पाठकों का भरोसा ही हमारी ताकत
प्रभात खबर ने धनबाद में अपनी यात्रा का एक और पड़ाव पूरा कर लिया है. प्रभात खबर ने रांची से अपने सफर की शुरुआत की थी. लेकिन कुछ ही समय में प्रभात खबर ने राष्ट्रीय फलक पर अपनी जगह बना ली.
आशुतोष चतुर्वेदी, प्रधान संपादक, प्रभात खबर
प्रभात खबर ने धनबाद में अपनी यात्रा का एक और पड़ाव पूरा कर लिया है. प्रभात खबर ने रांची से अपने सफर की शुरुआत की थी. लेकिन कुछ ही समय में प्रभात खबर ने राष्ट्रीय फलक पर अपनी जगह बना ली. आज प्रभात खबर – रांची, धनबाद, जमशेदपुर, देवघर, पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया और कोलकाता से एक साथ प्रकाशित होता है. इस अखबार के आगे बढ़ने का श्रेय सिर्फ और सिर्फ पाठकों को जाता है जिन्होंने कई विकल्प होने के बावजूद प्रभात खबर के प्रति अपना स्नेह बनाए रखा.
प्रभात खबर ने हमेशा सामाजिक सरोकार की पत्रकारिता को केंद्र में रखा और पाठकों का भरोसा जीता. प्रभात खबर की टैगलाइन ‘अखबार नहीं आंदोलन’ यूं ही नहीं है. इसका एक पूरा इतिहास है. गांधीजी, जिसे समाज का अंतिम आदमी कहते थे, उस अंतिम आदमी के लिए यह अखबार हमेशा से मजबूती से खड़ा रहा है. प्रभात खबर ने झारखंड के समाज के बीच विकास और सुशासन जैसे सवालों को पत्रकारिता के जरिये पहुंचाया.
राज्य की आर्थिक स्थिति पर गंभीर विमर्श चलाया ताकि लोग समझ सकें कि दुनिया किस रास्ते जा रही है. हमने बहस चलायी कि हिंदी पट्टी को जब तक विकसित नहीं किया जायेगा, तब तक देश की प्रगति अधूरी रहेगी. आज हम कह सकते हैं कि झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में प्रभात खबर ने पाठकों का एक विशाल परिवार बनाया है.
हमें गर्व है कि झारखंड की माटी-पानी का यह अखबार तीन-तीन राष्ट्रीय अखबारों की चुनौती के बावजूद निरंतर आगे बढ़ता जा रहा है. ऐसे दौर में जब सोशल मीडिया के जरिये अनियंत्रित सूचनाओं का प्रवाह हो, तब भरोसे की सूचना पाठकों तक पहुंचाने की हम हरसंभव कोशिश करते हैं.
कोरोना काल के दौरान न सिर्फ हमने पाठकों की सुरक्षा का ध्यान रखा बल्कि अखबार के वितरक बंधुओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए राहत सामग्री का वितरण कराया. धनबाद संस्करण के 21 वें स्थापना दिवस पर हम विज्ञापनदाताओं, अखबार के वितरक बंधुओं, अपनी टीम के तमाम साथियों और पाठकों के प्रति शुक्रिया अदा करना चाहते हैं क्योंकि आपके सहयोग व समर्थन के बगैर हम यह सफर तय नहीं कर पाते.