DHANBAD NEWS : अब तक सात महिलाएं धनबाद के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से रहीं हैं विधायक
1995 के चुनाव मैदान में सबसे अधिक थीं 15 महिलाएं
एकीकृत बिहार के लिए 1951-52 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में धनबाद कोयलांचल का क्षेत्र पूरे राज्य में उन गिने चुने क्षेत्रों में था, जहां से कोई महिला प्रत्याशी विधायक चुनी गयी थी. तब धनबाद के कतरास विधानसभा क्षेत्र से मनोरमा सिन्हा (निर्दलीय) ने 5798 मतों से जीत हासिल की थी. मनोरमा सिन्हा दो बार विधायक रहीं थीं. वह दूसरी बार 1957 में तोपचांची विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतने में सफल रहीं थीं. धनबाद कोयलांचल क्षेत्र से महिला विधायकों की जीत का सिलसिला 2019 तक जारी रहा है. 2019 में झरिया विधानसभा क्षेत्र से पूर्णिमा नीरज सिंह और निरसा से अपर्णा सेनगुप्ता ने जीत दर्ज की थी.
चुनाव मैदान में महिला प्रत्याशियों की हिस्सेदारी कम :
बात जब चुनाव में हिस्सेदारी की होती है, तो आज भी महिलाएं काफी कम संख्या में चुनाव में दावेदारी करतीं हैं. धनबाद के सभीविधान सभा क्षेत्रों में सर्वाधिक महिला प्रत्याशी में 1995 में चुनाव मैदान में थी. हांलांकि तब धनबाद के सभी छह विधानसभा सीटों से कुल 212 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे. तब सर्वाधिक धनबाद के चुनावी मैदान में 15 महिलाएं थीं. इसमें सात महिला प्रत्याशियों ने धनबाद विधानसभा सीट से चुनाव में हिस्सा लिया था. इसके बाद झरिया से चार, निरसा से दो, बाघमारा और टुंडी से एक-एक महिला प्रत्याशी चुनावी मैदान में थी. उस वर्ष झरिया विधान सभा सीट से आबो देवी ने जीत दर्ज की थी. झरिया विधान सभा सीट से अबतक पांच बार महिला प्रत्याशियों ने जीत हासिल किया है. इसमें आबो देवी और कुंती सिंह दो – दो बार और पूर्णिमा नीरज सिंह एक बार जीत हासिल की है. निरसा से दो बार अपर्णा सेन गुप्ता ने जीत हासिल है. वहीं मनोरमा सिन्हा कतरास और तोपचांची से 1951-51 और 1957 में जीत दर्ज की थी.2024 के विधानसभा चुनाव में 11 महिला प्रत्याशी ठोक रहीं ताल :
2024 में केवल 11 महिला प्रत्याशी ही चुनाव लड़ रही हैं. इसमें टुंडी और झरिया से तीन -तीन प्रत्याशी, जबकि धनबाद और सिंदरी से दो-दो महिला प्रत्याशी और निरसा से मात्र एक महिला प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. वहीं बाघमारा से एक भी महिला प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं है.कब कितनी महिला प्रत्याशी :
1951-52 में एक, 1957 में एक, 1962 में दो, 1967 में शून्य, 1969 में एक, 1972 में शून्य, 1980 में तीन, 1985 में तीन, 1990 में पांच, 1995 में 15, 2000 में तीन, 2005 में सात, 2009 में छह, 2014 में छह और 2019 में नौ.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है