भूख से तड़पने को मजबूर वृद्धा खांदी
कमजोर कड़ी . इसे व्यवस्था की मार कहें या लाचारी! रानीश्वर : रानीश्वर प्रखंड के सादीपुर गांव के बाउरी टोले की 85 वर्षीया खांदी बाउरी अनाज के अभाव में भूख से तड़प रही है. खांदी के बेटे विश्वनाथ बाउरी के नाम से खाद्य सुरक्षा का कार्ड है़ राशन कार्ड में विश्वनाथ बाउरी, उनकी मां 85 […]
कमजोर कड़ी . इसे व्यवस्था की मार कहें या लाचारी!
रानीश्वर : रानीश्वर प्रखंड के सादीपुर गांव के बाउरी टोले की 85 वर्षीया खांदी बाउरी अनाज के अभाव में भूख से तड़प रही है. खांदी के बेटे विश्वनाथ बाउरी के नाम से खाद्य सुरक्षा का कार्ड है़ राशन कार्ड में विश्वनाथ बाउरी, उनकी मां 85 वर्षीया खांदी बाउरी व खांदी की बेटी चायना बाउरी का नाम दर्ज है़ विश्वनाथ की पत्नी दुखी बाउरी का कार्ड में नाम दर्ज नहीं है. बेटे विश्वनाथ का छह महीना पहले ही निधन हो चुका है. बेटी चायना की सालभर पहले शादी हो चुकी है. पुत्र वधू दुखी बाउरी का कार्ड में नाम दर्ज नहीं है.
खांदी बाउरी करीब छह महीने से बीमार चल रही है़ं उनके पास उनकी पुत्रवधू दुखी बाउरी रहती है. खांदी के चल फिर नहीं पाने के कारण राशन कार्ड रहते हुए भी वह राशन दुकान जाकर अनाज का उठाव करने में सक्षम नहीं है़ खांदी बाउरी का राशन कार्ड जयपहाड़ी के दुकानदार के साथ जुड़ा हुआ है, जो उनके घर से करीब आठ किलोमीटर की दूरी पर है. दुकान से राशन का उठाव नहीं कर पाने से उन्हें समुचित भोजन नहीं मिल पा रहा है. उसकी पतोहु किसी तरह दूसरे के घर काम करके एक वक्त का भोजन का जुगाड़ कर पा रही है. उसके भी बीमार पड़ने पर घर में चूल्हा नहीं जलता है़ गांव के नंद दुलाल लायक ने बताया कि उनके द्वारा कई बार प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी से संपर्क कर इस परिवार की किसी तरह व्यवस्था करने का अनुरोध किया गया, पर अभी तक किसी तरह की पहल नहीं की गयी.
अप्रैल महीने में ही आखिरी बार मिला था राशन
अपंगता के कारण डीलर तक जाने में है असमर्थ
गांव से आठ किलोमीटर दूर है पीडीएस दुकान
पतोहु हैं, पर उसका नाम राशन कार्ड में नहीं, इसलिए अनाज से वंचित है परिवार
दूसरे के घर काम कर पतोहु एक वक्त की रोटी का कर पा रही है जुगाड़