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महिला कर्मी ने लगाये गंभीर आरोप, सचिव को भेजा पत्र

महिला कर्मी ने पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग के सचिव को पत्र भेज कर कार्रवाई की मांग

वरीय संवाददाता, धनबाद

, जिला खेल कार्यालय में पदस्थापित महिला कर्मचारी ने जिला खेल पदाधिकारी (डीएसओ) दिलीप कुमार पर कई गंभीर आरोप लगाये हैं. महिला कर्मी ने झारखंड सरकार के पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग के सचिव को पत्र भेज कर कार्रवाई की मांग की है. यह मामला पूरे विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है. महिला कर्मी ने पत्र मं कहा है कि वह संगणक संचालक के पद पर जिला खेल कार्यालय, धनबाद में कार्यरत है. वर्तमान जिला खेल पदाधिकारी आये दिन मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हैं. प्रायः छुट्टी के दिनों में भी मुझे ऑफिस में बुलाया जाता है. कोई काम नहीं रहने पर भी मुझे बुलाया जाता है. कार्य दिवस के दिन डीएसओ खुद तीन-चार बजे के बाद ही ऑफिस आते है और देर रात तक मुझे ऑफिस में रुकने के लिए बोलते हैं. जिला खेल कार्यालय, धनबाद में मेरे अलावा और कोई भी कर्मी नहीं है. मैं अंधेरे का हवाला दे जल्दी जाने का निवेदन करती हूं, तो गाली-ग्लौज पर उतर आते हैं. कहते हैं कि मेरे जुबान के साथ मेरा हाथ पैर भी चलते हैं. बात-बात पर मुझे मेरे धर्म के बारे में भी काफी अपशब्द कहते हैं. नये समाहरणालय भवन में उपायुक्त द्वारा कार्यालय को स्थानांतरित करने के लिए ऑफिस आवंटित किया गया है. परंतु अभी तक ऑफिस वहां स्थानांतरित नहीं किया गया है. वर्तमान में ऑफिस की दो आलमारी फाइल सहित पुराना खेल कार्यालय, सिटी सेंटर से निकालकर कहीं अन्यत्र ले जाया गया है. जब मैंने अपने डीएसओ से बात की कि सर मुझे कहां बैठकर कार्य करना है, तो मुझ पर भड़क गये और मुझे कार्य से निकालने की धमकी देने लगे. वह मुझ पर गंदी निगाह भी रखते हैं. इसके अलावा कभी-कभी बिना मुझे कुछ बताये कंप्यूटर एवं प्रिंटर को खोलकर अपने घर ले जाते हैं. इन सभी घटनाओं से मैं मानसिक रूप से अपने आप को काफी प्रताड़ित महसूस कर रही हूं.

डीएसओ ने सभी आरोपों को किया खारिज :

डीएसओ दिलीप कुमार ने सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया. कहा : 2019 मई में सरकार द्वारा दैनिक आधार पर बहाली निकाली गयी थी. इसमें जिला खेल संचालन समिति द्वारा पूरी प्रक्रिया की गयी. उक्त महिला को 10547 रुपये प्रतिमाह पर दैनिक में रखा गया था. लेकिन तत्कालीन जिला खेल पदाधिकारी ने महिला कर्मी को वेतन 16480 रुपये प्रतिमाह कर दिया. उसका नेचर बदल कर संविदा कर दिया. 2019 से 22 तक वह ज्यादा वेतन लेती रही और खुद सैलरी बनाने लगी. जब मैंने पदभार ग्रहण किया, तो उस समय उसका दो माह का वेतन बकाया था. इसे लेकर सरकार ने मार्ग दर्शन मांगा गया, लेकिन नहीं मिला. इसके बाद वित्तीय वर्ष के अंत के कारण सरकार के आदेश के अनुसार उसका वेतन भुगतान किया गया. अभी फिर से सरकार के आदेश पर बहाली निकाली गयी. उसे पता चला कि अब फिर से बहाली होगी और वह हट सकती हूं. इसलिए आरोप लगाया जा रहा है. दो माह से हम लोग एक कार्यालय में काम नहीं कर रहे हैं, तो उसे कैसे प्रताड़ित कर सकता हूं. छह माह की ऑन लाइन उपस्थिति निकाल कर देखा जा सकता है, कभी भी वह देर शाम तक न रूकी है और न ही बंद के दिन बुलाया गया है.

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