– तिलतोड़िया में टैंकर के पानी से बुझायी जाती है चिता की आग, टोपाटांड़ में डांड़ी-चुआ से बुझ रही प्यास

दो दो डैमों के रहने के बाद भी निरसा इलाके में बुझ नहीं रही है प्यास

By Prabhat Khabar News Desk | March 31, 2024 12:00 PM

निरसा क्षेत्र : निरसा-गोविंदपुर मेगा जलापूर्ति योजना का काम पूरा नहीं होने से गर्मी में गांवों गहराया जलसंकट

निरसा

. निरसा विधानसभा क्षेत्र में 700 करोड़ की लागत से बनने वाली निरसा-गोविंदपुर नॉर्थ-साउथ मेगा जलापूर्ति योजना का काम पूरा नहीं होने के कारण क्षेत्र के लोग परेशान हैं. निरसा शहरी क्षेत्र की निरसा उत्तर, दक्षिण, मध्य, हड़ियाजाम, भमाल, पीठाकियारी, पांड्रा पश्चिम पंचायत के कुछ भाग में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के माध्यम से पाइप लाइन द्वारा जलापूर्ति होती है. लेकिन गर्मी शुरू होते ही इन पंचायतों में पानी की समस्या भी शुरू हो जाती है. समय पर जलापूर्ति नहीं होने के कारण लोगों को पिट वाटर का या जारबंद पानी का सहारा लेना पड़ता है. हड़ियाजाम, भमाल के लोग आज भी इसीएल की बुढ़िया खाद के पानी पर निर्भर हैं. उपचुरिया पंचायत में पानी की भयंकर समस्या है. गर्मी शुरू होते ही तालाब सूख जाते हैं. चढ़ाई पर गांव रहने के कारण पानी टंकी से पाइप लाइन के माध्यम से भी सुचारु रूप से जलापूर्ति नहीं होती है. अधिकतर कुएं सूख जाते हैं. बेलडांगा मोड़ स्थित पानी टंकी से आसपास का बेलडांगा, काशीटांड़, पांड्रा पूरब क्षेत्र में बारबेंदिया के समीप बराकर नदी से जलापूर्ति होती है. लेकिन, बराकर नदी का पानी गर्मी में कम हो जाने के कारण इन गांवों में जलापूर्ति ठप हो जाती है. निरसा प्रखंड में सबसे ज्यादा पानी की समस्या मदनपुर पंचायत के तिलतोड़िया गांव में है. अगर इस गांव में किसी की मृत्यु हो जाती है तो चिता की आग बुझाने के लिए टैंकर का पानी लाना पड़ता है. लोग प्रयास करते हैं कि शादी-विवाह गर्मी के बाद ही करवाया जाए. हालांकि यहां पाइप की बिछाई हो रही है, लेकिन इस गर्मी कोई राहत नहीं मिलेगी. इसी पंचायत के सिरपुरिया में भी पेयजल की घोर समस्या है. तिलतोड़िया में पाइप लाइन बिछाने का काम जारी है. खुसरी पंचायत के टोपाटांड़ के ग्रामीण आज भी डांड़ी-चुआ का पानी पीने को लोग मजबूर हैं.अपने किनारे के गांवों की भी प्यास नहीं बुझा पा रहा है मैथन डैम (बॉक्स)

एग्यारकुंड प्रखंड में ही बराकर नदी व मैथन डैम अवस्थित है. लेकिन डैम से सटे गांव आज भी हैं प्यासे हैं. यहां 20 पंचायतें हैं. प्रखंड की आधा दर्जन पंचायतें कोल बीयरिंग क्षेत्र हैं. पंचमहली, जोगरात, डुमरकुंडा, एग्यारकुंड उत्तर, एग्यारकुंड दक्षिण, शिवलीबाड़ी उत्तर, दक्षिण मध्य एवं पूरब, कालीमाटी पंचायतों में पेयजल संकट गहराना नयी बात नहीं है. हालांकि कुछ पंचायतों में सोलर टंकी लगायी गयी है. यहां के लोगों को मैथन डैम से पाइप लाइन से जो पानी आता है, उस पर निर्भर रहना पड़ता है. डैम से सटा हुआ पोड़ाडीहा, कालीपहाड़ी पूरब पंचायत अंतर्गत मंगलमारा, टुनापाड़ा में आज भी पाइपलाइन से जलापूर्ति नहीं होती है. हालांकि गर्मी शुरू होते ही डीवीसी टैंकर के माध्यम से जलापूर्ति करता है. एग्यारकुंड दक्षिण पंचायत में दो-दो जलमीनार बनी हुई हैं. यहां से पांच पंचायतों में जलापूर्ति होती है. करीब 25 हजार लोग इस पर निर्भर हैं. लेकिन सुचारु रूप से जलापूर्ति नहीं रहने के कारण लोगों को रतजगा करना पड़ता है.केलियासोल : 40 फीसदी चापाकल खराब, सूखने लगे तालाब (बॉक्स)

केलियासोल प्रखंड में भी आधा दर्जन पंचायतें पंचेत डैम से सटी हुई हैं. लेकिन उन क्षेत्रों में भी जलसंकट है. लेदाहड़िया पंचायत का मुस्लिम टोला, सांवलापुर, बादलपुर में भयंकर जलसंकट है. प्रखंड क्षेत्र के करीब 40% चापाकल खराब पड़े हुए हैं. भुरकुंडाबाड़ी में पेयजल की घोर समस्या है. गांव के तालाब सूखने लगे हैं. फतेहपुर व केलियासोल बाउरी टोला के में पानी की समस्या है. बाउरी टोला के लोग उच्च विद्यालय के चापाकल पर निर्भर है. जब विद्यालय में छुट्टी हो जाती है या बंद रहता है तो महिला बच्चियों को दीवार लांघ कर पानी लाना पड़ता है.

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