगल काउंसेलिंग में वरिष्ठ अधिवक्ता ब्रजेंद्र प्रसाद सिंह ने दी कानूनी सलाह

By Prabhat Khabar News Desk | February 10, 2025 1:46 AM
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राज्य सरकार द्वारा जारी ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) सूची में शामिल होने का यह अर्थ नहीं है कि केंद्र सरकार की नौकरियों या शिक्षण संस्थानों में उसका स्वतः लाभ मिलेगा. केंद्र सरकार की नौकरियों और शिक्षा में ओबीसी आरक्षण का लाभ केवल उन्हीं जातियों को मिलता है, जो केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल होती हैं. यह कहना है वरिष्ठ अधिवक्ता ब्रजेंद्र प्रसाद सिंह का. वह रविवार को प्रभात खबर की ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में पाठकों के सवालों पर कानूनी सलाह दे रहे थे. गिरिडीह जिले के जमुआ प्रखंड के संदीप कुमार का सवाल था कि वह झारखंड में ओबीसी वर्ग से आते हैं. उनकी जाति केंद्र सरकार की ओबीसी सूची में शामिल नहीं है, तो क्या उन्हें केंद्र सरकार से इसका लाभ मिलेगा? इसके जवाब में श्री सिंह ने कहा कि आपको सबसे पहले केंद्र की ओबीसी सूची की जांच करनी चाहिए. यह सूची राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एमसीबीसी) की आधिकारिक वेबसाइट (एनसीबीसी.एनआइसी.इन) पर उपलब्ध है. वहां जाकर यह देखें कि आपकी जाति केंद्रीय सूची में है या नहीं. अगर आपकी जाति केवल राज्य सूची में है, तो इसका लाभ केवल राज्य सरकार की नौकरियों और राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में मिलेगा. केंद्र सरकार की नौकरियों या शिक्षण संस्थानों (जैसे आइआइटी, एनआइटी, यूपीएससी, एसएससी, बैंकिंग आदि) में इसका लाभ नहीं मिलेगा. हालांकि ऐसी ओबीसी जातियां केंद्र सरकार की नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का लाभ इडब्ल्यूएस कोटा में ले सकती हैं. लेकिन इसके लिए इडब्ल्यूएस कोटा के लिए तय सारी अहर्ता को पूरा करना होगा.

सीओ आपकी जमीन का म्यूटेशन नहीं कर रहे, तो उपायुक्त से करें शिकायत

जमीन, संपत्ति और घरेलू मामलों को पहले अपने स्तर पर सुलझाने का प्रयास करना चाहिए. अक्सर कानूनी पचड़ों में पड़कर लोग काफी परेशान होते हैं. कई ऐसे मामले हैं, जिन्हें सिर्फ बातचीत कर निबटाया जा सकता है. इसके लिए आस-पास के माननीयों की मदद ली जा सकती है. कोर्ट-कचहरी के चक्कर में पड़कर पैसा और समय बर्बाद होता है. उक्त बातें रविवार को प्रभात खबर ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में वरिष्ठ अधिवक्ता ब्रजेंद्र प्रसाद सिंह ने कही.

गिरिडीह के रोहित कुमार ने का सवाल :

उनके घर सामने एक रास्ता है. यह रास्ता सरकारी जमीन पर है. कुछ लोगों ने इस रास्ते पर इसे घेर लिया है. हम लोगों ने इसकी शिकायत धनबाद अंचलाधिकारी से की है. लेकिन वह नहीं सुन रहे हैं. जबकि रास्ते की जमीन सरकारी है. अब हमें क्या करना चाहिए?

अधिवक्ता की सलाह :

आपको सबसे पहले इस बात की पुष्टि करनी चाहिए कि वह जमीन सच में सरकारी यह या नहीं. इसके लिए बंदोबस्त कार्यालय से जमीन की स्थिति का पता करें. अगर जमीन सच में सरकारी है, तो आपकी बात अंचलाधिकारी को सुननी होगी. अगर इसके बाद वह नहीं सुन रहे हैं, तो इसकी शिकायत आप उपायुक्त से करें.

बाबूडीह (धनबाद) से नरेन्द्र कुमार का सवाल :

मैं एक प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में पिछले 12 वर्षों से शिक्षकेतर कर्मचारी हूं. इतने लंबे समय से काम करने के बाद भी कॉलेज प्रबंधन ने आज तक मुझे पीएफ के लाभ से वंचित रखा है. मुझे पीएफ का लाभ मिले, इसके लिए मुझे क्या करना चाहिए ?

अधिवक्ता की सलाह :

आपको सबसे पहले अपने कॉलेज प्रशासन से बात करनी चाहिए. इसके बाद भी अगर कॉलेज प्रशासन आपका पीएफ का लाभ नहीं दे रहा, तो आप इसकी शिकायत पीएफ कमीश्नर या फिर अपने उपायुक्त से करें.

बाघमारा (धनबाद) के साधुशरण केसरी का सवाल :

मेरी शादी को 25 वर्ष हो गये हैं. मैं अभी गुजरात के सूरत में नौकरी करता हूं. मेरी पत्नी भी वहीं रहती है. हमारे बच्चे भी अब बड़े हो गये हैं. लेकिन शादी इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी मेरी पत्नी मुझे मानसिक तौर पर बहुत अधिक प्रताड़ित करती है. अब मैं तंग आकर पत्नी से तलाक के लिए धनबाद फैमली कोर्ट में केस कर दिया है और पत्नी को वाट्सएप्प पर नोटिस भी दिया है. लेकिन मेरी पत्नी कोर्ट में हाजिर नहीं हो रही है?

