SAIL : महारत्न कंपनी थॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड के 29 अधिकारियों का निलंबन वापस

19 जनवरी 2024 को सेल के दो निदेशकों और एनएमडीसी के एक निदेशक सहित सेल-सीएमओ के 26 वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था

By Prabhat Khabar Print | June 30, 2024 2:20 AM

महारत्न सरकारी कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड – सेल के 29 उच्च अधिकारियों का निलंबन वापस हो गया है. इस संबंध में 28 जून को इस्पात मंत्रालय व सेल प्रबंधन ने आदेश जारी किया है. आदेश के आलोक में सभी अधिकारियों की सेवा पुनः बहाल कर दी गयी है. इनमें वीएस चक्रवर्ती (डायरेक्टर-कमर्शियल), एके तुलसियानी (डायरेक्टर फाइनेंस), एसके शर्मा (एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर-एफएंडओ), विनोद गुप्ता (एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर कमर्शियल), अतुल माथुर (एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सेल्स एंड आईआईडी), आरएम सुरेश (एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर मार्केटिंग सर्विसेज) आदि शामिल हैं. यह निर्णय सेबी रेगुलेशन, 2015 के कंप्लायंस में लिया गया है. लोकपाल के निर्देशों के अनुसार चल रही जांच के जवाब में कंपनी ने इस वर्ष जनवरी में इन अधिकारियों को निलंबित कर दिया था. विदित हो कि इस्पात मंत्रालय के निर्देशानुसार 19 जनवरी 2024 को सेल के दो निदेशकों और एनएमडीसी के एक निदेशक सहित सेल-सीएमओ के 26 वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था. सभी निलंबित अधिकारी पांच महीने से न्याय की प्रतीक्षा कर रहे थे. इस मामले को लेकर सेफी चेयरमैन एनके बंछोर के नेतृत्व में एक कमेटी ने 20 जून 2024 को दिल्ली में केंद्रीय इस्पात व भारी उद्योग मंत्री एचडी कुमार स्वामी से मुलाकात की थी. मौके पर मंत्री को केस की जानकारी देते हुए निलंबन को समाप्त करने की मांग की गयी थी. मामले को लेकर स्टील एग्जीक्यूटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया (सेफी) के चेयरमैन नरेंद्र कुमार बंछोर ने बताया कि सेफी के प्रयासों से अधिकारियों का निलंबन समाप्त हो गया है. उन्होंने कहा कि इनमें से किसी भी अधिकारी ने किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया था. उन्होंने निलंबन वापसी पर सभी अधिकारियों को शुभकामना देते हुए सहयोग के लिए सभी का आभार जताया है. ज्ञात हो कि इन पर जनवरी 2024 में राष्ट्रीय हित से जुड़े प्रोजेक्ट के नाम पर सस्ते दाम पर उत्पाद बेचने के लिए फर्जी कंपनियों से एमओयू करने का आरोप था. तब इसे लेकर लोकपाल ने 10 जनवरी 2024 को आदेश पारित किया था. साथ ही जिम्मेदारों के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश देते हुए पॉलिसी पर बदलाव का सुझाव दिया था. लोकपाल के आदेश के एक सप्ताह बाद तक ना तो इस्पात मंत्रालय ने इस पर ध्यान दिया और ना ही सेल प्रबंधन ने. मीडिया में खबर प्रकाशित होने के बाद सेल प्रबंधन को जिम्मेदारों के खिलाफ एक्शन लेने का आदेश दिया गया था.

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