Exclusive: धनबाद के मेडिकल कॉलेज में ट्रॉमा सेंटर स्कैम, 50 माह से कागज पर चल रहा 10 बेड का सेंटर

Trauma Center Scam in SNMMCH Dhanbad: धनबाद के शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में ट्रॉमा सेंटर घोटाला सामने आया है. जानें कैसे 50 महीने से कागज पर चल रहा था ट्रॉमा सेंटर.

By Mithilesh Jha | February 12, 2025 6:25 AM
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Trauma Center Scam in Dhanbad|धनबाद, विक्की प्रसाद : धनबाद जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच) में कागज पर ट्रॉमा सेंटर चल रहा है. 50 माह पहले (दिसंबर 2020 में) यहां के एसआइसीयू में 10 बेड का ट्रॉमा सेंटर बना. इस ट्रॉमा सेंटर में न तो मरीज भर्ती होते हैं, न ही किसी वरीय अधिकारी को इसकी जानकारी है. ट्रॉमा सेंटर के नाम पर कुछ चिकित्सकों की कागज पर प्रतिनियुक्त की गयी. राशि की निकासी भी हो गयी, लेकिन आज तक कोई मरीज यहां भर्ती नहीं हुआ. दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल मरीजों को ट्रॉमा सेंटर में भर्ती करने की बजाय सीधे रिम्स रेफर कर दिया जाता है.

कागजों पर 2020 से एसआइसीयू में संचालित है ट्रॉमा सेंटर

वर्ष 2020 से एसएनएमएमसीएच के इमरजेंसी स्थित सर्जिकल आइसीयू (एसआइसीयू) में 10 बेड का ट्रॉमा सेंटर संचालित है. 30 दिसंबर 2020 को अस्पताल के तत्कालीन अधीक्षक डॉ एके चौधरी की ओर से जारी पत्र के अनुसार, एसआइसीयू में 10 बेड का ट्रॉमा सेंटर बनाया गया. निर्देश के अनुसार, तत्कालीन ऑर्थो विभाग के एचओडी डॉ डीपी भूषण को ट्रॉमा सेंटर का नोडल पदाधिकारी नियुक्त किया गया था.

  • एसएनएमएमसीएच के एसआइसीयू में आवंटित है स्थान
  • 4 वर्ष से अधिक समय में एक भी मरीज का नहीं हुआ इलाज
  • ओटी में लगा है ताला, इलाज के लिए जरूरी उपस्कर नहीं
  • 82 लाख की हुई निकासी, कोई हिसाब नहीं
  • वरीय अधिकारी आते हैं, तो लगा दिया जाता है बैनर

रिटायर हो गये डॉ भूषण, SNMMCH के अधीक्षक हैं डॉ चौरसिया

तत्कालीन सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ एसके चौरसिया को ट्रॉमा सेंटर का प्रभारी बनाया गया. इनके अलावा सर्जरी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ राजेश कुमार सिंह को संचालित ट्रॉमा सेंटर में आवश्यकता अनुसार सहयोग के लिए नियुक्त किया गया था. फिलहाल, डॉ भूषण सेवानिवृत्त हो चुके हैं. डॉ चौरसिया एसएनएमएमसीएच के अधीक्षक हैं.

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हकीकत : एसआइसीयू में दुर्घटना में घायलों की संख्या कम, ओटी पर लगा है ताला

वर्तमान में एसआइसीयू में विभिन्न बीमारी से ग्रसित मरीज भर्ती हैं. नियम के अनुसार, ट्रॉमा सेंटर में सिर्फ सड़क दुर्घटना में घायल गंभीर मरीजों को ही भर्ती लेकर इलाज की सुविधा प्रदान करनी है. यहां ट्रॉमा सेंटर से जुड़े कई उपकरणों की कमी है. ऑपरेशन थियेटर (ओटी) भी सालों से बंद पड़ा है. ट्रॉमा सेंटर के लिए आवश्यक तकनीकी टीम भी नहीं है. ट्रॉमा सेंटर से जुड़ी सुविधा नहीं होने के कारण सड़क दुर्घटना व अन्य गंभीर मरीजों के अस्पताल पहुंचने पर सीधे रिम्स रेफर कर दिया जाता है.

अस्पताल अधीक्षक के कार्यालय से 30 दिसंबर 2020 को जारी कार्यालय आदेश.

14 साल पहले केंद्र से मिले 82 लाख रुपए का नहीं हुआ इस्तेमाल

केंद्र सरकार की ओर से ट्रॉमा सेंटर के लिए वर्ष 2010-11 में 82 लाख रुपए आवंटित किये हैं. इस राशि का इस्तेमाल ट्रॉमा सेंटर के संचालन के लिए करना है. ट्रॉमा सेंटर के विकास और आवश्यक दवा और उपकरणों की खरीदारी भी इसी राशि से करनी है. ट्रॉमा सेंटर का संचालन नहीं होने के कारण यह राशि अब तक एसएनएमएमसीएच प्रबंधन के खाते में पड़ हुई है.

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वरीय अधिकारियों के आने पर लगा देते हैं ट्रॉमा सेंटर का बैनर

एसएनएमएमसीएच में कागजों पर ट्रॉमा सेंटर संचालित होने की जानकारी वर्तमान में नियुक्त पदाधिकारियों को भी है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारियों के निरीक्षण के लिए अस्पताल पहुंचने पर एसआइसीयू के बाहर ट्रॉमा सेंटर का बैनर लगा दिया जाता है. हाल में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह द्वारा एसएनएमएमसीएच का किये गये निरीक्षण के दौरान एसआइसीयू के बाहर ट्रॉमा सेंटर का बैनर लगा दिया गया था. अपर मुख्य सचिव ने ट्रॉमा सेंटर के बारे में पूछा, तो यहां के अधिकारी इस सवाल को टाल गये.

मेडिकल कॉलेज में क्यों जरूरी है ट्रॉमा सेंटर

मेडिकल कॉलेज में ट्रॉमा सेंटर बहुत जरूरी है, क्योंकि यह गंभीर चोटों और आपातकालीन स्थितियों में रोगियों को तुरंत और उचित चिकित्सा प्रदान करने में मदद करता है. ट्रॉमा सेंटर में विशेषज्ञ चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी की नियुक्ति होती है, जो मरीजों को तुरंत चिकित्सा सेवा प्रदान करते हैं. सेंटर में आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं होती हैं. इनके जरिए मरीजों की जान बचाने में मदद मिलती है.

पूर्व अधीक्षक द्वारा ट्रॉमा सेंटर संचालित करने के लिए निर्देश जारी किया गया था. किस कारण से इस पर अमल नहीं हुआ, इसकी जानकारी नहीं है. वर्तमान में अस्पताल में इमरजेंसी सेवा ही संचालित है. सुपर स्पेशियलिटी शुरू होने पर ट्रॉमा सेंटर सेवा शुरू करने की योजना है.

डॉ एसके चौरसिया, अधीक्षक, एसएनएमएमसीएच, धनबाद

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