Dhanbad News : सड़क पर दौड़ रही फैंसी नंबर प्लेट वाली गाड़ियां दुर्घटना के बाद नहीं हो पाती है वाहनों की पहचान

सड़क सुरक्षा माह पर विशेष -हमने 
खोया 
आप ना खोयें : यातायात नियमों का उल्लंघन ना करें. अपना और अपने लोगों की सुरक्षा का ध्यान रखें.

By Prabhat Khabar News Desk | January 6, 2025 12:08 AM

सड़क सुरक्षा माह चल रहा है. इस दौरान पुलिस लगातार लोगों को सुरक्षा को लेकर आगाह कर रही है, पर कोई खास असर नहीं दिख रहा. आंकड़ों पर निगाह डालें तो प्रतिदिन कहीं ना कहीं किसी की जान जा रही है यातायात नियमों का पालन नहीं करने के कारण. कई बार फैंसी नंबर प्लेट से वाहन की पहचान नहीं हो पाती है. इस वजह से दुर्घटना के बाद पीड़ित को मुआवजा नहीं मिल पाता है. हादसों के बाद का दर्द क्या होता है, यह उन्हीं को पता होता है जिन पर बीतती है. प्रभात खबर सड़क सुरक्षा माह के इस मौके पर आपको आगाह कर रहा है कि यातायात नियमों का उल्लंघन ना करें. अपना और अपने लोगों की सुरक्षा का ध्यान रखें. पढ़ें हमने खोया, आप नहीं खोयें की दूसरी कड़ी.

एचएसआरपी नंबर प्लेट को बदल रंगीन नंबर प्लेट लगा लेते हैं लोग :

गाड़ी की नंबर प्लेट या व्हीकल रजिस्ट्रेशन प्लेट पर 8055 बन जाता है बॉस, 4141 बन जाता है पापा या दादा. ऐसे कई उदाहरण हैं, जो गाड़ियों की नंबर प्लेट पर आम तौर पर देखे जा सकते हैं, लेकिन यह गैरकानूनी है. ऐसा करने पर पांच से 10 हजार रु तक का जुर्माना लग सकता है. इसके बाद भी धनबाद की सड़कों पर कई गाड़ियों पर अलग-अलग प्रकार की डिजाइनर नंबर वाली नंबर प्लेट दिख जायेंगे. विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं होने से इस आदत पर लगाम नहीं लग पा रहा है.

ओरिजनल नंबर प्लेट बदल लेते हैं लोग :

बताया जाता है कि कई बार लोग ओरिजनल नंबर प्लेट को बदलकर रंगीन नंबर प्लेट लगा लेते हैं. अब परिवहन विभाग की ओर से हाई सिक्युरिटी नंबर प्लेट (एचएसआरपी) दिया जाता है. इसके बाद भी कई लोग इसे बदलकर रंगीन नंबर प्लेट लगवा लेते हैं. कई नंबर प्लेट में लोग नॉर्मल लिखे नंबर को बदल लेते हैं व अलग प्रकार के नंबर डिजिट लगवा लेते हैं. इससे कई बार दुर्घटना के बाद वाहन की पहचान नहीं हो पाती है.

क्या है एचएसआरपी नंबर प्लेट :

एल्युमीनियम की नंबर प्लेट नॉन यूजेबल लॉक से वाहन के ऊपर लगा दी जाती है जिसे निकाला नहीं जा सकता है. रजिस्ट्रेशन प्लेट के ऊपर बाएं कोने पर अशोक चक्र का क्रोमियम-आधारित नीले रंग का हॉट स्टैंप होलोग्राम लगा होता है. इस प्लेट के निचले बायें कोने में एक 10 अंक का लेजर इंग्रेव्ड पिन (स्थायी पहचान संख्या) होता है. इसके कई फायदे है जैसे वाहन के इंजन नंबर और चेसिस नंबर सहित उसकी सभी जरूरी डीटेल्स एक केंद्रीकृत डेटाबेस में स्टोर रहती हैं.

काश मैं अपने बच्चे को बचा पाती :

सोशल वर्कर अर्पित अग्रवाल कहती हैं कि नौ अगस्त 2018 का मनहूस दिन याद आता है, तो सिहर जाती हूं. मेरा बच्चा (आयुष) ट्यूशन पढ़कर घर लौट रहा था. आईएसएम के दूसरे गेट के पास एक महिला की कार ने उसे जोरदार टक्कर मारी और मेरी गोद हमेशा के लिए सूनी हो गयी. मैंने डिगवाडीह के एक सज्जन को उसकी आंखे दान कर दी. इतना बड़ा फैसला मैंने यह सोचकर लिया कि मेरा बच्चा सशरीर इस दुनिया में भले ही न रहे, लेकिन उसकी आंखे जीवित रहकर किसी के जीवन को रोशन करेंगी. उसकी याद में मैने आयुष फाउंडेशन बनाया है. उसे रक्तदान की बहुत इच्छा थी. पहली बार रक्तदान करनेवाला था, लेकिन सब अधूरा रह गया. उसकी याद में समय समय पर रक्तदान शिविर लगाती हूं. मैं सभी से कहना चाहती है जीवन बहुत अनमोल है. मैने अपने को खो दिया है आप न खोंये.

…ताकि किसी का हाल मेरे जैसा न हो :

राकेश की जिंदगी में 20 जनवरी 2020 का वह मनहूस दिन साबित हुआ. जिस दिन करकेंद पुल के पास एक हाइवा से दुर्घटनाग्रस्त हो गये. लंबे इलाज के बाद इन्फेक्शन होने के कारण अंततः एक पैर काटना पड़ गया. आज भी इन्फेक्शन का प्रभाव है. ड्रेसिंग चल रही है. जीवन काफी संघर्ष मय हो चला है. दुर्घटना के पूर्व भारतीय जीवन बीमा निगम धनबाद ब्रांच एक का अभिकर्ता के रूप में काम करते थे. दुर्घटना के बाद झारखंड सरकार के कल्याण विभाग द्वारा पेंशन स्वरूप एक हजार रुपये प्राप्त होते हैं. जीविकोपार्जन के लिए करकेन्द हॉस्पिटल के पास एक छोटी सी गुमटी लगाकर रोजी रोटी जुटाते हैं. वह खुद का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि सड़क सुरक्षा नियमों का पालन हर किसी को करना चाहिए, ताकि किसी का हाल उनके जैसा न हो.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version