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सांस्कृतिक द्वंद से देश को बचने की जरूरत

कार्यक्रम. जनवादी लेखक संघ का पांचवां राज्य सम्मेलन शुरू, केंद्रीय उप महासचिव ने कहा दुमका : जनवादी लेखक संघ का पांचवा राज्य सम्मेलन दुमका के केबी वाटिका में शुरू हुआ. दो दिवसीय इस सम्मेलन की शुरुआत शहीद वेदी पर माल्यार्पण के उपरांत राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर से आये साहित्यकारों के द्वारा जनवादी लेखक संघ के […]

कार्यक्रम. जनवादी लेखक संघ का पांचवां राज्य सम्मेलन शुरू, केंद्रीय उप महासचिव ने कहा

दुमका : जनवादी लेखक संघ का पांचवा राज्य सम्मेलन दुमका के केबी वाटिका में शुरू हुआ. दो दिवसीय इस सम्मेलन की शुरुआत शहीद वेदी पर माल्यार्पण के उपरांत राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर से आये साहित्यकारों के द्वारा जनवादी लेखक संघ के उद‍्देश्य को जन-जन तक पहुंचाने के लिए जुलूस की शक्ल में नगर का भ्रमण किया गया. वहीं प्रथम साहित्यिक सत्र में दिल्ली से आये जलेस के केंद्रीय उप महासचिव डॉ संजीव कुमार की अध्यक्षता में चर्चा हुई.
उन्होंने देश में मौजूदा खतरे की ओर इंगित करते हुए कहा कि वर्तमान में देश सांस्कृतिक द्वंद में उलझा हुआ है. जिससे बचने की आवश्यकता है. मुख्य अतिथि के रूप में कोलकाता विश्वविद्यालय के हिंदी के व्याख्याता सह स्वाधीनता के संपादक राम अहलाद चौधरी ने कहा कि देश की साझा संस्कृति पर जब भी सांप्रदायिकता ने आक्रमण किया है,
उसे मुंह की खानी पड़ी है. एक बार फिर देश के सामने यह खतरा आ खड़ा हुआ है, जिससे निजात पाने की नितांत आवश्यकता है.
संघ के उद‍्देश्य को जन-जन तक पहुंचाने के लिए जुलूस की शक्ल में किया नगर भ्रमण
बच्चियों ने प्रस्तुत की स्वागत गीत व नृत्य
स्वागत संबोधन में सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के प्रोवीसी डॉ एसएन मुंडा ने अपने संबोधन में झारखंड की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चित्रण को प्रस्तुत किया. पहले सत्र की शुरुआत कार्यक्रम की संयोजिका सह जेलस की जिला सचिव हेना चक्रवर्ती ने किया. अवसर पर उपाध्यक्ष निर्मला पुतुल के निर्देशन में बच्चियों ने स्वागत गीत-नृत्य पेश किया. डॉ मृणाल ने आज के समाज एवं सांस्कृति द्वंद पर अपनी बात रखी. अध्यक्षीय उद‍्बोधन में झारखंड जलेस के अध्यक्ष डॉ अली इमाम खां ने अपने विचारों को रखा,
जबकि सत्र का संचालन गोपाल प्रसाद व धन्यवाद ज्ञापन एस निशा सिम्मी ने किया. दूसरे सत्र में विचार गोष्ठी आयोजित की गयी. अवसर पर हेना चक्रवर्ती की तीसरी पुस्तक मयुराक्षी के तीर से टंकार, आलोक जयपुरी के गजल संग्रह से संबंधित दो पुस्तक एवं रजनीकांत राकेश के भोजपुरी गजल की पुस्तक का लोकार्पण किया गया.
ये सभी थे मौजूद : आयोजन को सफल बनाने में अशोक सिंह, सुशीत वरण चक्रवर्ती, विमल भूषण गुहा, मनोज घोष, श्यामल सुमन, अशोक, शैलेंद्र पांडेय शैल, नीता सागर, जूही झा, डॉ वाणी सेनगुप्त, दोलन चापासेन गुप्त व वरुण प्रभात ने अहम भूमिका निभाई. कार्यक्रम में पूर्वी सिंहभूम, जमशेदपुर, सरायकेला-खरसावां, देवघर, गिरिडीह, बोकारो, धनबाद, रांची एवं दुमका से जलेस से जुड़े जनवादी लेखक शामिल हुए.

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