धनबाद में खिलाड़ियों के साथ यह कैसा खेल : जोश में रहते हैं खिलाड़ी, पर व्यवस्था के आगे हो जाते हैं फेल

विभिन्न खेल स्पर्धाओं में अपने बच्चों को शामिल करने की ललक लिये अभिभावक भटकते रहते हैं, पर उन सबको यहां की व्यवस्था निराश कर देती है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 30, 2024 1:31 AM

जिले में खेल के क्षेत्र में प्रतिभा की कमी नहीं है. यहां से कई प्रतिभावान खिलाड़ी निकले और उन लोगों ने जिला के साथ राज्य व देश का नाम रौशन किया. आज भी विभिन्न खेल स्पर्धाओं में अपने बच्चों को शामिल करने की ललक लिये अभिभावक भटकते रहते हैं, पर उन सबको यहां की व्यवस्था निराश कर देती है. दरअसल, जिस तेजी से धनबाद में अन्य चीजें बदलीं, उतनी तेजी से यहां स्पोर्ट्स का विकास नहीं हुआ. संसाधनों व मौके (इवेंट) की तलाश में यहां की खेल प्रतिभाएं निखरने की बजाय मुरझाने लगती हैं. अभी धनबाद में क्या है खेल और खिलाड़ियों की स्थिति पढ़ें शोभित रंजन की यह पड़ताल. बैडमिंटन जिले में बैडमिंटन के क्षेत्र में करियर बनाना आसान नहीं है. शहर में कला भवन के पीछे बैडमिंटन के लिए इंडोर स्टेडियम बनाने की शुरुआत वर्ष 1999 में हुई थी. बन कर यह 2003 में तैयार हुआ. यह शहर का इकलौता इंडोर स्टेडियम है. इस स्टेडियम की देख-भाल जिला प्रशासन द्वारा गठित कमेटी करती है. स्टेडियम की . मरम्मत के नाम पर एक साल पहले स्टेडियम में 40 लाख रुपए का काम हुआ, मगर आज भी स्थिति जस की तस है. जानें क्या हैं परेशानियां बैडमिंटन संघ को आज कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. स्टेडियम में बैडमिंटन कोर्ट है, पर वह लकड़ी का बना है. उसे सिंथेटिक का होना चाहिए था. कोर्ट भी एक साइड से टूटा है. स्टेडियम में लाइट की भी कमी है. खिलाड़ी बताते हैं कि स्टेडियम में लाइट जितनी होनी चाहिए उससे कम है. इस वजह से उन्हे प्रैक्टिस करने में दिक्कत होती है. स्टेडियम के दीवारों पर जो पेंट कराया गया है उसका रंग कॉर्क से मिल जाता है. जिस वजह से खिलाड़ियों को कई बार देखने में दिक्कत होती है. यहां तीन बार स्टेट टूर्नामेंट करवाया गया. आयोजक राष्ट्रीय स्तर का टूर्नामेंट भी करवाना चाहते हैं, मगर कोर्ट की कमी की वजह से यह संभव नहीं हो पाया. राष्ट्रीय टूर्नामेंट के लिए चार कोर्ट चाहिए, मगर संघ के पास सिर्फ दो है. कई बार प्रशासन को आवेदन देने के बाद भी इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई. बैडमिंटन संघ को जिला प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिलती. कहते हैं सचिव बैडमिंटन संघ के सचिव सम्राट चौधरी बताते हैं कि 2010 तक जिला प्रशासन की ओर से संघ को कुछ सहायता राशि, बैडमिंटन, कॉक आदि दी जाती थी, मगर 2010 के बाद वो भी बंद कर दी गयी है. धनबाद को देख कर पलामू, गुमला व लातेहार में स्टेडियम बनाया गया था. वो आज के वक्त में धनबाद से आगे निकाल चुके हैं. बास्केटबाल धनबाद जिला बास्केटबाल संघ की स्थापना सन 1991 में हुई थी. इसके फाउंडर प्रेसिडेंट आरएस चहल थे. उन्होंने संघ को अपनी तरफ से फंड वर्ष 1991 से 2018 तक दिया. बाद में उन्होंने संघ छोड़ दिया. इसके बाद संघ का चलना मुश्किल हो गया था, मगर फिर भी सभी कमिटी के लोगों ने मिल कर संघ को चलाया. संघ के पास अपना कोई ग्राउन्ड नहीं है और ना कोर्ट. संघ का सेंटर जीजीपीएस स्कूल में चलता है. सेंटर आज कलोल समांता देखते है, वो ही आज संघ के सेक्रेटरी हैं. संघ को पहले कई स्कूल अपना ग्राउन्ड देते थे, मगर किन्हीं वजह से स्कूल से मदद मिलनी बंद हो गयी. संघ को आज बड़ा गुरुद्वारा और आर एस चहल द्वारा मदद मिलती है. वालीबॉल धनबाद वालीबॉल एसोसिएशन के खिलाड़ी कम संसाधन और भी कई दिक्कतों का सामना करते हुए अपनी पहचान जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक बना रहे हैं. धनबाद वालीबॉल सेंटर की स्थापना सन 1969 में हुई थी. उस वक़्त के निगम कमिश्नर और आसपास के लोगों की मदद से इस सेंटर को बनाया गया. इस सेंटर को एसोसिएशन में तब्दील होने में तीन साल लग गये. सन 1972 में धनबाद जिला वालीबॉल एसोसिएशन का गठन हुया. इसके महासचिव एवं अपर सचिव जिला ओलंपिक संघ के सूरज प्रकाश लाल बताते हैं कि उस वक़्त के नगर निगम कमिश्नर अवधेश कुमार पांडे लगातार वालीबाॅल संघ से जुड़े थे. उनकी बदौलत ही गर्ल्स चेंजिंग रूम और वॉलीबॉल सेंटर का कमरा बना. सूरज लाल बताते हैं कि एक बड़ा बजट पास हुआ था ग्राउन्ड, पार्क और लाइट के लिए मगर किन्ही कारणों से ये सभी काम नहीं हो पाये. परेशानियों सामना करता वॉलीबॉल संघ आज वाॅलीबाॅल संघ को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उनके पास फंड नहीं है. उनको जिला प्रशासन द्वारा किसी प्रकार की सहायता नहीं मिलती है. फंड की कमी होने की वजह से कोरोनाकाल के वक़्त से खिलाड़ियों को पैसे मिलने बंद हो गये. इस वजह से आज खिलाड़ियों को अपने पैसे से प्रतियोगिता खेलने जाना पड़ता है. संघ में बेसिक सुविधा के नाम पर भी कुछ नहीं है जैसे जिम, लाइट आदि. मैदान में कभी खिलाड़ी खेलते रहते हैं उस वक़्त सांड आपस में लड़ते हुए वालीबॉल कोर्ट में आ जाते हैं. इस वजह से खिलाड़ी कई बार चोटिल हो जाते हैं. रात में ग्राउन्ड नसेड़ियों का अड्डा बन जाता है.

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