सदर अस्पताल का सोलर प्लांट खराब, बिजली बिल व डीजल पर बढ़ा खर्च
जेवीएनएल पर बढ़ी निर्भरता,- हर माह 50 हजार रुपये बिजली बिल की खपत शुरू
स्वास्थ्य विभाग की ओर से सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए और सदर अस्पताल को बिजली की समस्या से निजात दिलाने के लिए लाखों की लागत से सोलर पावर प्लांट लगाये गये हैं. लेकिन रख रखाव के अभाव में सदर अस्पताल के सोलर पैनल बेकाम हो गये हैं. बैट्री खराब हो जाने के कारण सोलर सिस्टम मार्च माह से बंद है. मई माह में इसे दुरुस्त करने का कवायद हुई, लेकिन इसे ठीक नहीं किया जा सका. ऐसे में सदर अस्पताल में एक बार फिर से बिजली को लेकर विद्युत विभाग की सप्लाई पर निर्भर हो गया. सोलर पावर प्लांट पूरी तरह चालू रहता, तो सदर अस्पताल में विद्युत विभाग से बिजली सप्लाई लेने की जरूरत ही नहीं होती. वैकल्पिक व्यवस्था के लिए सिर्फ यह कभी कभार जरूरी होता है. बताते चलें कि वर्ष 2021 में सदर अस्पताल में बिजली की निर्भरता खत्म करने के लिए लाखों की लागत से रुफ टॉप सोलर पैनल स्थापित किया गया था. इसमें करीब 270 सोलर पैनल हैं, पर आज इनका कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा है़.
सोलर पावर से बिजली बिल व डीजल के खर्च में हो रही थी बचत :
सोलर सिस्टम से बिजली आपूर्ति की व्यवस्था होने से सदर अस्पताल के सभी वार्डों में जीरो कट बिजली की आपूर्ति सुगम हो गयी थी. इससे एक ओर जहां भर्ती मरीजों के अलावा अस्पताल के ओटी, सिजेरियन, आइसीयू, इमरजेंसी समेत सभी महत्वपूर्ण वार्डों में काफी सहूलियत हो गयी थी. वहीं दूसरी ओर अस्पताल प्रबंधन को भी बिजली बिल व डीजल के रूप में हो रहे खर्च से काफी राहत मिल रही थी. अस्पताल में लगाया गया सोलर सिस्टम करीब दो साल तक चला और बैट्री खराब हो जाने के बाद से बंद पड़ा हुआ है.जेबीवीएनएल पर बढ़ गयी निर्भरता : सोलर पावर प्लांट से बिजली उत्पादन होने के कारण मार्च माह से पहले अस्पताल में बिजली बिल औसतन पांच हजार के करीब आता था. साेलर प्लांट के खराब होने के कारण बिजली के मामले में सदर अस्पताल की जेबीवीएनएल पर निर्भरता बढ़ गयी है. फिलहाल हर माह औसतन 50 से 60 हजार रुपये बिजली बिल आ रहा है.
वर्जनकोरोनाकाल में स्वास्थ्य मुख्यालय के निर्देश पर सदर अस्पताल में सोलर प्लांट लगाया गया था. इसके खराब होने की जानकारी मुख्यालय को दे दी गयी है. जल्द ही इसे स्थापित करने वाली एजेंसी धनबाद पहुंचकर मरम्मत कार्य करेगी. डॉ
चंद्रभानु प्रतापन,
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