सेंद्रा 10 नंबर के रहने वाले संजय रवानी की मौत शनिवार को इलाज के दौरान एसएनएमएमसीएच में हो गयी. शव को परिजन घर लेकर जाना चाहते थे. इमरजेंसी के स्वास्थ्य कर्मियों ने वार्ड से स्ट्रेचर के जरिए शव को बाहर लाकर छोड़ दिया. परिजन शव को लेकर जाने के लिए एंबुलेंस की तलाश करने लगे, लेकिन एंबुलेंस चालकों की हड़ताल की वजह से शव दो घंटे तक इमरजेंसी के बाहर स्ट्रेचर पर ही पड़ा रहा. अंतत: टोटो से संजय के शव को परिजन घर ले गये.
शुक्रवार की रात से हड़ताल पर हैं एंबुलेंस चालक :
एसएनएमएमसीएच परिसर से दो सप्ताह पूर्व बाहर निकाले जाने के विरोध में निजी एंबुलेंस चालक शुक्रवार की रात 10 बजे से हड़ताल पर हैं. उनका कहना है कि परिसर से बाहर रहने से उन्हें सवारी नहीं मिलती. परिसर के अंदर प्रवेश करने वाले दूसरे वाहनों को सवारी मिल जाती है. ऐसे में उनके समक्ष रोजगार का संकट उत्पन्न हो गया है. बता दें कि एसएनएमएमसीएच प्रबंधन ने अस्पताल परिसर से निजी एंबुलेंस पर यह आरोप लगाते हुए बाहर किया है कि चालक शराब पीकर अस्पताल परिसर में हंगामा करते हैं. मरीजों को बहला-फुसला कर निजी अस्पताल ले जाते हैं.नवजात की मौत के बाद हंगामा, नर्सों पर लापरवाही का आरोप :
नवजात की मौत के बाद शनिवार को परिजनों ने एसएनएमएमसीएच के पेडियाट्रिक विभाग में हंगामा किया. परिजन पेडियाट्रिक विभाग की नर्सों पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगा रहे थे. मटकुरिया काली बस्ती निवासी सन्नी कुमार ने बताया कि केंदुआ सीएचसी में तीन जुलाई को उनकी पत्नी निभा कुमारी ने बच्चे को जन्म दिया. रात में बच्चे की तबीयत बिगड़ने लगी. इसके बाद सीएचसी के चिकित्सकों ने उसे एसएनएमएमसीएच के पेडियाट्रिक विभाग रेफर कर दिया. शुक्रवार को दिन तक बच्चे की स्थिति ठीक थी. रात को बच्चे को स्टूल पास होने लगा. आरोप है कि विभाग में तैनात नर्सों ले बच्चे का पेट दबाकर स्टूल बाहर निकाला. इस कारण ही बच्चे की मौत हुई है. इधर, अस्पताल प्रबंधन ने सभी आरोपों से इनकार किया है. अस्पताल प्रबंधन के अनुसार बच्चे की स्थिति पहले से नाजुक थी. इसी कारण केंदुआ सीएचसी से एसएनएमएमसीएच भेजा गया था. बच्चे की गंभीर स्थिति की जानकारी परिजनों को पहले ही दे दी गयी थी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है