धनबाद.
हर साल 14 जनवरी को आर्मी वेटरन डे के रूप में मनाया जाता है. 1953 में फील्ड मार्शल केएम करियप्पा के सेना से रिटायर होने के बाद से आर्मी वेटरन डे मनाने की शुरुआत हुई. रिटायर होने के बाद फौजी का सिर्फ कार्य क्षेत्र बदलता है. वे समाज सेवा करने लगते है. धनबाद में भी कई ऐसे सैनिक हैं, जो सेवानिवृत्ति के बाद अब समाज के लिए कुछ कर रहे हैं. कोई किसी संस्थान में पढ़ा रहे हैं तो कोई पूर्व सैनिकों व उनके परिवार को स्वास्थ्य सेवा देने में जुटे हैं. उनका कहना है कि फौजी कभी रिटायर नहीं होता है. आज आर्मी वेटरन डे पर पढ़ें शोभित रंजन की रिपोर्ट.पूर्व सैनिकों के स्वास्थ्य के लिए कर रहे हैं काम
भारतीय वायु सेना में लगभग 25 साल सेवा देने के बाद 2023 में सेवनिवृत्त हुआ. सेना में अपने जीवन का एक लंबा वक्त काटा है. इस दौरान देश – विदेश में अपनी सेवा दी. अपने अनुभव का इस्तेमाल अब पूर्व सैनिकों व उनके परिवार को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में कर रहे हैं. वर्तमान में धनबाद के इसीएचएस पॉली क्लिनिक में सेवा दे रहा हूं. आज अपने भाइयों व उनके परिवार को बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने की कोशिश करता हूं, जो मुझे बेहद खुशी देती है.
अनिल तिवारी, ग्रुप कैप्टन (रिटायर्ड)
समाज के लिए काम कर मिलती है खुशी
भारतीय थल सेना में 30 साल सेवा देने के बाद सूबेदार रवींद्र कुमार सिंह 2017 में सेवानिवृत्त हुआ. इसके बाद से लगातार समाज सेवा व पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं. मैने कई लड़ाइयां देखी. कारगिल युद्ध में भी योगदान दिया. सेना में रहने के बाद कोई भी इंसान इतना सक्षम जरूर हो जाता है कि जीवन में किसी भी क्षेत्र में काम कर सके. सेना के बाद आज समाज के लिए काम कर रहा हूं. जरूरतमंदों के चेहरे पर मुस्कार मुझे अलग ही खुशी देती है.रवींद्र कुमार सिंह, सूबेदार (रिटायर्ड)
वेटरन वो है जो अपने क्षेत्र में लंबा अनुभव रखता है
20 साल तक मैंने वायु सेना में सेवा दी. फिर वर्ष 2013 में रिटायर हो गया. उसके बाद मैंने आइआइटी आइएसएम धनबाद में टेक्निकल ऑफिसर के रूप में योगदान दिया. बच्चों के बीच रह कर कभी ऐसा नहीं लगता कि मैं रिटायर हो गया हूं. मैं लगातार अपनी सेवा यहां दे रहा हूं. यह मुझे अलग उत्साह देता है. सेना में जो भी सीखा है उसे ही आज मैंने दैनिक जीवन में इस्तेमाल करता हूं. मैं वेटरन उसे मानता हूं जिसके पास अपने काम करने वाले क्षेत्र में लंबा अनुभव हो.
रमेश प्रसाद,
जेडब्ल्यूओ (रिटायर्ड)पूर्व सैनिकों व उनके परिवार की सेवा से मिलती है खुशी
30 साल सेना में सेवा देने के बाद 2024 में रिटायर हुआ हूं. अब धनबाद के इसीएचएस पॉली क्लिनिक में सेवा दे रहा हूं. यहां मैं उन पूर्व सैनिकों व उनके परिवार की सेवा व मदद करता हूं, जिन्हें स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या है. इसमें मुझे खुशी मिलती है. कभी यह नहीं लगता है कि रिटायर हो गया हूं. सेना में रहने के दौरान में मैंने लड़ाइयां भी देखी है. मेरा मानना हैं कि फौजी कभी रिटायर नहीं होता है. सेना में नहीं अपने जीवन में कही ना कहीं सेवा देता रहता है.पीसी मंडल,
सूबेदार(रिटायर्ड)डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है