लॉकडाउन का नाजायज फायदा उठा रहे हैं व्यापारी, 23 रुपये का आटा 32 रुपये में बेच रहे
धनबाद: कोरोना महामारी को लेकर 21 दिनों का लॉकडाउन है. आपदा के समय भी कालाबाजारी करने से दुकानदार बाज नहीं अा रहे हैं. जो जहां जैसा सक रहा है, खाद्य सामग्री बेच रहा है. यद्यपि हॉलसेल का बाजार टूटा है. अाटा, चीनी, चावल व दलहन के भाव में लगातार गिरावट आयी है. बावजूद रिटेल बाजार […]
धनबाद: कोरोना महामारी को लेकर 21 दिनों का लॉकडाउन है. आपदा के समय भी कालाबाजारी करने से दुकानदार बाज नहीं अा रहे हैं. जो जहां जैसा सक रहा है, खाद्य सामग्री बेच रहा है. यद्यपि हॉलसेल का बाजार टूटा है. अाटा, चीनी, चावल व दलहन के भाव में लगातार गिरावट आयी है. बावजूद रिटेल बाजार में अाटा, चीनी व दलहन के भाव अभी भी तेज है. अाटा अाज भी 30 से 32 और चीनी 42 रुपये किलो बिक रहे हैं, जबकि हॉलसेल में अाटा 23 व चीनी 36.50 रुपये किलो है. बाजार समिति के कारोबारियों के मुताबिक बरवाअड्डा मंडी में अनाज की लगातार अावक हो रही है. एक-दो दिनों में अाटा सहित अन्य सामानों के भाव में गिरावट अायेगी.
इधर, शुक्रवार को कृषि बाजार समिति प्रशासन ने आवश्यक वस्तुओं का होलसेल व रिटेल मूल्यों की सूची जारी की. बाजार समिति सचिव अनंत कौशल ने कहा कि अावश्यक वस्तुअों के मूल्यों की जो सूची जारी की गयी है. उससे अधिक कीमत पर माल कोई बेचता है तो संबंधित कारोबारियों पर कानूनी कार्रवाई की जायेगी.
जागरूकता की कमी का फायदा उठा रहे : ग्रामीण क्षेत्र के दुकानदार (बॉक्स) रिटेल बाजार में सामानों की कीमत लॉकडाउन के पहले दो-तीन दिनों की तरह अभी भी बढ़ी हुई है. शहर के ग्राहक तो जागरूक होते हैं वे तर्क भी कर रहे हैं. सरकार व प्रशासन की हेल्पलाइन नंबर की जानकारी रख रहे हैं. इससे दुकानदार ग्राहक से थोड़ा डर भी रहे हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में लॉकडाउन का नाजायज फायदा उठाया जा रहा है. कहीं कहीं तो आटा 35 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है. अभी भी मसाला, मिक्चर, आलू-प्याज व चावल के अलावा दलहन को प्रति किलो होलसेल बाजार से आठ-10 रुपये अधिक में बेचा जा रहा है.
ग्रामीण क्षेत्र के ग्राहकों में जागरूकता की कमी का फायदा दुकानदार उठा रहे हैं. उन्हें लॉकडाउन से होने वाली परेशानियों से अवगत करा कर अधिक दाम वसूल रहे हैं. ग्राहकों को बताया जा रहा है कि उन्हें कृषि बाजार के होलसेल बाजार में ही अधिक दाम देना पड़ रहा है तो वह कैसे कम कीमत पर बेचेंगे. सबसे बड़ी बात यह है कि जिला प्रशासन के अधिकारी भी औचक निरीक्षण आदि करने में शहर के दुकानों तक में ही सीमित रहते हैं. गांवों की ओर उनका ध्यान नहीं रहता है, जिससे दुकानदार कालाबाजारी करने में बेखौफ रहते हैं.