अशोक कुमार, धनबाद,
पृथ्वी पर जीवन की दृष्टि से पर्यावरण संतुलन आज बड़ी जरूरत है. पर्यावरण संतुलन के लिए जरूरी प्रमुख घटकों में जल, जंगल और जमीन है. यह इसके आधार हैं. लेकिन मानव सभ्यता के विकास का वर्तमान मॉडल इन तीनों घटकों को नुकसान पहुंचा रहा है. इन तीनों घटकों के बीच संतुलन बनाये रखने का काम जंगल करता है. लेकिन तेजी से बढ़ते कंक्रीट के जंगलों ने पर्यावरण को सबसे अधिक पहुंचाया है. 22 अप्रैल को पूरा विश्व पृथ्वी दिवस मनायेगा. पृथ्वी दिवस पर पृथ्वी की सेहत को दुरुस्त रखने के लिए संकल्प लेते हैं. लेकिन जब बात अपने संकल्प को धरातल पर पूरा करने की होती है, तब अधिकतर मामलों में यह हवा- हवाई ही साबित हो रही है. पृथ्वी की सेहत को बेहतर बनाये रखने के लिए हर वर्ष पूरे देश में बड़े पैमाने पर पौधरोपण किया जाता है. केवल धनबाद में हर वर्ष लाखों पौधे लगाये जाते हैं. यहां वन विभाग, बीसीसीएल व नगर निगम जैसे सरकारी संस्थाएं इस अभियान में शामिल होती हैं. लेकिन सवाल उठता है कि जितने पौधे इन संस्थाओं द्वारा लगाये जाते हैं, उनमें कितने बच पाते हैं. 2017 से 2023 तक केवल वन विभाग ने जिले में औसतन हर 10 वर्ग मीटर में एक पौधा लगाया था. विभाग द्वारा अलग अलग क्षेत्रों में कुल 30 लाख से अधिक पौधे लगाये गये थे. इस तरह केवल वन विभाग ने 2500 वर्ग किमी से अधिक क्षेत्रफल में पौधरोपण किया है. यह आंकड़ा धनबाद जिले के कुल क्षेत्रफल का करीब 88 प्रतिशत है. जिले का कुल क्षेत्रफल 2886 वर्ग किमी है. अगर सिर्फ वन विभाग द्वारा लगाये गये पौधे जीवित बचे रहते, तो धनबाद का 83 प्रतिशत क्षेत्र हरा भरा होता. लेकिन ऐसा नहीं हुआ है.
पौधों को बचाये रखना बड़ी चुनौती :
फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा जारी आंकड़े बताते हैं कि इसी काल के दौरान धनबाद के वन क्षेत्र में करीब छह वर्ग किमी की वृद्धि हुई है. धनबाद का कुल वन क्षेत्र वर्ष 2017 तक 169.51 वर्ग किलोमीटर था. छह सालों में यह आंकड़ा बढ़ कर 175.70 वर्ग किलोमीटर पहुंच गया है. 2016 साल पहले हुए सर्वे के अनुसार धनबाद में कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 10.7 प्रतिशत हिस्सा वन क्षेत्र में आता है. इसी तरह धनबाद नगर निगम ने भी पिछले वर्ष नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत 30 हजार पौधे लगाये थे. इनमें काफी संख्या में पौधे सूख चुके हैं. यह आंकड़ा बताते हैं कि सिर्फ पौधरोपण ही चुनौती नहीं है, इन्हें बचाए रखना आज सबसे बड़ी चुनौती है.
सड़क चौड़ीकरण में काट दिये गये हजारों पेड़ :
धनबाद में सड़क चौड़ीकरण के लिए हजारों पेड़ काट दिये गये. काटे गये अधिकतर पेड़ 100 वर्ष से उम्र के थे. जिन सड़कों के किनारे से पेड़ काटे गये थे, आजतक वहां पेड़ नहीं लगाये गये हैं. धनबाद में जाने माने पर्यावरण विद अखिलेश सहाय बताते हैं कि धनबाद में विकास योजनाओं को बनाते समय यदि पर्यावरणीय पहलुओं पर गंभीरता से विचार कर उस पर अमल किया जाये, तो नुकसान को कम किया जा सकता है. वृक्ष को काटने की बजाय हमें योजना में परिवर्तन की संभावना पर विचार करना चाहिये. शहर बसाने या यातायात के संबंध में योजना बनाते समय वहां उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों पर गौर किया जाना चाहिए. दोनों के बीच सामंजस्य हर हाल में कायम रखना चाहिए. चूंकि धनबाद में प्राकृतिक संसाधन का अत्यधिक दोहन किया जा रहा है. इसलिए विकास और पर्यावरण के बीच सांमजस्य बेहद जरूरी है. अगर यहां पर्यावरण संरक्षण पर अभी से ध्यान नहीं दिया तो आने वाले समय इसका सबसे अधिक बुरा असर मानवों पर ही पड़ेगा.