सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक पर प्राथमिकी

दुमका : सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड दुमका के पूर्व प्रबंध निदेशक सैयद हफीजुल हसन पर वित्तीय अनियमतता के आरोप लगे हैं और उनके खिलाफ नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. सेवानिवृत्त हो चुके श्री हसन पर 6.50 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी व अनियमितता के आरोप हैं. उनके खिलाफ वर्तमान प्रबंधक निदेशक लुइस टोप्पो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 13, 2014 5:45 AM

दुमका : सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड दुमका के पूर्व प्रबंध निदेशक सैयद हफीजुल हसन पर वित्तीय अनियमतता के आरोप लगे हैं और उनके खिलाफ नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. सेवानिवृत्त हो चुके श्री हसन पर 6.50 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी व अनियमितता के आरोप हैं.

उनके खिलाफ वर्तमान प्रबंधक निदेशक लुइस टोप्पो ने भादवि की दफा 409, 420,120 बी एवं 177 के तहत नगर थाना कांड संख्या 98/14 दर्ज करायी है. प्राथमिकी में सैयद हफीजूल हसन, पूर्व प्रबंध निदेशक सह उप निदेशक सहयोग समितियां, रांची, वर्तमान निवासी ए/30 रोशन इन्क्लेव, जामिया नगर कडरु, रांची के साथ-साथयूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया के एजेंट व ग्रेट इंडिया एंश्योरेंस सर्विस जमशेदपुर से जुड़े दीपक कुमार झा को आरोपी बनाया गया है.

प्राथमिकी के अनुसार सैयद हफीजुल हसन प्रबंध निदेशक के पद पर दुमका में 27 जून 2005 से 1 जुलाई 2008 तक पदस्थापित थे. आरोप है कि अपने पदस्थापन अवधि में अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए उच्चधिकारियों को भ्रामक सूचना देकर बिना सक्षम पदाधिकारी की अनुमति प्राप्त किये दीपक कुमार झा के माध्यम से 24 दिसंबर 2007 को बैंक का 3 करोड़ रुपये एवं 19 मार्च 2008 को 3.50 करोड़ रुपये का विनियोग यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया में किया.इसके लिए यूटीआई द्वारा एजेंट को कमीशन के रुप में 36.77 लाख रुपये का भुगतान किया गया.जबकि इतनी बड़ी राशि को बिना एजेंट के माध्यम से भी भुगतान किया जा सकता था.

उक्त 6.50 करोड़ रुपये को बैंक में फिक्स डिपोजिट न कर , निजी स्वार्थ के लिए जोखिमपूर्ण निवेश कर दिया गया. इससे बैंक को 1,10,73,964 रुपये की क्षति उठानी पड़ी. जांच के क्रम में तत्कालीन प्रबंध निदेशक श्री हसन को दोषी पाया गया था. उप सचिव, सहकारिता विभाग, झारखंड सरकार के पत्रंक 2/निग सह/60/2006/167, रांची दिनांक 15 जनवरी 14 के द्वारा सैयद हफीजुल हसन के विरूद्ध भारतीय दंड संहिता की धाराओं के साथ-साथ भ्रष्टाचार उन्मूलन अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज करने की अनुशंसा की गयी थी.

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