शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच) के ऑर्थों विभाग में भर्ती नावाडीह भूली की 76 वर्षीया सरस्वती देवी दर्द से कराह रही है. लगभग 20 दिन पहले अस्पताल में भर्ती वृद्धा के बांयें पैर की हड्डी दो हिस्सों में टूट चुकी है. दिल से संबंधित समस्या होने के कारण उनका ऑपरेशन नहीं हो पाया. चिकित्सकों ने इस समस्या को दूर कर ऑपरेशन की तिथि तय की, तब तक जूनियर चिकित्सकों की हड़ताल शुरू हो गई. पिछले चार दिनों से सरस्वती देवी का ऑपरेशन टल रहा है. प्रभात खबर की टीम जब ऑर्थों विभाग पहुंची, तो सरस्वती ने हाथों से इशारा कर टीम को अपने पास बुलाया और अपने कष्ट के बारे में बताया. उन्होंने यह भी बताया कि पैर का दर्द अब उनसे बर्दाश्त नहीं हो पा रहा है. यही हाल वार्ड में भर्ती अन्य मरीजों का भी है. केंदुआ के रहने वाले 64 वर्षीय बुजुर्ग स्वदीप पासवान के हाथ व बोकारो थर्मल के रहने वाले 58 वर्षीय विजय तुरी के पैर का ऑपरेशन पिछले तीन दिनों से टल रहा है. हड़ताली जूनियर चिकित्सकों ने ओटी में ताला जड़ दिया है. अस्पताल की चरमरायी चिकित्सा व्यवस्था को लेकर प्राचार्य डॉ ज्योति रंजन प्रसाद ने सोमवार को वरीय चिकित्सकों की आपात बैठक बुलायी. इस दौरान जूनियर चिकित्सकों को भी बैठक में आमंत्रित किया गया था. जूनियर चिकित्सकों से हड़ताल वापस लेने का आग्रह किया गया, लेकिन वे नहीं माने. मंगलवार को भी हड़ताल जारी रहेगी.
बाहर से खरीदनी पड़ रही मरीजों को दवा :
जूनियर चिकित्सकों की हड़ताल से एसएनएमएमसीएच की चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गयी है. ओपीडी सेवा ठप होने के कारण मरीजों को दवा भी नहीं मिल रही है. जबकि, मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में चिकित्सीय परामर्श के साथ मरीजों के लिए नि:शुल्क दवा की व्यवस्था है. ऐसे में इमरजेंसी में चिकित्सीय परामर्श प्राप्त होने के बावजूद मरीजों को दवा बाहर से खरीदनी पड़ रही है.इन सेवाओं पर भी पड़ा असर : रेडियोलॉजी की 300 से ज्यादा रिपोर्ट पेंडिंग
हड़ताल का असर अस्पताल के रेडियोलॉजी विभाग पर भी सीधे तौर पर पड़ा है. यहां स्वास्थ्यकर्मियों की मदद से एक्स-रे सुविधा मिल रही है, लेकिन चिकित्सकों की हड़ताल के कारण रिपोर्ट नहीं बन पा रही है. एक्स-रे विभाग के कर्मियों के अनुसार चार दिनों में 300 से ज्यादा मरीजों का एक्स-रे रिपोर्ट पेंडिंग है.पैथलॉजी रिपोर्ट के इंतजार में आगे नहीं बढ़ रहा इलाज :
पैथलॉजी विभाग की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है. वरीय चिकित्सकों की सलाह पर अस्पताल में भर्ती मरीजों का सैंपल विभिन्न जांच के लिए लिया जा रहा है. लेकिन रिपोर्ट नहीं बन पा रही है. रिपोर्ट नहीं मिलने से मरीजों के आगे का इलाज भी शुरू नहीं हो पा रहा है.नवजात की सेहत के साथ भी खिलवाड़, इम्यूनाइजेशन बंद :
वर्तमान में नवजात की सेहत के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है. हड़ताल का हवाला देते हुए ओपीडी बिल्डिंग में संचालित रूटीन इम्यूनाइजेशन केंद्र भी बंद कर दिया गया है. इस केंद्र में नवजात से लेकर अन्य बच्चों को विभिन्न तरह का टीका लगाया जाता है. दो दिनों से टीकाकरण कार्य ठप है.इमरजेंसी पर दबाव, ठीक से नहीं हो रहा मरीजों का इलाज :
चार दिनों से ओपीडी सेवा बंद होने के कारण अस्पताल की सेंट्रल इमरजेंसी में मरीजों का दबाव बढ़ गया है. चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मियों की तुलना में लगभग 10 गुणा ज्यादा मरीज इमरजेंसी में इलाज कराने पहुंच रहे हैं. इस वजह से उनका इलाज ठीक से नहीं हो पा रहा है. चिकित्सीय परामर्श प्राप्त करने के लिए मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है.हंगामे के बाद इमरजेंसी में शुरू हुआ एंटी रैबिज टीकाकरण :
चिकित्सकों की हड़ताल के कारण ओपीडी बिल्डिंग में संचालित एआरवी केंद्र भी दो दिनों से बंद था. यहां डॉग बाइट के शिकार लोगों को एंटी रैबीज टीका दिया जाता है. रोजाना 200 से ज्यादा लोग इस केंद्र में टीका लेने के लिए पहुंचते है. दो दिनों से केंद्र बंद रहने पर सोमवार को लोगों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा किया. इसे देखते हुए एसएनएमएमसीएच प्रबंधन ने इमरजेंसी में एंटी रैबिज टीकाकरण शुरू कराया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है