अधिवक्ता की सलाह :

आपको यह समझना होगा कि वाटसएप्प पर लीगल नोटिस नहीं भेजा जा सकता है. यह कानूनी रूप से सही नहीं है. आपको कोर्ट के माध्यम से लीगल नोटिस भेजना चाहिए. आप अपने वकील से कहिए कि कोर्ट कि यह नोटिस रजिस्टर्ड डाक से पत्नी के पते पर भेजें. इस नोटिस के बाद आपकी पत्नी कोर्ट में आने के लिए बाध्य हो जायेगी. गिरिडीह के रवि कुमार का सवाल : मेरे ससुर मेरी पत्नी को अपनी खरीदी हुई जमीन से कुछ हिस्सा देना चाह रहे हैं. लेकिन गिरिडीह में जिस जगह वह जमीन है, उस जमीन को सेल ने अपनी एक परियोजना के लिए चिन्हित कर रखा है, इसलिए जमीन की रजिस्ट्री मेरी पत्नी के नाम पर नहीं पा रही है, हालांकि इस को लेकर पहले ही डेकलेरेशन कर दिया है, हमें क्या करना चाहिए ?

अधिवक्ता की सलाह :

आपकी पत्नी को इस जमीन में हिस्सा जरूर मिलेगा. क्योंकि आपके ससुर ने पहले ही इस संबंध में डेकलेरेशन कर दिया है. इसकी कानूनी वैधता होती. जब सेल उस जमीन का अधिग्रहण करेगा. तब इस कागजात को सक्षम कमेटी के सामने प्रस्तुत करना होगा.

धनबाद के आरएस तिवारी का सवाल :

मैं पिछले दिनों प्रयाग से ट्रेन के माध्यम से धनबाद आ रहा था. लेकिन ट्रेन सीधे नहीं थी. मुझे बनारस से ट्रेन बदलना था. प्रयाग से बनारस वाली ट्रेन काफी लेट से बनारस पहुंची. इस कारण बनारस से धनबाद आने वाली ट्रेन छूट गयी. मैं फिर किसी तरह दूसरे ट्रेन से धनबाद आया. मैं अपने इस नुकसान की कैसे भरपाई करूं?

अधिवक्ता की सलाह :

आपको सबसे पहले इस मामले में रेलवे को लीगल नोटिस भेजना चाहिए. आपने यह टिकट आइआरसीटीसी से ऑन लाइन लिया है. इसलिए आपको यह नोटिस आइआरसीटीसी को भेजनी होगी.

गिरिडीह के सतीश कुमार सिंह का सवाल :

मैंने 2008 में एक प्राइवेट एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में एडमिशन लिया था. लेकिन किसी कारण मैंने उस कोर्स को एडमिशन के बाद ही छोड़ दिया था. मैंने इंस्टीट्यूट से अपना पैसा मांगा, लेकिन उसने वापस नहीं किया. इसके बाद मैंने गिरिडीह कोर्ट में सीपी केस किया था. कोर्ट ने पैसा वापस करने का आदेश दिया था. इसके बाद भी पैसा नहीं मिला. कोर्ट ने फिर गिरफ्तारी का आदेश दिया. इसके बाद भी अबतक संस्थान के संचालकों की गिरफ्तारी नहीं हुई है, मैं अब क्या करू?

अधिवक्ता की सलाह :

इस मामले में अब आप एक बार फिर कोर्ट फिर से आवेदन दे. अब कोर्ट ही पुलिस को इस मामले में आगे कार्रवाई के लिए आदेश दे सकती है.

धनबाद के विजय कुमार का सवाल :

मेरे पिता की मृत्यु हो गयी है, मुझे पिता जी की अर्जित संपत्ति में हिस्सा लेने के लिए क्या करना होगा ?

अधिवक्ता की सलाह :

आप हिंदू हैं, इसलिए आपके पिता की अर्जित संपत्ति में आपको हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के तहत हिस्सा मिलेगा. आपको इसके लिए कोर्ट में जाना चाहिए.

बोकारो के अनिल राय का सवाल :

मेरी जमीन के म्यूटेशन का आवेदन पहले सीओ ने रद्द कर दिया था. इसके बाद एलआरडीसी के यहां मैंने अपील की थी. वहां मेरे पक्ष में निर्णय आया था. लेकिन इसके बाद भी सीओ म्यूटेशन नहीं कर रहे थे. बताया जा रहा है कि मेरी जमीन का रिकार्ड उपलब्ध नहीं है. मैं क्या करू?

अधिवक्ता की सलाह :

इस मामले में आपके पास अपने जमीन का रिकार्ड नहीं है. इसके लिए पहले आप वकील के माध्यम से आवेदन करें. इसके बाद ही संबंधित अधिकारी यह लिख कर देंगे. अगर रिकार्ड सच में नहीं है, तो वह इसे भी लिख कर देंगे. इसे कानूनी वैधता प्राप्त है.

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