धनबाद.
भाई-बहन के स्नेह का त्योहार भाई दूज और भाई फोटा रविवार को कोयलांचल में धूमधाम से मनाया गया. कार्तिक मास शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को यह त्योहार मनाया जाता है. इस अवसर पर बहनों ने गोबर लीपे स्थान पर गोबर से घर, सांप-बिच्छा, चांद-सूरज, सिंधौरा, आइना कंधी, यम-यामिन बनाकर आस्था और नेम से उनकी पूजा की. सिंधौरा में सिंदूर भरकर घर की पूजा कर उसमें पान के पत्ते पर फल, मिठाई नारियल, बजरी रखी. आज के दिन बहनें खीर जरूर बनाती हैं और भैया दूज की कहानी सुनती हैं. कहानी सुनने के बाद बहनों ने बायें हाथ की कनिष्ठा अंगुली और अंगूठे से कच्ची रुई में चावल का चूरा और हल्दी का घोल बनाकर माला बनायी. उसके बाद बहनें समाट की पूजा कर उसे यम-यामिन के कलेजे के ऊपर रखकर कूटती हैं. गोधन कूटते वक्त बहनें पारंपरिक गीत अंवरा कूटब भंवरा कूटब यम के द्वार, कूटब भैया के दुश्मन आठो पहर दिन रात…, राजा भइया चलले अहेरिया लाडो बहन देयली अशीष, जिया तू मोरे भइया जिया तू लाख बरिस, इ पार दुलरेतो बहिनी छतवा लेले ठार, ऊ पार राजा भइया आवे घोड़वा सवार… गाती हैं. गोधन कूटते वक्त रेंगुनी का कांटा, बजरी और माला भी कूटा गया. बहनें माला तोड़ती और जोड़ती हैं. जब वे ऐसा करती हैं तब उनसे पूछा जाता है वे क्या कर रही हैं. बहनें कहती हैं यम-यामिन का आस तोड़तें हैं, भाई-पिता की आयु जोड़ते हैं. अंत में बहनें भाई को श्रापती हैं. मान्यता है एक बहन ने भाई दूज की पूजा तो विधि विधान से की लेकिन अपने भाई को श्रापित नहीं किया था तब से उसके भाई पर ग्रह सवार हो गया था. इसलिए भाई दूज करनेवाली बहनों को भाई को श्रापित करना अनिवार्य होता है. भाई को श्रापित करने के बाद बहनें प्रायश्चित स्वरूप अपने जीभ में कांटा चुभोती हैं. बहनें भाई के ललाट पर तिलक लगाकर आरती उतारती हैं. उन्हें बजरी खिलाकर यमराज से आशीर्वाद मांगती हैं मेरा भाई बजरी के समान बज्जर हो, उसकी आयु लंबी हो. बहनें अपने हाथों से भाई को खीर खिलाती हैं. भाई बहन को उपहार देता है. बंगाली समुदाय में बहनों ने भाई फोटा मनाया है. बहनों ने पूजा कर भाई के कपाल पर टीका लगाया. टीका लगाते वक्त उन्होंने कहा भाई कपारे दिलाम फोटा, यम द्वआरे लागलो कांटा. भाइयों ने टीका लगवाकर बहनों को उपहार दिया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है