DHANBAD NEWS : वार्डों में गंदगी देख अधीक्षक ने एजेंसी को किया शोकॉज
एसएनएमएमसीएच के अधीक्षक ने विभिन्न वार्डों का किया निरीक्षण, सफाई एजेंसी के प्रतिनिधियों को लगायी फटकार
एसएनएमएमसीएच में औचक निरीक्षण के दौरान रविवार को विभिन्न वार्डों में गंदगी देख अधीक्षक डॉ एसके चौरसिया ने नाराजगी जतायी. सफाई एजेंसी के प्रतिनिधियों को बुलाकर फटकार लगायी. एजेंसी को शोकॉज भी किया है. रविवार को दिन के लगभग दस बजे अधीक्षक अस्पताल पहुंचे थे. कुछ चिकित्सकों को साथ लेकर वह अस्पताल का औचक निरीक्षण करने लगे. गायनी, सर्जरी, मेडिसिन समेत विभिन्न वार्ड में उन्होंने गंदगी देखी. निरीक्षण के दौरान उन्होंने मरीजों के साथ बात कर उनकी समस्या को भी जाना. मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने को लेकर अधीक्षक ने कई दिशा निर्देश दिये.
किचन व लॉन्ड्री में व्यवस्था दुरुस्त करने का निर्देश : अधीक्षक डॉ एसके चौरसिया अस्पताल के किचन गये. मरीजों के लिए बन रहे भोजन संबंधित जानकारी ली. कुछ जगहों पर गंदगी थी. इसे दुरुस्त करने का निर्देश दिया. लॉड्री में कपड़ों की धुलाई से संबंधित जानकारी ली. इंचार्ज को चादर, चिकित्सक व मरीजों के कपड़ों की धुलाई अच्छे से सुनिश्चित करने का निर्देश दिया.यह भी पढ़ें
जीएनएम व स्वास्थ्य कर्मियों को दी गयी सीपीआर की ट्रेनिंग :
विश्व हृदय दिवस पर रविवार को एसएनएमएमसीएच के पीजी ब्लॉक स्थित जीएनएम हॉस्टल में सीपीआर ट्रेनिंग कार्यक्रम हुआ. मुख्य अतिथि एसएनएमएमसीएच के अधीक्षक डॉ एसके चौरसिया ने कार्यक्रम की शुरुआत की. मौके पर सभी विभागों के एचओडी मौजूद थे. डॉ यूके ओझा ने बताया कि कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) एक जीवन रक्षक तकनीक है, जो हृदय गति रुक जाने पर उपयोग की जाती है. यह तकनीक हृदय को फिर से शुरू करने और रक्त प्रवाह बनाए रखने में मदद करती है. बताया कि सीपीआर जीवन रक्षक है. इसके जरिए हृदय गति को फिर से शुरू करने के साथ रक्त प्रवाह बनाये रखने व मस्तिष्क और अन्य अंगों को नुकसान से बचाने में मदद मिलती है. कहा कि सीपीआर जीवन रक्षक हो सकता है, लेकिन यह चिकित्सा पेशेवरों द्वारा प्रदान की जाने वाली पूर्ण चिकित्सा सहायता का विकल्प नहीं है. डॉ यूके ओझा ने बताया कि हर्ट अटैक से संबंधित मामलों में खतरे की पहचान करना जरूरी है. यदि कोई व्यक्ति बेहोश या हृदय गति रुकने का शिकार है, तो सबसे पहले आसपास के क्षेत्र को सुरक्षित करें और व्यक्ति को सपाट सतह पर लिटायें. सीपीआर में आमतौर पर 30 सेकंड तक छाती को दबाव दें, कम से कम 30 दबाव होना जरूरी है. दो सेकंड तक मरीज के मुंह में सांस दें, कम से कम दो सांस जरूरी है. कार्यक्रम में जीएनएम छात्राओं के साथ नर्स व स्वास्थ्य कर्मी शामिल थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है