उप मुख्य संवाददाता, धनबाद.
मंगलवार को विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस है. हर साल 28 मई को यह दिवस मनाया जाता है. इसकी शुरुआत 2014 में जर्मन नॉन- प्रॉफिट आर्गेनाइजेशन वॉश (डब्ल्यूएएसएच) यूनाइटेड द्वारा की गयी थी. इसका उद्देश्य युवतियों व महिलाओं को माहवारी के समय स्वच्छता को लेकर जागरूक करना था. भारत में आज भी माहवारी शर्म व झिझक का विषय है. इसपर खुलकर बात करने से महिलाएं व युवतियां झिझकती हैं. इस संबंध में स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ रीना बरनवाल कहती हैं कि गर्मी के मौसम में ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं अपने पर्सनल हाइजीन की समस्याएं लेकर आती हैं. वहीं शहरी क्षेत्र में यह समस्या कम होती है. ग्रामीण महिलाओं की तुलना में शहरी इलाकों में महिलाएं अपने पर्सनल हाइजीन को लेकर ज्यादा जागरूक हैं.चुप्पी तोड़ो–स्वस्थ रहो :
झारखंड सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा यूनिसेफ के तकनीकी सहयोग से झारखंड में पिछले पांच साल से चुप्पी तोड़ो- स्वस्थ रहो जैसा जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान ने लड़कियों और महिलाओं को माहवारी स्वच्छता पर खुलकर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान किया है. समुदाय और संस्थानों में इसका जबरदस्त प्रभाव पड़ा है.यूनिसेफ भी चला रहा है कार्यक्रम :
यूनिसेफ ‘चुप्पी तोड़ो–स्वस्थ रहो’ जैसे जागरूकता अभियान के माध्यम से लोगों तक सूचना एवं जानकारी पहुंचाने में राज्य सरकार का सहयोग कर रहा है. मुख्यमंत्री स्वच्छ विद्यालय स्वस्थ बच्चे जैसे कार्यक्रम स्कूल में सेवाओं और सुविधाओं को मजबूत करने पर केंद्रित हैं. स्कूलों में एमएचएम लैब्स और एमएचएम कॉर्नर की स्थापना की गई है, ताकि लड़कियां पीरियड्स के दौरान स्कूल में ही रहें. यह मंच लड़कियों को स्वच्छता और सकारात्मक व्यवहार परिवर्तन के लिए प्रेरित करने में मदद कर रहा है. मासिक धर्म स्वच्छता दिवस 2024 का थीम पीरियड्स फ्रेंडली वर्ल्ड – पीरियड्स फ्रेंडली झारखंड है. मासिक धर्म से जुड़ी सामाजिक रूढ़िवादिता को तोड़ने के लिए यह जरूरी है. इस थीम पर कैंपेन चलाया जायेगा, जिसका उद्देश्य माहवारी से जुड़े शर्म झिझक व भ्रांतियों को दूर करना है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है