मेसर्स जीटीएस कोल पर मेहरबानी क्यों ?

गोधर सी पैच के 266 करोड़ रुपये के आउटसोर्सिंग कार्य के टेंडर में गड़बड़ी मामले में दोषियों पर करीब छह माह भी कार्रवाई नहीं हुई है. बीसीसीएल विजिलेंस विभाग की जांच की गति कंपनी मुख्यालय में चर्चा का विषय बनी हुई है.

By Shaurya Punj | March 17, 2020 3:55 AM

धनबाद : गोधर सी पैच के 266 करोड़ रुपये के आउटसोर्सिंग कार्य के टेंडर में गड़बड़ी मामले में दोषियों पर करीब छह माह भी कार्रवाई नहीं हुई है. बीसीसीएल विजिलेंस विभाग की जांच की गति कंपनी मुख्यालय में चर्चा का विषय बनी हुई है. चर्चा इस बात की हो रही है कि आखिर विजिलेंस विभाग आउटसोर्सिंग कंपनी मेसर्स जीटीएस कोल तथा मामले में दोषी अधिकारियों पर मेहरबान क्यों है?

फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर टेंडर का खेल करने के मामले में कुछ माह पहले ही कंपनी के दो जीएम सहित चार अधिकारियों पर चार्जशीट हो चुकी है. सितंबर में मेसर्स जीएटीएस कोल द्वारा गलत कागजात के आधार पर टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने का मामला प्रकाश में आया था. इसके बाद विजिलेंस विभाग ने जांच भी शुरू की थी.

क्या है मामला : बीसीसीएल के कुसुंडा एरिया के गोधर-सी पैच से 266 करोड़ रुपये के आउटसोर्सिंग के लिए एक जुलाई, 2019 को टेंडर निकाला. इसके तहत 209 लाख क्यूबिक मीटर ओबी, 34.86 लाख क्यूबिक मीटर लूज ओबी तथा 57.33 लाख मीट्रिक टन कोयला उत्खनन तथा ट्रांसपोर्टिंग करना था. ªÂ बाकी पेज 12 पर

इसमें मेसर्स जीटीएस कोल सेल, मेसर्स धनसार इंजीनियरिंग (डेको) व मेसर्स हील टॉप सहित अन्य ठेका कंपनियों ने हिस्सा लिया था. एनआइटी की शर्त के मुताबिक टेंडर में भाग लेने के लिए आउटसोर्सिंग कंपनियों से 42 करोड़ रुपये का क्रेडेंशियल वर्क सर्टिफिकेट मांगा गया था. टेंडर हासिल करने के लिए आउटसोर्सिंग कंपनी मेसर्स जीटीएस कोल ने करीब 69.59 करोड़ रुपये का क्रेडेंशियल सर्टिफिकेट जमा किया. आरोप है कि जीटीएस ने ट्रांसपोर्टिंग का कार्य कर क्रेडेंशियल वर्क सर्टिफिकेट एक्सवेटर (हायर्ड एचइएमएम ) का जमा किया है, जो कुसुंडा कोलियरी के तत्कालीन परियोजना पदाधिकारी (पीओ) व धनसार कोलियरी के पीओ तथा कुसुंडा एरिया के एरिया सेल्स मैनेजर के हस्ताक्षर से जारी किया गया है.

एनआइटी की शर्त के मुताबिक किसी भी हायर्ड एचइएमएम (आउटसोर्सिंग) के कार्य में एक्सवेटर द्वारा कोयला और ओवर बर्डेन उत्खनन व ट्रांसपोर्टिंग करने पर ही उसका क्रेडेंशियल वर्क सर्टिफिकेट जमा करने का प्रावधान है. हायर्ड एचइएमएम कार्य के टेंडर में शामिल होने के लिए उसे ही वैध माना जाता है. परंतु इस मामले में कोयला ट्रांसपोर्टिंग का काम करने के बावजूद जीटीएस ने 266 करोड़ रुपये का आउटसोर्सिंग कार्य ( कुसुंडा सी-पैच) के टेंडर में शामिल होने के लिए कुसुंडा एरिया के अधिकारियों के साथ साठगांठ कर अपने क्रेडेंशियल वर्क सर्टिफिकेट में एक्सवेटर शब्द जोड़, ट्रांसपोर्टिंग कार्य के अनुभव को हायर्ड एचइएमएम में कन्वर्ट करा लिया, जबकि उक्त कंपनी के वर्कऑर्डर में कहीं भी एक्सवेटर से कार्य करने या एक्सवेटर शब्द का जिक्र तक नहीं है. एक तरह से कहें, जीटीएस काे अफसरों ने टेंडर में हिस्सा लेने के लिए उपकृत किया. बिना एक्सवेटर शब्द जोड़े उक्त कंपनी टेंडर में भाग नहीं ले पाती.

जांच व कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति

आउटसोर्सिंग कार्य के टेंडर में शामिल होने के लिए गलत जानकारी देने तथा कागजात जमा करने पर उक्त कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने तथा अरनेस्ट मनी जब्त करने का प्रावधान है. पर शिकायत के बावजूद मामले में अब-तक कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गयी. सूत्रों के अनुसार विजिलेंस जांच में भी मेसर्स जीटीएस द्वारा जमा किये गये 69.59 करोड़ रुपये का क्रेडेंशियल वर्क सर्टिफिकेट फर्जी निकला है.

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