धनबाद.
नहाय-खाय के साथ सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ शुक्रवार को शुरू हो गया. आज परवैतिनों ने नेम से स्नान-ध्यान कर भगवान भास्कर की उपासना की और पर्व को निर्विध्न संपन्न करने का संकल्प लिया. इस अवसर पर परवैतिनों ने अरवा चावल का भात, चने की दाल व कद्दू की सब्जी बनाकर उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया. व्रती के प्रसाद पाने के बाद परिजन व अन्य लोगों ने कद्दू-भात का प्रसाद ग्रहण किया.
खरना आज :
पर्व के दूसरे दिन 13 अप्रैल को खरना है. इसे लोहंडा भी कहते हैं. खरना के दिन परवैतीन सुबह से निर्जला उपवास रख शाम को स्नान करने के बाद नियम से खीर, रसिया, पूड़ी बनाकर छठी मइया को भोग लगायेंगी. उसके बाद स्वयं खरना करेंगी. परवैतीन के खरना करने के बाद परिजन व मुहल्लेवालों के बीच प्रसाद वितरण किया जायेगा. खरना के बाद से व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जायेगा. 14 अप्रैल को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य अर्पित किया जायेगा. इस दिन सुबह से ही सूप पर चढ़ाने के लिए प्रसाद बनाना शुरू हो जाता है. छठी मइया का आह्वान करने के साथ चूल्हे में अग्नि प्रज्वलित करते हैं. इसके बाद छठ के गीत गाते हुए सभी प्रसाद तैयार करते हैं. 15 अप्रैल को उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया जायेगा. इस दिन अल सुबह परवैतीन छठ घाट पहुंचकर सूर्य देव की उपासना में लग जायेंगी. सभी नदी-तालाब आदि में पानी में उतरकर सभी हाथ जोड़कर सूर्य देव के उदय होने की प्रार्थना करेंगे. सूर्योदय के साथ ही उन्हें अर्घ्य अर्पित किया जायेगा. व्रती के पारण के छठ संपन्न होगा.