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– पहाड़ पर बसे भेलवाबेड़ा का कौन पार करेगा बेड़ा

टुंडी मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर सुदूर पश्चिमी क्षेत्र में पहाड़ के ऊपर बसा है भेलवाबेड़ा गांव. कोल्हर-डोमनपुर मुख्य पथ पर बाघमारा से बायीं तरफ दिखता है यह पहाड़. यहां से लगभग एक किलोमीटर के इलाके में इधर-उधर लगभग 45 घरों का यह गांव है. यहां की आबादी लगभग 265 है. घर के पुरुष मजदूरी करने बाहर चले जाते हैं और महिलाएं घर का काम-काज संभालती हैं. घर की पूरी जिम्मेवारी भी उठाती हैं.

गांव में एक भी नहीं है शौचालय, डांड़ी के पानी से बुझती है प्यास, वोट देने के लिए जाना पड़ता है काफी दूर

चंद्रशेखर,

टुंडी

. टुंडी मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर सुदूर पश्चिमी क्षेत्र में पहाड़ के ऊपर बसा है भेलवाबेड़ा गांव. कोल्हर-डोमनपुर मुख्य पथ पर बाघमारा से बायीं तरफ दिखता है यह पहाड़. यहां से लगभग एक किलोमीटर के इलाके में इधर-उधर लगभग 45 घरों का यह गांव है. यहां की आबादी लगभग 265 है. घर के पुरुष मजदूरी करने बाहर चले जाते हैं और महिलाएं घर का काम-काज संभालती हैं. घर की पूरी जिम्मेवारी भी उठाती हैं. प्रभात खबर के चौपाल में महिलाओं ने अपनी पूरी कहानी बतायी. वहां की एक बहू, जो टुंडी के करमाटांड़ गांव की है, उसने बताया कि यहां पानी सबसे बड़ी समस्या है. पहाड़ के ऊपर पेयजल की समस्या आम बात है. वहीं के रवींद्र मरांडी ने बताया यहां तीन चापाकल है, इसमें से दो खराब हैं, तीसरे की भी स्थिति खराब है. इससे ठीक से एक बाल्टी पानी भी नहीं निकलता है. एक बहुत ही पुराना एक डांड़ी है, जिससे पूरे गांव की प्यास बुझती है. इसमें भी तीन फीट पानी रहता है. अगर उसने भी साथ छोड़ा, तो पता नहीं क्या होगा.

घर भी है जर्जर:

डांड़ी से पानी भर रही सुंदरी देवी ने कहा कि पानी की व्यवस्था होनी ही चाहिए. इस गांव तक जाने का कोई रास्ता नहीं था. पहाड़ को जेसीबी से काट कर फिलहाल चलने लायक रास्ता बना दिया गया है. पूरे गांव तक पीसीसी रोड बनने की बात से ग्रामीण खुश हैं. बसंती हेंब्रम कहती हैं कि गांव में अब तो रोड बन रहा है, लेकिन गांव में एक भी शौचालय नहीं है. आज भी शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है. 68 वर्षीया बुजुर्ग चूड़का हांसदा ने बताया कि शौचालय के लिए बार-बार फार्म भरा गया, लेकिन आज तक ना तो वृद्धापेंशन स्वीकृत हुआ और ना ही आवास योजना का लाभ मिला. उसके मिट्टी का घर पूरी तरह जर्जर है.

वोट जरूर देंगे:

लोगों ने बताया कि वो वोट तो देंगे, लेकिन इसके लिए उन्हें दूर जाना पड़ता है. यहां के लोगों का मतदान केंद्र झिनाकी पंचायत भवन (पुराना) में पड़ता है, जिसकी दूरी दो से ढाई किलोमीटर है. प्रचंड गर्मी में इतनी दूर जाकर वोट देना परेशानी से भरा काम है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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